शंकराचार्यों ने प्राण प्रतिष्ठा पर उठाए सवाल, क्या गलत समय पर हो रही राम लला की प्राण प्रतिष्ठा?
Ram Lala Pran Pratistha: राम लला (Ram Lala) की प्राण प्रतिष्ठा से पहले देश में सियासी जंग तेज हो चली है, विपक्ष औऱ पक्ष के नेता लगातार एक दूसरे पर सियासी तीर छोड़ रहे हैं। अब इस सियासी जंग में आम आदमी पार्टी की एंट्री हो गई है। आम आदमी पार्टी ने भी शंकराचार्यों के प्राण प्रतिष्ठा समारोह में आने से इनकार करने को मुद्दा बनाया और बीजेपी से सवाल पूछे। दिल्ली सरकार में मंत्री सौरभ भारद्वाज (Sourabh Bharadwaj) ने सरकार पर हमला बोला। उन्होंने कहा कि सरकार को कैसे भी उनके दर पर जाना चाहिए, उनसे बड़ा कोई नहीं है, उन्हें मनाना चाहिए। और अगर वो जो बात कह रहे हैं वो मानी जा सकती है तो वो माननी भी चाहिए क्योंकि उनसे बड़ा हिंदू धर्म के अंदर कोई भी नहीं है।
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दरअसल, कांग्रेस खुद को घिरता देख पुरी पीठ के शंकराचार्य निश्चलानंदा सरस्वती जी महाराज का सहारा ले रही है- बीजेपी पर उठ रहे सवालों का जवाब विश्व हिंदू परिषद (Vishva Hindu Parishad) ने दिया और दावा किया कि जो कहा जा रहा है वो सच नहीं है। विश्व हिंदू परिषद के आलोक कुमार ने कहा कि शंकराचार्य नहीं आ रहे। पर शारदा पीठ और श्रींगेरी के शंकराचार्यों ने स्पष्ट किया है प्रेस रिलीज से कि उनको इस आयोजन की प्रसन्नता है। प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम के सफलता की कामना की है। सुविधा से आएंगे ऐसा कहा है। सुविधा से आएंगे ये शंकराचार्य निश्चलानंदा जी ने भी कहा है। इसलिए इस बारे में जो कहा जा रहा है वो सच नहीं है। लेकिन बीजेपी नेताओं को ये बात अच्छी तरह से पता है कि कांग्रेस अपने फैसले को लेकर पूरी तरह से सहज नहीं है।
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रामलला की प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में जाने के फैसले को लेकर सवाल… और फिर उन सवालों के जवाब में सवालों का दौर जारी है। केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह (Girirraj Singh) ने लालू और नीतीश की पार्टी पर एकसाथ प्रहार किया। बिहार सरकार के मंत्री और नेता अपने आका के इशारे पर अयोध्या और भगवान श्री राम को लेकर अनर्गल बयान बाजी कर रहे हैं। वोट की राजनीति को लेकर जिस हद तक यह बयान दे रहे हैं वह काम नहीं आएगा। बहरहाल अयोध्या से होकर बहने वाली सरयू नदी का बहुत सारा पानी बह चुका है। अतीत की बातें अब इतिहास बन चुकी हैं। लेकिन अब जो यहां हो रहा है। उसे दुनिया देख रही है। और एक नया स्वर्णिम इतिहास लिखा जा रहा है। इस बीच सियासत अपने परवान पर है और नेता अपने अपने सच की तलाश में हैं।