Maharashtra Politics: राजनीति का खेल ही गंदा है। सब नेता कहते हैं कि उनकी राजनीति बेमिसाल है लेकिन जब दाव उल्टा पड़ने लगता है तो खेल खराब ही होता है। जब तक आगे बढ़ते जाओ लोग आपकी तारीफ करते और जब दाव फेल होता जाता है तो वही नेता जनता की नजरों से गिरने लगता है। तो क्या यही हाल शरद पवार का हो गया है / क्या शरद पवार अब महाराष्ट्र (Maharashtra Politics) में बेहद कमजोर हो गए हैं जो अपने भतीजे के सहारे ही चल सकते हैं वरना उनकी कोई जगह नहीं ? उनकी कोई पहचान नहीं और उनका जनता के बीच कोई महत्व नहीं ?
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ये सारे सवाल इसलिए उठ रहे हैं क्योंकि बार-बार अपने भतीजे से मिलने के बाद शरद पवार पर अब उंगली उठने लगी है। खेल निराला था। एक तरफ शरद की अगुवाई में ही विपक्षी एकता की बात हो रही थी वही महाराष्ट्र (Maharashtra Politics) में उनके भतीजे अजित पवार पार्टी को तोड़ते हुए बीजेपी के साथ चले गए। अपने तो गए ही साथ में दर्जनों एनसीपी विधायकों को भी ले गए। फिर मंच से ऐलान किया कि असली एनसीपी वही है और खुद को पार्टी का अध्यक्ष भी घोषित कर दिया। उस समय तो शरद पवार काफी तल्ख़ में थे और महाराष्ट्र के कई इलाकों का दौरा भी किया। वे बार-बार यह भी कहते रहे कि वे विपक्ष गठबंधन के साथ ही है। इसी बीच वे बंगलौर की बैठक में भी गए। वहां भी विपक्षी एकता की बात कही और बीजेपी के खिलाफ मिलकर लड़ने का ऐलान भी किया।
लेकिन अभी कुछ दिनों पहले शरद पवार के भतीजे अजित पवार से हुई मुलाकात के बाद दिल्ली की राजनीति भी गर्म हो गई है। अब इस मसले पर दिल्ली में भी बैठक हो रही है और महाराष्ट्र में भी। शिवसेना से लेकर कांग्रेस के नेता भी अब डरे हुए हैं कि न जाने शरद पवार क्या कुछ करने वाले हैं।
इस बीच जो खबर आई है वह चौंकाने वाली है। खबर के मुताबिक पिछले दिनों शरद और अजित की जो मुलाकात हुई थी उसमें शरद पवार को कई तरह के ऑफर देने की बात थी। इस बात में कितनी सच्चाई है यह कोई नहीं जनता क्योंकि शरद पवार की सांसद बेटी सुप्रिया सुले ने किसी भी तरह के ऑफर की बात को नकार दिया है और कहा है कि उसकी राजनीति विपक्ष के साथ है और उनके पिता भी विपक्ष के साथ खड़े हैं।
शरद पवार ने भी इस मुलाकात पर सफाई दी है लेकिन कांग्रेस और शिवसेना में हलचल है। अब देखना है कि मुंबई की बैठक में क्या कुछ होता है क्योंकि इस बैठक के मेजबान शरद पवार ही है। अगर इस बैठक में सब कुछ ठीक नहीं रहा तो संभावना है शरद पवार भी अलग हो सकते हैं या यह कहा जाए कि विपक्ष ही शरद पवार (Maharashtra Politics) से अलग हो जायेगा।