Weather Updates : बिहार में मानसून की वापसी के संकेत, वर्षा की कमी से गंभीर संकट की आशंका
Signs of return of monsoon in Bihar, fear of serious crisis due to lack of rain
बिहार में मानसून अब लौटने के संकेत दे रहा है, लेकिन इसके साथ ही राज्य में गंभीर संकट की स्थिति भी उत्पन्न हो गई है। भारतीय मौसम विभाग (IMD) के ताजा अपडेट के अनुसार, राज्य में मानसून के कमजोर प्रदर्शन के कारण बाढ़ के बीच एक और खतरे की घंटी बज चुकी है। राज्य के अधिकांश हिस्सों में सूखे जैसी स्थिति और जल संकट का सामना करना पड़ रहा है। हालांकि, पटना समेत प्रदेश के अधिकांश हिस्सों में अगले चौबीस घंटे तक मौसम शुष्क रहेगा, और अगले दो दिनों के बाद छिटपुट बारिश की संभावना जताई जा रही है।
मानसून की वापसी और राज्य में बारिश की कमी
IMD की रिपोर्ट के मुताबिक, दक्षिण-पश्चिम मानसून ने पश्चिमी भारत के राज्यों, जैसे राजस्थान और गुजरात, से लौटने का संकेत देना शुरू कर दिया है। इस वर्ष बिहार में मानसून के दौरान सामान्य से 28 प्रतिशत कम वर्षा रिकॉर्ड की गई, जो प्रदेश के लिए एक गंभीर खतरे का संकेत है। आमतौर पर राज्य में मानसून के दौरान 938.6 मिलीमीटर वर्षा होनी चाहिए थी, लेकिन इस बार केवल 676.1 मिलीमीटर वर्षा हुई है।
राज्य के कई हिस्सों में स्थिति और भी खराब है। उदाहरण के लिए, सारण जिले में सामान्यत: 857.3 मिलीमीटर वर्षा होती है, लेकिन इस वर्ष केवल 375.2 मिलीमीटर वर्षा दर्ज की गई है, जो सामान्य से 56 प्रतिशत कम है। इसी प्रकार, मधुबनी में 53 प्रतिशत कम वर्षा हुई है, जहाँ सामान्यत: 925.3 मिलीमीटर बारिश होनी चाहिए थी, लेकिन इस वर्ष सिर्फ 438.7 मिलीमीटर बारिश हुई है। राज्य के अन्य जिलों में भी इसी प्रकार की कमी दर्ज की गई है, जो आने वाले समय में फसलों और जल आपूर्ति पर गंभीर असर डाल सकती है।
वर्षा में असमानता और बढ़ते संकट
राज्य में वर्षा की कमी के साथ-साथ असमानता भी देखी जा रही है। मानसून के दौरान होने वाली बारिश का पैटर्न अत्यंत असंतुलित रहा है, जिससे जल संकट की स्थिति और भी जटिल हो गई है। बिहार के अलावा, पूर्वी उत्तर प्रदेश और झारखंड में भी वर्षा में कमी दर्ज की गई है। वहीं, देश के पश्चिमी हिस्सों में सामान्य से अधिक वर्षा हो रही है, जिससे जलवायु में व्यापक असमानता उत्पन्न हो रही है।
बिहार में 15 जून से 30 सितंबर तक दक्षिण-पश्चिम मानसून की वर्षा होती है। अब राज्य में मानसून की अवधि का केवल एक सप्ताह बचा है, लेकिन बारिश की कमी 28 प्रतिशत पर स्थिर है, जिसे पूरा होने की कोई संभावना नहीं दिख रही है। इस वर्ष न केवल बारिश की कमी दर्ज की गई, बल्कि बारिश के असंतुलित वितरण ने भी हालात बिगाड़ दिए हैं।
संकट की गंभीरता
वर्षा में इतनी बड़ी कमी राज्य के लिए गंभीर संकट की ओर इशारा कर रही है। फसल उत्पादन पर इसका सीधा असर पड़ेगा, जिससे किसान गंभीर आर्थिक समस्याओं का सामना कर सकते हैं। पानी की कमी के कारण राज्य में पीने के पानी की आपूर्ति, सिंचाई और अन्य आवश्यक सेवाओं पर भी गहरा असर पड़ेगा। इसके अतिरिक्त, राज्य के जलाशयों और नदियों में पानी की कमी होने के कारण बाढ़ जैसी आपदाओं के बावजूद जल संकट का सामना करना पड़ सकता है।
बिहार के विभिन्न जिलों में जल संकट और फसलों की विफलता की आशंका ने राज्य सरकार और किसानों के लिए एक बड़ी चुनौती पेश कर दी है। वर्षा में असंतुलन से उत्पादन में भारी गिरावट की संभावना है, जिससे खाद्य सुरक्षा के साथ-साथ ग्रामीण अर्थव्यवस्था भी प्रभावित होगी।
मानसून की वापसी और वर्षा की कमी के कारण बिहार एक बड़े संकट की ओर बढ़ रहा है। फसलों, जल आपूर्ति और आर्थिक स्थितियों पर इसका गहरा प्रभाव पड़ सकता है। राज्य को इस स्थिति से निपटने के लिए व्यापक योजना और प्रबंधन की आवश्यकता होगी।