एटा: आपने वीवीआईपी के सुरक्षा में लगे सुरक्षा कर्मियों को एके-47 जैसे आधुनिक हथियारों से लैस देखा होगा, लेकिन हम कहें कि एक आदमी, जो रेहड़ी पर कपड़े बेचकर अपने परिवार को भरण पोषण करता है, उसकी सुरक्षा में भी 24 घंटे एके-47 रायफल से लैस पुलिसकर्मी रहते हैं तो आपके लिए यकीन न आये, लेकिन यह सच है कि एटा के रहने वाले रामेश्वर सड़क किनारे या फिर गली-गली जाकर रेहड़ी पर रखकर कपड़े बेचने वाले रामेश्वर की सुरक्षा में हर समय दो पुलिसकर्मी आधुनिक हथियारों से लैस रहते हैं। वह भले ही सामाजिक तौर पर महत्वपूर्ण व्यक्तियों की श्रेणी में न गिना जाए लेकिन उसे मिली पुलिस सुरक्षा को देखकर रामेश्वर का रुतवा किसी वीआईपी से कम नहीं।
दरअसल कपड़े का ठेला लगाने वाले रामेश्वर दयाल को दबंग नेता पूर्व सपा विधायक रामेश्वर सिंह यादव और उनके भाई जुगेंद्र सिंह यादव से जान का खतरा है। रामेश्वर ने जमीन विवाद के बाद दोनों के खिलाफ 2014 में जाति सूचक गालियां देने और बंधक बनाकर बैनामा कराने के मामले में शिकायत की थी। तब से वह अपनी जमीन हासिल करने के लिए अदालती लड़ाई लड़ रहा है। अदालत के आदेश पर उसे सुरक्षाकर्मी मिले हुए हैं।
रामेश्वर दयाल ने बताया कि “2014 अगस्त में पूर्व विधायक रामेश्वर सिंह यादव और जुगेंद्र सिंह ने उसको और उसके भाई का किडनैप कर लिया था। ये लोग अपहरण कर अपने फार्म हाउस ले गए थे, जहां एक महीने तक उन दोनों को बंधक बनाकर रखा गया था। उसी दौरान रामेश्वर सिंह यादव और जुगेंद्र सिंह ने रामेश्वर दयाल और उनके भाई से जमीन के कागजों पर हस्ताक्षर करा लिये। इस दौरान उन दोनों के साथ मारपीट करते हुए जातिसूचक शब्द भी कहे थे। जमीन नाम होने के बाद उन्हें छोड़ा गया था।”
रामेश्वर ने बताया, “उस समय यूपी में प्रदेश में सपा की सरकार थी। रामेश्वर सिंह यादव उस समय विधायक और उनके भाई जुगेंद्र सिंह जिला पंचायत अध्यक्ष थे। दोनों का क्षेत्र में बहुत दबदबा था। हमारे शिकायत के बावजूद उनकी कहीं सुनवाई न होने पर वे हार मानकर बैठ गए थे।
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2022 में यूपी में दोबारा भाजपा का सरकार आने पर सीएम योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर जब रामेश्वर सिंह और जुगेंद्र सिंह यादव के खिलाफ बुलडोजर की कार्रवाई हुई। हमें पता चला कि इन दोनों की जमीन पर भी कार्रवाई हो रही है और अवैध कब्जे की जमीन को छुड़ाया जा रहा है। तब 3 जून 2022 को हमने योगी सरकार से पूरे मामले की शिकायत की थी।”
रामेश्वर ने बताया कि उनके शिकायत करते ही सपा नेता रामेश्वर सिंह यादव और जुगेंद्र सिंह यादव की ओर से हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की गई, जिसमें याचिका में बताया गया कि थाना जैथरा में बंधक बनाकर जमीन पर कब्जा करने और जाति सूचक गालियां देने का मुकदमा दर्ज कराया गया है, वह झूठा है। इस मुकदमे को खारिज किया जाए। जिसके बाद हाईकोर्ट की ओर से पीड़ित रामेश्वर दयाल को नोटिस जारी कर 16 जुलाई को बुलाया गया।
जब मैं इलाहाबाद हाईकोर्ट पहुंचा तो वहां जज ने मुझे अकेला देखकर हैरानी जताई। उन्होंने कहा, क्या तुम्हें पुलिस सुरक्षा नहीं मिली हुई है। मेरे मना करने पर उन्होंने एटा के एसपी से बात करके मुझे सुरक्षा देने का निर्देश दिया। प्रयागराज से वापस आकर जब मैं 17 जुलाई को अपना कपड़ों का ठेला लगाने पहुंचा, तो दो पुलिसकर्मी मेरी सुरक्षा में तैनात थे। मामले में अगली सुनवाई 25 जुलाई को होगी।”
अलीगंज सीओ राजकुमार सिंह ने बताया, “हाईकोर्ट में सुनवाई हुई थी। जज की ओर से सुरक्षा मुहैया कराने के निर्देश दिए गए हैं। जिसका पालन करते हुए सुरक्षा प्रदान कर दी गई है। दो कांस्टेबल सुरक्षा के लिए तैनात किए गए हैं।”