Hariyana Political News: देश में बड़ी तेजी से सियासी समीकरण बदलते जा रहे हैं। एक तरफ आंध्रा की जगन मोहन रेड्डी सरकार पर बीजेपी हमलावर हो गई और भ्रष्टाचार का आरोप लगा रही है वही हरियाणा में बदलते सियासी समीकरण भी साफ़ दिखने लगे हैं। जिस तरह से बीजेपी और जजपा प्रमुख दुष्यंत चौटाला के बीच खींचतान चल रही है उससे साफ़ हो गया है कि बीजेपी अब जजपा को बर्दास्त करने को तैयार नहीं है। बीजेपी को लग गया है कि जाटों की राजनीति करने वाली जजपा के साथ रहना ठीक नाह है। बीजेपी गैर जाट राजनीति को आगे बढ़ा रही है। बीजेपी को लगने लगा है कि हरियाणा के जाट किसान और पहलवानों के मामले पर बीजेपी के साथ अब खड़े नहीं होंगे।
ऐसे में बीजेपी किसी भी तरह गैर जाट राजनीति को आगे बढ़ा रही है।
हरियाणा में जिस तरह जजपा और बीजेपी के बीच टकराओ चल रहे हैं उससे लगने लगा है कि बीजेपी ने जजपा को संकेत भी दे दिया है कि वे गठबंधन से बहार जा सकते हैं। बीजेपी को लग रहा है कि वह निर्दलीय के साथ मिलकर सरकार चला लेगी। बीजेपी सूत्रों के मुताबिक जजपा नेता दुष्यंत चौटाला को संकेत कर दिया गया है कि अगर वह चाहे तो बहार जा सकते हैं। उसकी अब कोई जरूरत बीजेपी को नहीं है।
बीजेपी अब किसी भी सूरत में कुछ भी नया देने वाली नहीं है।
सूत्रों के मुताबिक 2019 के विधान सभा चुनाव में बहुमत हासिल करने में चूक हो जाने की वजह से बीजेपी ने जजपा के साथ गठबंधन किया था लेकिन अब बीजेपी गैर जाट वोटों पर ध्यान लगा रही है। बीजेपी ने निर्दलीय विधायकों के साथ बात भी कर ली है। बीजेपी को लगने लगा है कि जजपा के साथ पार्टी को हानि होगी ऐसे में जजपा के साथ आगे की राजनीति बीजेपी नहीं करना चाहती। उसका पूरा फोकस अब गैर जाट वोटों पर है।
हरियाणा में विधान सभा की 90 सीटें है। अभी बीजेपी के पास 41 विधायक हैं।
उधर जजपा के पास दस विधायक हैं। अगर जजपा सरकार से अलग होती है तो सर्कार बचाने के लिए बीजेपी को पांच विधायकों की जरूरत होगी। हरियाणा में बीजेपी के प्रभारी विप्लव देव ने हरियाणा के निर्दलीय विधायक धर्मपाल गोंदर ,राकेश दौलताबाद ,रणधीर सिंह ,सोमवीर सांगवान और हलोपा के गोपाल कांडा से मुलाकात कर यह बता दिया था कि अगर जजपा गठबंधन से निकल भी जाती है तो खट्टर सरकार पर कोई आंच नहीं आएगी। जजपा को तब ही यह सब पता भी चल गया था। बीजेपी को लग रहा है और सात निर्दलीय विधायकों के साथ मिलकर सरकार चला सकती है। यह आंकड़ा 49 तक पहुँच सकता है।
माना जा रहा है कि हरियाणा में जाट वोटरों की संख्या 25 फीसदी है।
दावा यह भी किया जाता है कि जाट मतदाता राज्य की 35 सीटों पर दखल रखती है। बीजेपी की नजर अब जाट से अलग होकर मायावती के वोट बैंक दलित पर जा टिकी है। राज्य में जाटों के बाद सबसे बड़ा वोट बैंक दलितों का ही है। यह करीब 21 फीसदी के पास है। अभी तक बसपा दलितों को अपने साथ रख रही थी। पिछले चुनाव में बसपा को हलाकि कोई सीट यहाँ नहीं मिली लेकिन चार फीसदी से ज्यादा वोट उसे मिले थे। अब बीजेपी दलित और गैर जाटों को साधकर आगे की राजनीति करने जा रही है। बीजेपी के निशाने पर ब्राह्मण ,बनिया ,पंजाबी ,सिख जाट ,गुज्जर और अहीर हैं। इसकी संख्या करीब 70 फीसदी के पास है।