राहुल गांधी को सजा क्या मिली ,सारे विपक्षी एक मंच पर आने को आतुर हैं। सोमवार को दिल्ली में विपक्षी नेताओं का महाजुटान होने जा रहा है। यह महाजुटान तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन के नेतृत्व में हो रहा है। कल के इस जुटान में कांग्रेस के साथ ही दक्षिण की अधिकतर पार्टियां भी शामिल हो रही है इसके अलावे जदयू ,राजद ,झामुमो ,नेशनल कॉन्फ्रेंस पीडीपी के साथ ही सपा ,आप केसीआर की पार्टी बीआरएस ,शिवसेना ,एनसीपी भी शामिल हो रही है। कहा जा रहा है कि इस जुटान में सभी कई बड़े नेता होंगे।
कांग्रेस नेता और राजस्थान के मुख्यमंत्री गहलोत , राजद नेता और बिहार मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव और झामुमो नेता और झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन भी शामिल हो रहे हैं। कहा जा रहा है कि इस विपक्षी एकता का मुख्य मकसद बीजेपी को अगले चुनाव में हराना है और देश में एक ऐसी व्यवस्था कायम करना है जिससे आम लोगों को राहत मिल सके। इस बैठक को बीजेपी के खिलाफ मजबूत गठबंधन तैयार करने के लिए स्टालिन के अगले कदम के रूप में देखा जा है। वही महासंघ संयोजक डीएमके सांसद पी विल्सन इसके लिए किसी भी राजनीतिक मकसद से इनकार करते हैं। उनका कहना है कि ”यह पुरे भारत में सामाजिक न्याय आंदोलन को आगे ले जाने और हर किसी के लिए के दृष्टिकोण को साकार करने के लिए है।
बता कि विपक्षी एकता को लेकर स्टालिन का यह दूसरा प्रयास है। पिछले महीने ही स्टालिन के जन्मदिन पर कई विपक्षी नेता तमिलनाडु में जुटे थे। उस जुटान में कई तरह की बातें भी कही गई थी। लेकिन सोमवार को जो जुटान दिल्ली में होने जा रहा है इसमें कई तरह की और बातें भी की जा सकती है। कई जानकार यह भी कह रहे हैं कि भले ही इस जुटान का मकसद सबको सामाजिक न्याय दिलाने का है लेकिन असली मकसद विपक्ष को एक मंच पर लेकर अगले लोकसभा चुनाव में बीजेपी को सत्ता से हटाने का ही है।
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यह बात और है कि विपक्षी एकता को लेकर कई और भी प्रयास किये जा रहे हैं। केसीआर भी विपक्षी एकता की बात करते रहे हैं। टीएमसी नेता ममता बनर्जी भी विपक्षी एकता को हवा दे रही है और उधर नीतीश कुमार भी विपक्षी एकता को लेकर ज्यादा संजीदा है। केजरीवाल भी इस दिशा में कदम बढ़ाते।
अब देखना है कि कल की इस बैठक में कितने दल और कितने नेता शामिल होते हैं और फिर विपक्षी एकता को लेकर क्या खाका तैयार होता है।