Sukhbir Singh Badal: सुखबीर बादल को ‘तनखाईया’ घोषित करने पर बड़ा फैसला, अकाल तख्त ने खारिज किया आदेश
सिख धर्म और सियासत के केंद्र में एक बड़ा मोड़ तब आया जब श्री अकाल तख्त साहिब ने शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल को 'तनखाईया' करार देने के आदेश को अमान्य घोषित कर दिया। यह फैसला शनिवार को हुई एक अहम बैठक में लिया गया, जिसकी अध्यक्षता कार्यकारी जत्थेदार ज्ञानी कुलदीप सिंह गडगज ने की।
Sukhbir Singh Badal: सिख धर्म और सियासत के केंद्र में एक बड़ा मोड़ तब आया जब श्री अकाल तख्त साहिब ने शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल को ‘तनखाईया’ करार देने के आदेश को अमान्य घोषित कर दिया। यह फैसला शनिवार को हुई एक अहम बैठक में लिया गया, जिसकी अध्यक्षता कार्यकारी जत्थेदार ज्ञानी कुलदीप सिंह गडगज ने की।
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पटना साहिब के पंज प्यारों का निर्णय खारिज
हाल ही में पटना साहिब के पंज प्यारे द्वारा सुखबीर बादल को पंथ विरोधी गतिविधियों के चलते ‘तनखाईया’ करार दिया गया था। इस निर्णय ने सिख धार्मिक और राजनीतिक हलकों में गंभीर विवाद खड़ा कर दिया था।
लेकिन अब अकाल तख्त ने इस निर्णय को खारिज करते हुए कहा है कि यह आदेश धार्मिक सिद्धांतों और तय प्रक्रियाओं के खिलाफ था और इसे अवैध माना गया है।
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भाई गुरदयाल सिंह पर गिरी गाज
वहीं इस बैठक में पटना साहिब के हेड ग्रंथी भाई गुरदयाल सिंह को खुद ‘तनखाईया’ घोषित कर दिया गया है।
अकाल तख्त साहिब ने उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई करते हुए आदेश दिए हैं:
उन्हें किसी भी पंथक मंच पर नहीं बुलाया जाएगा।
उनकी धार्मिक सेवाओं पर तुरंत रोक लगा दी गई है।
उन्हें अगले 15 दिनों के भीतर अकाल तख्त साहिब में हाजिर होकर स्पष्टीकरण देना होगा।
सुखबीर बादल को मिली राहत
अकाल तख्त के इस फैसले से सुखबीर सिंह बादल को निश्चित रूप से बड़ी राहत मिली है। उन्हें लेकर जो धार्मिक विवाद बना था, उस पर अब औपचारिक विराम लग गया है। यह निर्णय सिख पंथ में न्यायिक संतुलन और अनुशासन को कायम रखने की दिशा में भी देखा जा रहा है।
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निष्पक्षता का संदेश
अकाल तख्त साहिब ने यह निर्णय लेकर स्पष्ट कर दिया है कि धार्मिक सिद्धांतों और मर्यादाओं का उल्लंघन करने वालों पर बिना पक्षपात कार्रवाई की जाएगी, चाहे वह कोई भी व्यक्ति हो।
अब यह देखना दिलचस्प होगा कि भाई गुरदयाल सिंह अकाल तख्त के सामने क्या रुख अपनाते हैं और आने वाले समय में उनकी पंथक भूमिका कैसी रहती है।
यह घटनाक्रम न केवल सिख धार्मिक व्यवस्था के संचालन की पारदर्शिता को दर्शाता है, बल्कि यह भी स्पष्ट करता है कि सिद्धांतों से समझौता नहीं किया जाएगा। अकाल तख्त का यह कदम सिख समुदाय के लिए मार्गदर्शक बन सकता है।
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