Guidelines before removing encroachments for road widening: सुप्रीम कोर्ट ने सड़क चौड़ीकरण के लिए अतिक्रमण हटाने से पहले दिशा-निर्देश तय किए, उत्तर प्रदेश सरकार के ‘अत्यधिक’ दृष्टिकोण पर असंतोष व्यक्त किया
Supreme Court sets guidelines before removing encroachments for road widening, expresses dissatisfaction over UP govt's 'excessive' approach
Guidelines before removing encroachments for road widening: नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा बिना उचित प्रक्रिया के घरों को ध्वस्त करने की कार्यवाही पर गहरी चिंता व्यक्त की है और सड़क चौड़ीकरण परियोजनाओं में अतिक्रमण हटाने के लिए स्पष्ट दिशा-निर्देश जारी किए हैं। मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने स्वतः संज्ञान रिट याचिका पर सुनवाई करते हुए यह निर्देश जारी किया। यह याचिका मनोज टिबरेवाल आकाश की ओर से भेजी गई शिकायत पर आधारित थी, जिनका घर 2019 में बिना पूर्व सूचना के ध्वस्त कर दिया गया था।
मामला: अवैध विध्वंस का उदाहरण
याचिकाकर्ता मनोज टिबरेवाल आकाश ने सुप्रीम कोर्ट में शिकायत की कि उनके घर को बिना पूर्व सूचना के अवैध रूप से ध्वस्त कर दिया गया था, जबकि उनके घर का अतिक्रमण केवल 3.70 मीटर तक था। प्रशासन ने इस सीमा को नज़रअंदाज़ करते हुए 8 से 10 मीटर का विध्वंस किया। सुप्रीम कोर्ट ने इसे “निरंकुश और विधि के अधिकार के बिना” कार्रवाई करार देते हुए इसे नागरिक अधिकारों का उल्लंघन माना और इस पर कड़ी निंदा की।
कोर्ट द्वारा जारी दिशा-निर्देश
सुप्रीम कोर्ट ने अब सड़क चौड़ीकरण के दौरान अतिक्रमण हटाने के लिए कानूनी प्रक्रिया का पालन सुनिश्चित करने के लिए कई दिशा-निर्देश जारी किए हैं। ये दिशा-निर्देश भविष्य में अतिक्रमण हटाने में अधिकारियों की मनमानी को रोकने के उद्देश्य से जारी किए गए हैं।
- मौजूदा चौड़ाई का पता लगाना: अतिक्रमण हटाने से पहले अधिकारियों को मौजूदा सड़क की चौड़ाई का अभिलेखों और मानचित्रों के अनुसार सटीक पता लगाना होगा।
- सर्वेक्षण और सीमांकन: मौजूदा मानचित्रों के अनुसार अतिक्रमण की जांच के लिए एक विस्तृत सर्वेक्षण और सीमांकन करना अनिवार्य होगा।
- अतिक्रमण की स्थिति में नोटिस: यदि अतिक्रमण की पुष्टि होती है, तो अतिक्रमणकर्ता को लिखित नोटिस भेजना होगा, जिसमें स्पष्ट रूप से कार्रवाई के बारे में बताया जाएगा।
- अतिक्रमणकर्ता की आपत्ति पर निर्णय: अतिक्रमणकर्ता को नोटिस मिलने पर वह आपत्ति उठा सकता है, और इस आपत्ति का निष्पक्षता से निर्णय करना होगा ताकि प्राकृतिक न्याय का पालन हो।
- अंतिम नोटिस: यदि अतिक्रमणकर्ता की आपत्ति खारिज की जाती है, तो विध्वंस की कार्रवाई से पहले अंतिम नोटिस दिया जाएगा ताकि उसे अपनी स्थिति सुधारने का समय मिल सके।
- ढोल-नगाड़े का अनुचित प्रयोग: कोर्ट ने चेतावनी दी कि केवल ढोल-नगाड़े बजाकर सार्वजनिक घोषणा के माध्यम से विध्वंस करना उचित नहीं है।
- भूमि अधिग्रहण: यदि सड़क चौड़ीकरण के लिए पर्याप्त भूमि नहीं है, तो राज्य को उचित भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया अपनानी होगी। याचिकाकर्ता को अंतरिम मुआवजे का आदेश
सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता मनोज टिबरेवाल आकाश को 25 लाख रुपये का अंतरिम मुआवजा देने का निर्देश दिया है, जिसका घर अवैध रूप से ध्वस्त किया गया था। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यह मुआवजा याचिकाकर्ता के पूर्ण मुआवजे के अधिकार को बाधित नहीं करेगा और उन्हें भविष्य में अन्य न्यायिक कार्यवाही अपनाने का अधिकार होगा।