नई दिल्ली। बृहस्पतिवार को सुप्रीम कोर्ट में चुनावों से समय जनता को फ्री चीजें बांटने का लालच देकर सत्ता में आने वाले दलों की मान्यता रद्द करने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई हुई। इस याचिका पर मुख्य न्यायाधीश एनवी रमणा व जस्टिस कृष्ण मुरारी की दो सदस्यीय पीठ में हुई।
Freebies पर Supreme Court ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि राजनीतिक दलों में पनप रही मुफ्त रेवड़ी कल्चर से देश की अर्थव्यवस्था को भारी नुकसान हो रहा है। इस पर रोक लगाना आवश्यक है। कोर्ट ने कहा कि राजनीतिक दलों से इसके संबंध में पहल किये जाने की उम्मीद नहीं की जा सकती। इसलिए विशेषज्ञ समिति बनाकर इस पर अपनी रिपोर्ट तैयार करे। इस याचिका पर अगली सुनवाई 17 अगस्त को होगी।
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उधर चुनाव आयोग की ओर से कानूनी प्रकोष्ठ के निदेशक अजय कुमार पांडे की ओर के 12 पेज का हलफनामा दाखिल किया गया, जिसमें चुनाव आयोग ने स्वयं के संवैधानिक निकाय होने का हवाला देते हुए विशेषज्ञ समिति में शामिल होने में असमर्थता जतायी। सुप्रीम कोर्ट ने इस विशेषज्ञ समिति में केन्द्र सरकार, विपक्षी राजनीतिक दलों, नीति आयोग, आरवीआई आदि के प्रतिनिधि शामिल होने चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट ने याचिका दायर के वाले भाजपा नेता व सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता अश्वनी उपाध्याय सहित सभी पक्षों के अधिवक्ताओं को इस पर रोक लगाने के संबंध में लिखित सुझाव देने के लिए कहा गया है। इस मामले में आम आदमी पार्टी की तरफ से मनु सिंधवी व विपक्षी दलों की ओर से कपिल सिब्बल व सरकार की तरफ से तुषार मेहता पैरवी कर रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट ने अगली सुनवाई की तिथि 17 अगस्त निर्धारित करते हुए सभी पक्षों से तब तक लिखित सुझाव पेश करने का आदेश दिया है।