स्वामी प्रसाद मौर्य अब बनाएंगे नई पार्टी !
UP news Politics Highlights Today Swami Prasad maurya | Samajwadi Party
UP News : यूपी में तो पहले से ही एक से बढ़कर एक पार्टी है। कांग्रेस और बीजेपी (Congress and BJP) तो है ही कई और पार्टियां भी चुनाव लड़ती (contest Election) है और जीतती भी है। हराती भी है और हारती भी है। लोकतंत्र के नाम पर पार्टियों को जो भी कुछ करने का अधिकार है सब पार्टियां करती है। बड़ी पार्टियां बड़ा खेल करती है। उसके बड़े तमाशे हैं और बड़े बोल भी। पूंजी बड़ी है तो खेल भी बड़ा होगा। छोटी पार्टियों की अपनी औकात होती है। थोड़ी ही सही लेकिन प्रभावकारी तो होती ही है।
अधिकतर पार्टियां आजकल परिवारवादी ही। वैसे कांग्रेस और बीजेपी बड़ी परिवारवादी पार्टी है। (Congress and BJP are big family based parties.) लेकिन खेल देखिये बीजेपी इसे नहीं मानती। स्वीकारती भी नहीं है। लेकिन बीजेपी के लोग ही कहते हैं कि यह पार्टी कांग्रेस से भी ज्यादा वंशवादी है ,परिवारवादी (dynastic, family oriented )है। लेकिन जनता के बीजेपी वाले यह दसबिट करने को तुले रहते हैं कि कांग्रेस सबसे खराब और बीजेपी सबसे बढ़िया। लेकिन देश की जनता। बोलते है लेकिन अधिकतर लोग इस पर कुछ बोलते नही सिर्फ मुस्कुरा देते हैं।
अब यूपी (UP) में एक नयी पार्टी का उदय होते दिख रहा है। इस पार्टी का नाम रखा गया है राष्ट्रीय शोषित समाज पार्टी। शार्ट में कहिये आरएसएसपी। स्वामी प्रसाद मौर्य (Swami Prasad Maurya) ने इस पार्टी की शुरुआत करने की पहल की है। कहा तो यहाँ तक जा रहा है कि इस के लिए सबकुछ फाइनल कर लिया गया है। झंडा ,चिन्ह और रंग भी तय किया गया है। इसके झंडे को लांच भी कर दिया गया है। इसके झंडे में हरे नील और लाल रंग का उपयोग किया गया है। यह भी कहा जा रहा है कि 22 फरवरी को दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में इस पार्टी की बड़ी लॉन्चिंग होगी और बड़ा सम्मलेन भी। खबर ये भी है इस सम्मलेन में यूपी के ही नहीं कई राज्यों के जातीय नेता भी शामिल होने। कई दलों का विलय भी होगा। कहने वाले तो यह भी कह रहे हैं कि इस पार्टी को देश भर में फैलाया जाएगा और लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Elections) में भी इस पार्टी के बैनर पर कई उम्मीदवारों को खड़ा किया जायेगा।
स्वामी प्रसाद मौर्य कोई मामूली नेता नहीं है। उन्होंने कई पार्टियों की परिक्रमा पहले ही कर राखी है। अभी सपा में महासचिव थे। यूपी के बड़े नेताओं में उनकी गिनती की जाती है। उनकी अपनी समझ है और अपने राजनीतिक अंदाज भी। उनके पास भी जातीय खेल है और जातीय वोट भी। लोकसभा चुनाव में चाहे कुछ भी न कर सके लेकिन विधान सभा चुनाव में कुछ तो खेल कर ही जाएंगे।
स्वामी की इस राजनीति से अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) की परेशानी बढ़ गई है। उन्हें लगने लगा है कि जयंत (jayant) के जाने से उनकी राजनीति तो पहले से ही कमजोर हो चुकी है और अब स्वामी चले जाते हैं और पार्टी बनाकर चुनावी मैदान में उतारते हैं तो सबसे ज्यादा हानि सपा (sp) को ही होगी। इसलिए सपा की तरफ से स्वामी को मनाने की कोशिश की जा रही है। सपा नेता गोविन्द चौधरी को मौर्य के पास भेजा है। उनकी मुलाकात भी हो गई है लेकिन अभी तक मौर्य झुकने को तैयार नहीं है। अगर स्वामी नहीं झुके तो खेल गड़बड़ होगा और बीजेपी को लाभ होना तय माना जा रहा है।
मौर्य नैदव को जो पात्र लिखा था उसमे कई सन्देश भी है। उन्होंने राम मनोहर लोहिया (Ram Manohar Lohia) को कोट करते हुए कहा था कि लोहिया समेत सामाजिक न्याय के पक्षधर सभी बड़े नेताओं ने कहा था 85 बनाम 15 की राजनीति होनी चाहिए। लेकिन सपा इस नारे पर नहीं चल रही है। और यह सब ऐसे ही चलता रहा तो सपा का खेल भी ख़राब हो जाएगा।
स्वामी प्रसाद मौर्य अगर नहीं मानते हैं तो साफ़ है कि उन्हें आगे बढ़ाने में बीजेपी का हाथ हो सकता है। बीजेपी चाहती है कि स्वामी उन वोटों को काट दे जो अभी तक सपा को मिलते रहे हैं। और ऐसा होता है तो बीजेपी सभी सीटें जीत सकती है। सपा यही सब समझकर फिर से स्वामी को मनाने में जुटी है।