Tamil Nadu News: तमिलनाडु का त्रिपुर शहर खाली हो गया है। शहर के हर गली मोहल्ले से झुण्ड के झुण्ड कामगार निकल रहे हैं और स्टेशन की तरफ बढ़ रहे हैं। कुछ पूछिए तो जवाब नहीं मिलता। सब यही कह रहे हैं कि वे घर जा रहे हैं। होली है इसलिए अपने गांव जा रहे हैं। इस झुण्ड में अधिकतर लोग उत्तर भारत के हैं। उसमे भी यूपी और बिहार के सबसे ज्यादा। बिहार में भी उत्तरी बिहार के। क्या यहां कोई घटना हुई है ? या किसी ने कामगारों पर हमला किया है ? इसके उत्तर किसी के पास नहीं है। कोई कुछ बोलता ही नहीं। एक कामगार ने बस यही कहा कि अभी तो हम गांव जा रहे हैं होली के बाद स्थिति ठीक होगी तो लौटेंगे नहीं तो कही और ठिकाना ढूंढेंगे। जब मजदूरी ही करनी है तो कहीं भी कर लेंगे। अब इस बयान के क्या मतलब हैं ,सहज ही निकाले जा सकते हैं। कोई बात तो जरूर है जो प्रवासी मजदूरों को डराए हुए है।
डर के मारे कई मजदूर तो ट्रेन की टॉयलेट में बैठकर घर को हुए मजबूर
खबर के रूप में पिछले सप्ताह भर पहले एक वीडियो जारी हुआ जिसमे कुछ लोगो को मारते -पीटते दिखाया गया। कह सकते हैं कि यह वीडियो प्रताड़ना को दिखा रहा था। कुछ दिन के बाद सड़क पर एक लाश पड़ी मिली। बवाल हो गया। मजदूरों में घबराहट हुई और सबने इसकी सुचना अपने घर वालो को दी। घर घबराये। कहा जाने लगा कि तमिलनाडु में बिहारी मजदूरों पर हमले हो रहे हैं। राजनीति गरमा गई।
बिहार विधान सभा में विपक्ष ने नीतीश सरकार से सवाल किया और मजदूरों को बचाने की बात कही। सरकार तैयार हुई और पहले नीतीश कुमार ने तमिलनाडु के मुख्यमंत्री स्टालिन से बात की। बाद में स्टालिन ने भी नीतीश कुमार लगातार बात कर रहे हैं। बिहार से अब बड़े अधिकारीयों का एक दल तमिलनाडु पहुंचा है। लेकिन अभी तक कोई बड़ी जानकारी वहां से नहीं आयी है। लेकिन मजदूरों का पलायन जारी है।
ट्रैन पकड़ने स्टेशन पर पहुंचे कुछ मजदूरों ने इतना कहा कि यहां के स्थानीय लोग गालियां देते हैं और डराते भी हैं। इसी गली गलौज में कुछ झगडे हुए हैं लेकिन कोई बड़ी घटना नहीं है। उधर सीएम स्टालिन ने बयान दिया है कि किसी भी प्रवासी श्रमिकों को डरने की जरूरत नहीं है। अगर कोई आपको धमकी देता है तो हेल्पलाइन पर कॉल कीजिये। तमिलनाडु सरकार और हमारे लोग सभी प्रवासी भाइयों की रक्षा के लिए खड़े हैं।
तमिलनाडु का तिरुपुर शहर टेक्सटाइल उद्योग के लिए मशहूर है। यहां कपडे की कई फैक्ट्रियां है और बड़ी संख्या में प्रवासी मजदुर यहाँ काम करते हैं। उत्तर भारत के लोगो को यहां बिहारी ही कहा जाता है जैसा कि कई दूसरे राज्यों में भी मजदुर चाहे उत्तर भारत के किसी भी राज्य के क्यों न हो उनका सम्बोधन बिहारी ही होता है। ये प्रवासी मजदुर यहां काफी मेहनत करते हैं और 12 से 14 घंटे तक ड्यूटी करते हैं।
लेकिन तमिलनाडु के मजदुर उतने ही पैसे में आठ घंटे से ज्यादा काम नहीं करना चाहते। तमिलनाडु के लोग अक्सर यह कहते रहते हैं कि ये बिहारी सब ही यहां के फैक्ट्री वाले का मन बढ़ा दिया है। ये खुद भी शोषित होते हैं और बाजार को भी खराब करते हैं। संभव है कि इस वजह से भी दोनों गुटों में कुछ घटनाएं हुई हो।
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एक और बात सामने आयी। एक चाय की दूकान पर एक स्थानीय युवक ने सिगरेट का धुंआ एक उत्तर भारतीय मजदुर के मुँह पर छोड़ दिया। कहा सुनी हुई और झगड़ा हो गया। कई उत्तर भारतीय पहुंचे और उस सिगरेट वाले युवक को खदेड़ दिया। फिर आपसी लड़ाई भी हुई। खबर पहुंचाई गई कि बिहार मजदुर तमिलों को मार रहे हैं फिर क्या था। तमिल गौरव का नारा लगने लगा। माहौल गर्म हो गया।
अब इस पुरे भय के माहौल में तिरुपुर भुतहा शहर बन गया है। पूरा शहर खाली है और सारे खारखाने लगभग बंद। यहां की 70 फीसदी फैक्ट्रियां बंद हो गई है। कोई मजदुर मिल नहीं रहा। यह बात है कि मजदूरों के लिए मिल संघ ने कहा है कि डरने की कोई जरूरत नहीं है और जो वीडियो दिखाए गए थे वे फर्जी थे। लेकिन मजदुर रुकने का नाम नहीं ले रहे। अब इसी बीच राजनीति भी जारी हो गई है। स्थानीय कई राजनितिक दल स्टालिन सरकार को भी घेर रहे हैं। कई दल सरकार के पक्ष में हैं तो कई दल खिलाफ में भी। बीजेपी स्टालिन सरकार पर ज्यादा हमलावर है। कुछ स्थानीय पार्टियां अपना दाव तलाश रही है।