Environmental Cleanup: विश्व पर्यावरण दिवस पर चला अब तक का सबसे बड़ा हिमालयी सफाई अभियान
विश्व पर्यावरण दिवस के मौके पर हिमाचल और उत्तराखंड में 7000 से अधिक स्वयंसेवकों ने सबसे बड़े सफाई अभियान में भाग लिया। इस दौरान देहरादून, पिथौरागढ़ और डी.डी. हार्ट सहित कई स्थानों से 7000 किलोग्राम से अधिक कचरा एकत्र किया गया। वेस्ट वॉरियर्स संस्था के नेतृत्व में चले इस अभियान में स्थानीय समुदायों और युवाओं की सक्रिय भागीदारी देखने को मिली।
Environmental Cleanup: पर्यावरण दिवस के अवसर पर उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश के हिमालयी क्षेत्रों में इतिहास रच दिया गया। पर्यावरण संरक्षण के प्रति जन-जागरूकता को सशक्त रूप देने के उद्देश्य से आयोजित सफाई अभियान में 7000 से अधिक स्वयंसेवकों ने भाग लिया और एक दिन में ही 7000 किलोग्राम से अधिक कचरा हटाया। इस व्यापक पहल का नेतृत्व “वेस्ट वॉरियर्स” संस्था ने किया, जो हिमालयी राज्यों में ठोस कचरा प्रबंधन और पर्यावरणीय स्थिरता को लेकर लंबे समय से सक्रिय है।
देहरादून से हुई शुरुआत, युवाओं की रही अहम भूमिका
देहरादून इस अभियान का केंद्रबिंदु बना, जहां FRI परिसर, टपकेश्वर मंदिर, शिमला बायपास, शेरपुर, जोहरी गांव, क्लेमनटाउन, और UPES कंडोली कैंपस जैसे क्षेत्रों में बड़े स्तर पर सफाई अभियान चला। अकेले देहरादून से ही लगभग 4500 किलोग्राम कचरा इकट्ठा किया गया। इस अभियान में स्थानीय कॉलेजों, एनसीसी बटालियनों, स्कूली छात्रों, सामाजिक संगठनों और नगर निगम की भागीदारी रही।
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पिथौरागढ़ और डीडीहाट में चला जन-सहयोग का उदाहरण
पिथौरागढ़ और डीडीहाट में यह अभियान अंकित जयाल और हंसा पन्नू के नेतृत्व में चलाया गया, जिन्होंने स्थानीय युवाओं, स्कूलों और स्वयंसेवी समूहों को संगठित कर नगर और ग्रामीण इलाकों में सफाई अभियान चलाया। इस पहल ने न केवल पर्यावरण के प्रति जागरूकता बढ़ाई बल्कि युवाओं में नेतृत्व और भागीदारी की भावना को भी मजबूती दी।
राज्य के अन्य क्षेत्रों में भी दिखा अभियान का प्रभाव
देहरादून और पिथौरागढ़ के अलावा, यह अभियान उत्तराखंड के अन्य भागों में भी सक्रिय रूप से चला। जैसे:
कैंपटी फॉल्स (मसूरी)
गोविंद वन्यजीव क्षेत्र (उत्तरकाशी)
गंगोत्री नेशनल पार्क
आसन बैराज (विकासनगर)
मनसा देवी (हरिद्वार)
नीलकंठ मंदिर (ऋषिकेश)
इन सभी स्थलों पर स्थानीय स्वयंसेवकों के साथ वन विभाग, नगर निकाय, पर्यावरणविदों और धार्मिक संगठनों ने भी योगदान दिया। हिमाचल प्रदेश के शिमला, मनाली और धर्मशाला जैसे क्षेत्रों में भी यह अभियान समान रूप से सफल रहा।
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समाज के हर वर्ग से मिला सहयोग
इस सफाई अभियान में समाज के हर वर्ग की भागीदारी देखने को मिली — महिला मंडल, तिब्बती समुदाय, पुलिस बल, वन विभाग, धार्मिक संगठन, कॉलेज के विद्यार्थी, स्कूली छात्र, गैर-सरकारी संस्थाएं, और स्थानीय नागरिक सभी ने मिलकर हिमालयी क्षेत्रों को साफ रखने का संकल्प लिया।
एक नई शुरुआत, एक स्थायी उद्देश्य
वेस्ट वॉरियर्स का उद्देश्य सिर्फ सफाई तक सीमित नहीं है, बल्कि वह हिमालयी क्षेत्रों में विकेन्द्रीकृत ठोस कचरा प्रबंधन प्रणाली की स्थापना पर काम कर रही है। इस अभियान के बाद एकत्रित कचरे को रिसाइक्लिंग के लिए प्रोसेस किया जा रहा है ताकि यह पर्यावरण पर बोझ न बने।
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पर्यावरण की रक्षा, सामूहिक प्रयास से संभव
विश्व पर्यावरण दिवस 2025 का यह अभियान सिर्फ एक आयोजन नहीं, बल्कि एक जन-आंदोलन था। इसने यह स्पष्ट कर दिया कि जब समाज के हर कोने से लोग पर्यावरण के लिए साथ आते हैं, तो असंभव भी संभव हो जाता है। इस ऐतिहासिक दिन को हिमालयी क्षेत्रों के लिए “हरित क्रांति” के रूप में याद किया जाएगा।
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