गोंडा। जनपद में दो बुजुर्ग जिंदा होने के बावजूद सरकारी दस्तावेजों में मर चुके हैं। उन्हें मिलने वाली पेंशन भी करीब तीन साल से बंद हो गयी है। तभी से ये दोनों ‘मृत’ बुजुर्ग खुद को ‘जिंदा’ कराने के लिए संबंधित अधिकारियों के चक्कर काट रहे हैं, लेकिन उन्हें अभी तक ‘जिंदा’ नहीं किया जा सका है। अब सीडीओ मामले की जांच करवा रहे हैं। उन्होने दोनों की पेंशन बहाल कराने का आश्वासन दिया है।
गोंडा जिले के वजीरगंज ब्लाक के गांव नियामतपुर के 92 साल के भगौती प्रसाद का कहना है कि मैं अभी जिंदा हूं, लेकिन सरकारी दस्तावेजों में पता नहीं कैसे मुझे मरा घोषित कर दिया गया, जिससे पिछले 3 साल से मिलने वाली 5 सौ रुपयो की पेंशन मिलना बंद है। यदि संबंधित अधिकारी मुझे सरकारी कागज पर जिंदा दर्शा दें तो दोबारा पेंशन मिलनी शुरु हो जाए। इसके लिए उन्होने मुख्य विकास अधिकारी से गुहार लगायी है।
भगौती प्रसाद की तरह नियामतपुर गांव के भीटीया मजरे के रहने वाले 70 वर्षीय जगदीश भी अभी जिंदा हैं, लेकिन उन्हें भी अज्ञात कारणों से पेंशन से संबंधित कागजों में मृत दर्शा दिया गया है और उनकी भी पिछले एक साल से पेंशन बंद है। इन दोनों बुजुर्गों की अभी तक कहीं कोई सुनवाई नही हो सकी है।
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अब ये दोनों कथित मृत बुजुर्ग मुख्य विकास अधिकारी गौरव कुमार से मिले हैं। सीडीओ ने बताया कि दोनों बुजुर्गों के मामले मेरे संज्ञान में आये हैं और वे इसकी जांच करवा रहे हैं। जांच रिपोर्ट आते ही दोनों की पेंशन तत्काल प्रभाव से निर्गत जारी कर दी जाएगी और जो भी कर्मचारी इसके लिए दोषी पाया जाएगी, उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। बहरहाल सीडीओ की पहल पर यदि दोनों बुजुर्गों की पेंशन बहाल हो गयी तो दोनों बुजुर्गों के चेहरों पर पड़ी झुर्रियों की सिकुड़न थोड़ी कम हो सकती है।