पटना। बिहार(Bihar) की नीतीश (Nitish Kumar) सरकार के मंत्रिमंडल के विस्तार में कानून मंत्री(law minister) कार्तिकेय सिंह के शपथ लेने के बाद से ही वे विवादों में हैं। मजे की बात है कि अदालत के आदेश पर जिस तिथि को कार्तिकेय को अपने आपको अदालत के समक्ष आत्म समर्पण करना चाहिए था, उस दिन यानी 16 अगस्त को उन्होने कानून मंत्री की शपथ ली।
भाजपा(BJP) का आरोप है कि वह अपहरण के एक मामले में अदालत से भगौड़े नई नीतीश सरकार के बनते ही बिहार में जंगलराज लौटने चर्चा पहले से जोर पकड़ रही थी, लेकिन एक अब एक भगौडे आरोपी को मंत्री बनाये जाने से भाजपा नीतीश सरकार को घेरने के लिए काफी मुखर हो गयी है।
कार्तिकेय(Kartikey) सिंह को मंत्रिमंडल में शामिल करने को लेकर नीतीश का जमकर किरकिरी हो रही है। बिहार की पूरी सरकार अपने मंत्री के पक्ष में खड़ी दिख रही है, जबकि मीडिया भी अदालत के आदेश की प्रति दिखाकर जब राष्ट्रीय जनता दल के नेताओं से कार्तिकेय सिहं के बारे में सवाल पूछ रहा है, तो वे उसे वारंट को मानने से ही इंकार कर रहे हैं। मजे की बात यह है कि जिस व्यक्ति के खिलाफ अदालत से वारंट जारी है, उसे कानून मंत्री बनाये जाना वाकई लोकतंत्र के साथ बहुत बड़ा मज़ाक है।
हालांकि थाना बिहटा में दर्ज वर्ष 2014 के जिस मामले को लेकर मुद्दा उछला हुआ है, उसके संबंध में अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश व्यवहार न्यायालय दानापुर ने थाना मोकामा पुलिस को आदेश देकर कहा कि इस मामले में वह अभियुक्त कार्तिकेय कुमार उर्फ कार्तिकेय सिंह उर्फ मास्टर साहब को 1 सितम्बर, 2022 तक कोई जबरदस्ती न करे, एक सितम्बर तक पुलिस उन्हें गिरफ्तार नहीं कर सकती।
इस आदेश को सार्वजनिक किये जाने के बावजूद राजद नेता कानूनी मंत्री को दोषी मानने या वांछित अपराधी बता रहे हैं। आने वाले समय में इस मामले में कानून मंत्री कार्तिकेय सिंह को जबाब देना ही पडेगा।