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Dehradun famous speed breaker case:देहरादून: चर्चित स्पीड ब्रेकर मामला, हादसों के बाद प्रशासन ने की सफेद मार्किंग, क्या अब थमेंगी दुर्घटनाएँ?

Dehradun's famous speed breaker: घंटाघर क्षेत्र में कई सड़क हादसों के बाद प्रशासन ने स्पीड ब्रेकर को सफेद पेंट से चिह्नित किया, ताकि वाहन चालक सतर्क रहें और दुर्घटनाओं पर रोक लगाई जा सके।

Dehradun famous speed breaker case: देहरादून। उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में सड़क सुरक्षा का मुद्दा इन दिनों चर्चा में है। खासकर घंटाघर पर हाल ही में बने स्पीड ब्रेकर को लेकर। लगातार हो रही सड़क दुर्घटनाओं के बाद प्रशासन और संबंधित विभाग हरकत में आए और अब इस स्पीड ब्रेकर को सफेद पेंट से चिह्नित किया गया है। इसका उद्देश्य वाहन चालकों को सतर्क करना और दुर्घटनाओं को रोकना है।

स्पीड ब्रेकर और दुर्घटनाओं की शुरुआत

घंटाघर पर यह स्पीड ब्रेकर तीन दिन पहले रातों-रात बनाया गया था। लेकिन इसके निर्माण के बाद न तो इसे उचित रंग से चिह्नित किया गया और न ही वहां कोई साइन बोर्ड लगाया गया। परिणामस्वरूप वाहन चालक तेज गति में इसे देख नहीं पाए और कई दुर्घटनाएं हुईं।

पहली रात ही इस ब्रेकर पर सात हादसे दर्ज किए गए। इनमें एक तीन साल का बच्चा और एक अन्य व्यक्ति गंभीर रूप से घायल हो गए। इन घटनाओं के वीडियो वायरल होने के बाद प्रशासन पर सवाल उठे और मामले ने तूल पकड़ लिया। इसके बाद, अधिकारियों ने संज्ञान लेते हुए स्पीड ब्रेकर पर सफेद मार्किंग करवाई।

पहले हुए हादसों से सबक

यह घटना एक महीने पहले ओएनजीसी चौक पर हुए बड़े हादसे की याद दिलाती है। 11 नवंबर को एक तेज रफ्तार इनोवा कार दुर्घटनाग्रस्त हो गई थी, जिसमें छह छात्रों की दर्दनाक मौत हो गई। इस हादसे ने प्रशासन को सड़क सुरक्षा के लिए सख्त कदम उठाने पर मजबूर कर दिया। इसी कड़ी में प्रमुख चौराहों पर स्पीड ब्रेकर बनाने का निर्णय लिया गया।

घंटाघर पर बने इस स्पीड ब्रेकर का उद्देश्य भी सड़क सुरक्षा सुनिश्चित करना था, लेकिन मानकों की अनदेखी के चलते यह दुर्घटनाओं का कारण बन गया।

The famous speed breaker case, after the accidents the administration did white marking, will the accidents stop now?

प्रशासन और स्थानीय लोगों की प्रतिक्रिया

दुर्घटनाओं के बाद जिलाधिकारी सविन बंसल ने कहा, “स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत यह स्पीड ब्रेकर बनाया गया था। यदि निर्माण में कोई लापरवाही हुई है तो उसकी जांच की जा रही है और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी।”

स्थानीय निवासियों ने भी अपनी राय दी। उनका कहना है कि स्पीड ब्रेकर बनाना जरूरी है, लेकिन इसकी ऊंचाई और डिजाइन ऐसी होनी चाहिए जिससे दुर्घटनाओं से बचा जा सके। साथ ही, हर स्पीड ब्रेकर को चिह्नित करना और साइन बोर्ड लगाना अनिवार्य होना चाहिए।

क्या सफेद मार्किंग पर्याप्त होगी?

सफेद पेंट और साइन बोर्ड लगाने के बाद सवाल यह उठता है कि क्या इससे दुर्घटनाओं पर पूरी तरह से रोक लग पाएगी? विशेषज्ञों का मानना है कि सड़क सुरक्षा के मानकों का सख्ती से पालन और वाहन चालकों की जागरूकता ही हादसों को रोक सकती है। इसके अलावा, ट्रैफिक पुलिस की सक्रियता भी महत्वपूर्ण है।

आगे की योजना

प्रशासन ने अन्य प्रमुख चौराहों पर बने स्पीड ब्रेकरों की भी जांच का आश्वासन दिया है। जहां जरूरी होगा, उन्हें मानकों के अनुसार ठीक किया जाएगा। इस घटनाक्रम ने सड़क सुरक्षा और यातायात प्रबंधन की खामियों को उजागर किया है।

घंटाघर का यह मामला संदेश देता है कि केवल सड़क सुरक्षा नियम बनाना ही पर्याप्त नहीं है। इनका प्रभावी क्रियान्वयन और निगरानी भी उतनी ही जरूरी है। अब देखना यह है कि सफेद मार्किंग के बाद दुर्घटनाओं में कमी आती है या नहीं।

Written By। Mansi Negi । National Desk। Delhi

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