धर्म-कर्म

हैरान कर देने वाली है उज्जैन श्री दुर्धरेश्वर महादेव की महिमा

Shri Durdhareshwar Mahadev: देशभर में भगवान शिव के सैकड़ों मंदिर स्थापित हैं। हर एक मंदिर की अपनी एक मान्यता है। लेकिन उज्जैन में चौरासी भोलेबाबा का अपना पौराणिक महत्व है. सावन के माह में यहां के तीर्थस्थलों का महत्व और भी ज्यादा बढ़ जाता है. सावन के माह में दूर-दूर से यहां दर्शन करने के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं.

आपको बता दें महाकाल की नगरी उज्जैन धर्म नगरी के तौर पर देश, विश्व में जानी जाती है. श्री दुर्धरेश्वर महादेव (Shri Durdhareshwar Mahadev) की महिमा बेहद निराली है. माना जाता हैं यहां भोलेनाथ की सच्चे मन से दर्शन करने से बिछड़े या खोये परिवार के सदस्य फिर से मिल जाते हैं. श्री दुर्धरेश्वर महादेव को 84 महादेवों में सत्तरवां स्थान प्राप्त है. यहां के शिवलिंग के एकमात्र दर्शन करने से ही सहस्त्र ब्रह्महत्या जैसे महापाप धुल जाते है.

कहां है दुर्धरेश्वर महादेव?

Durdhareshwar Mahadev

जानकारी के मुताबिक बता दें दुर्धरेश्वर महादेव (Shri Durdhareshwar Mahadev) का अत्यंत प्राचीन मंदिर शिप्रा नदी के पास गंधर्व घाट पर स्थित है. मंदिर के पुजारी पं. आशुतोष शास्त्री बताते हैं मंदिर का मुख पश्चिम दिशा की तरफ है. जिसके गर्भगृह में प्रभु श्री दुर्धरेश्वर महादेव (Shri Durdhareshwar Mahadev) की काले पाषाण की मूर्ति शिवलिंग के रूप में स्थापित है. मंदिर में भगवान भोलेनाथ की इस मूर्ति के साथ ही माता पार्वती, कार्तिकेय स्वामी, श्री गणेश और नंदी जी की मूर्तियां भी स्थापित है.

इसके साथ ही मंदिर में 2 शंख और सूर्य, चंद्र की आकृति नजर आती है. मंदिर के पुजारी का कहना है प्रतिदिन यहां महादेव की पूजन-अर्चन और जल अर्पण का अपना महत्व है, लेकिन पूर्णिमा और अमावस्या के दिन मंदिर में बड़ी संख्या में भक्तों की भीड़ उमड़ती हैं. कहा जाता हैं – यहां चतुर्दशी पर पूजन से सभी मनोकामना पूरी हो जाती हैं.

Shri Durdhareshwar Mahadev की पौराणिक कहानी

Durdhareshwar Mahadev

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आपको बात दें नेपाल में दुर्धरेश्वर नाम का एक राजा राज्य करता था. उन्हें वन में घूमते वक्त एक सुंदर कन्या पसंद आ गई. वह उस कन्या के साथ विवाह करना चाहते थे. राजा ने कन्या के बारे में सभी जानकारी प्राप्त की. राजा कन्या के पिता तपस्वी कल्प के पास उनकी पुत्री का हाथ मांगने गए. तपस्वी कल्प ने अपनी पुत्री का विवाह राजा के साथ करा दिया. राजा पत्नी को लेकर वन में रहने लगे. वन में उसे इतना वक्त लग गया कि वह भूल ही गया कि वो किसी राज्य का राजा है.

राजा को मिल गई खोई पत्नी

इसी दौरान राजा की पत्नी का एक दैत्य ने हरण कर लिया. जब तपस्वी कल्प को पता चला तो उन्होंने राजा को महाकाल वन उज्जैन स्थित एक विशेष शिवलिंग के बारे में बताया और कहा – वहां सच्चे मन से भगवान भोलेनाथ की पूजा करने से आपको न सिर्फ आपकी खोई हुई पत्नी वापस मिल जाएगी बल्कि आपको आपका खोया हुआ राज्य भी मिल जाएंगा. भगवान की पूजा-अर्चना करने से राजा को अपनी खोई हुई पत्नी वापस मिली गई थी. तभी से शिवलिंग श्री दुर्धरेश्वर महादेव (Shri Durdhareshwar Mahadev) के नाम से जाना जाता है.

Written By । Prachi Chaudhary । Nationa Desk । Delhi

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