मुंबई: महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे की सरकार जाते ही विपक्षियों ने उनके निजी व्यवहार और सरकारी कामकाज सवाल उठाने शुरु हो गये हैं। इस क्रम में मध्यप्रदेश के गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने उद्धव ठाकरे पर बड़ी ही बिंदास टिप्पणी की है। नरोत्तम मिश्रा ने तंज की भाषा में कहा कि उद्धव ठाकरे ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पद रहते हुए हनुमान भक्तों पर अपमान किया। उनको हनुमान चालीसा के पाठ का विरोध किया था और यही विरोध उन्हें ले डूबा। हनुमान चालीसा के पाठ का विरोध करने पर ही शिवसेना के 40 विधायक उनसे दूर चले गये और इसका खामियाजा उन्हें सत्ता गंवाकर भुगतना पड़ा।
उधर शिवसेना प्रवक्ता संजय राउत उद्धव गुट को हर मोर्चे पर बुरी तरह मात मिलने से बुरी तरह बौखलाए हुए हैं। वे चाहकर भी अब आक्रामक तेवर नही दिखा पा रहें, फिर भी उनकी बातों में अपनी हार का दर्द और कुंठा साफ दिखायी दे रही है। राउत ने कहा कि हमें अपनों ने धोखा दिया है। हमारी पीठ में खंजर घोंपा गया है। उनका इशारा शिंदे गुट के बागी विधायकों से था, लेकिन उन अपनों को आखिर उनके साथ ऐसा क्यों करना पड़ा, उसके लिए कौन जिम्मेदार है, उस पर वे चुप्पी साधे हैं।
महाराष्ट्र में एक सप्ताह तक जो सियासी ड्रामा चला, उसके मुख्य किरदार बेशक एकनाथ शिंदे रहे, लेकिन इस सारे प्रकरण में उद्धव गुट का प्रतिनिधित्व करने वाले संजय राउत भले ही उद्धव व शिवसेना हितैषी और संकटमोचक होने का दंभ भरते रहे, लेकिन सरकार बचाने के उनके सारे प्रयासों की भूमिका नकारात्मक रुप में ज्यादा सामने आयी।
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संजय राउत के बड़बोलेपन और आक्रामकत दिखाने से उद्धव ठाकरे सरकार के सामने चुनौतियां कम होने की बजाय बढती हीं गयी और शिंदे गुट को इसका फायदा मिलने से उसकी स्थिति तकनीकी और कानूनन भी मजबूत होती गयी। संजय राउत की गलत रणनीति के कारण ही उद्धव को कुर्सी छोड़ने पड़ी और अब भाजपा के साथ मिलकर शिंदे गुट नयी सरकार बनाने की रणनीति सफल हुई। जल्द ही शिंदे गुट के शिवसेना विधायक महाराष्ट्र की नई सरकार का महत्वपूर्ण हिस्सा होंगे।