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आखिर अखिलेश यादव ने क्यों कहा कि बीजेपी के पास निकाय चुनाव में मुकाबला के लिए प्रत्याशी नहीं है ?

यूपी का निकाय चुनाव सभी सियासी दलों के लिए प्रतिष्ठा का विषय बना हुआ है। राजनीतिक दलों को लग रहा है कि निकाय चुनाव में जिसकी जीत होगी आगामी लोक सभा चुनाव में उसे लाभ मिलेगा। सत्तारूढ़ बीजेपी किसी भी सूरत में निकाय चुनाव में अपना परचम लहराने को तैयार है। इसकी वजह है कि पिछले कई महीनों से यूपी में अपराधियों के साथ जिस तरह का एक्शन सरकार करती दिख रही है उससे समाज का एक तपका योगी सरकार से भले ही खुश नजर आता हो लेकिन सरकार पर सवाल भी उठ रहे हैं।

सरकार पर आरोप लग रहे हैं कि योगी सरकार गैर हिन्दू अपराधियों को टारगेट तो कर रही है लेकिन सत्ता के करीब एक खास समुदाय के अपराधी आज भी अपराध करते दिख रहे हैं। हालांकि इस तरह के आरोप योगी सरकार पर पहले से ही लगते रहे हैं लेकिन अतीक बंधुओं की हत्या के बाद योगी सरकार पर तीखे हमले आज भी जारी हैं।
उधर सपा प्रमुख अखिलेश यादव योगी सरकार की विकास योजनाओं पर भी लगातार सवाल उठा रहे हैं। निकाय चुनाव में जिस तरह से सपा और और दूसरी पार्टियों के नेताओं को अपने खेमे में लेकर बीजेपी उसको टिकट दे रही है उसको लेकर सपा प्रमुख लगातार बीजेपी पर हमला भी कर रहे हैं। अभी आज ही अखिलेश यादव का यह ट्वीट सबको चौंका दिया जिसमे उन्होंने बीजेपी पर यह आरोप लगाया कि देश -दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी के पास चुनाव लड़ने के लिए कोई प्रत्याशी नहीं है।

दरअसल अखिलेश यादव का यह ट्वीट उस समय आया जब शाहजहांपुर से सपा प्रत्याशी की मेयर उम्मीदवार अर्चना वर्मा ने बीजेपी का दामन थाम लिया। सपा को लग रहा था कि अर्चना को मैदान में उतारकर सपा शाहजहांपुर बीजेपी को चुनौती देगी लेकिन खेल ख़राब हो गया। सपा अर्चना के इस कदम से बौखला भी गई। अर्चना को बीजेपी ने लखनऊ बुलाया और फिर ब्रजेश पाठक ने उन्हें बीजेपी में शामिल करने का ऐलान कर दिया। यही वजह है कि अर्चना को लेकर सपा के लोग अब बीजेपी पर हमला कर रहे हैं। सपा कह रही है कि बीजेपी के पास पाना कोई उम्मीदवार नहीं है इसलिए वह दूसरी पार्टी के नेताओं को मैदान में उतार रही है।


अखिलेश यादव ने ट्वीट किया है, “दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी का दावा करने वालों का दिवालियापन देखिए कि उनके पास चुनाव लड़ाने के लिए प्रत्याशी तक नहीं है। इसका मतलब या तो भाजपा के पास कोई कार्यकर्ता नहीं है या फिर भाजपा में अपने कार्यकर्ताओं को टिकट न देकर अपमान करने की परंपरा है। भाजपा अंदरूनी लड़ाई में उलझी है।”
बता दें कि अर्चना वर्मा सपा के बड़े नेता राममूर्ति परिवार की बहु हैं। राममूर्ति वर्मा सपा के कद्दावर नेता थे और वे दो बार सांसद और चार बार विधायक रह चुके थे। राममूर्ति वर्मा दो बार प्रदेश सरकार में मंत्री भी रह चुकी है। इसके साथ ही अर्चना के पति राजेश वर्मा भी सपा की टिकट पर दो बार चुनाव लड़ चुके हैं। इसके साथ ही अर्चना खुद भी जिला पंचायत अध्यक्ष रह चुकी है।
अर्चना वर्मा को सपा ने शाहजहांपुर से मेयर प्रत्याशी के रूप में खड़ा किया था। अर्चना पार्टी के सभी कार्यक्रमों में भी शामिल हो रही थी और वह अपना प्रचार भी कर रही थी। लेकिन रविवार को वह अचानक लखनऊ पहुँच गई और बीजेपी में शामिल हो गई। बता दें कि शाहजहांपुर में पहली बार नगर निगम चुनाव हो रहे हैं।

Akhilesh Akhil

Political Editor

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