कर्नाटक के रेड्डी बंधुओं को कौन नहीं जनता? अक्सर इनकी चर्चा होती है। बीजेपी को कर्नाटक में स्थापित करने में इन बंधुओं की भूमिका के सब कायल हैं। बीजेपी पर एहसान है इनका। पहले खनन कारोबार पर ही इनका दखल था फिर बाद में राजनीतिक दखल बढ़ी तो बीजेपी यहां मजबूत हुई। बीजेपी की जीत में रेड्डी बंधुओं की भूमिका को तब सबने सराहा भी था। लेकिन अब वही रेड्डी बंधू बीजेपी से खफा हैं और पार्टी से विलग होकर बीजेपी के खिलाफ दुदुम्भी कर रहे हैं। रेड्डी बंधू अब अलग पार्टी बनाकर चुनाव मैदान में उतरने जा रहे हैं। कहा जा रहा है कि रेड्डी बंधू दर्जन -दो दर्जन सीटों की लड़ाई लड़ेंगे ताकि किंग मेकर की भूमिका में आ जाए। सब जानते हैं कि रेड्डी बंधुओं ने ऐसा किया तो बीजेपी की परेशानी बढ़ेगी। वैसे भी मौजूदा बीजेपी सरकार विपक्ष के निशाने पर और कांग्रेस किसी भी सूरत में यहां सत्तासीन होने की तैयारी में है।
कर्नाटक में रेड्डी बंधुओं की अपनी हैशियत है। तीन भाइयों की राजनीति में दखल है। दो भाई अभी भी बीजेपी के विधायक है। इनके नाम हैं करुणाकर रेड्डी और सोमशेखर रेड्डी। लेकिन एक भाई जनार्दन रेड्डी अभी हाल में ही जेल काटकर लौटे हैं और एक पार्टी बनाकर बीजेपी के खिलाफ चुनाव लड़ने की बात कही है। पार्टी का नाम रखा है कल्याण राज्य प्रगति पक्ष यानी केआरपीपी। जनार्दन रेड्डी के ही एक दोस्त हैं श्रीमालु रेड्डी। काफी चर्चित रहे हैं। ये भी अभी बीजेपी सरकार में मंत्री हैं लेकिन जनार्दन रेड्डी की राजनीतिक हस्ती भाइयों और दोस्तों से कही ज्यादा है। बीजेपी काफी परेशान हो गई। उसे लगने लगा है कि जनार्दन रेड्डी खेल बिगाड़ सकते हैं। मनाने की खूब कोशिश हुई लेकिन बात नहीं बनी। बीजेपी निराश होकर चुप हो गई है।
बीजेपी की दिग्गज नेता सुषमा स्वराज के साथ रेड्डी बंधुओं के राजनीतिक रिश्ते काफी मधुर थे। रेड्डी बंधू सुषमा को मां कहते थे। लेकिन बाद में ये रिश्ते खराब भी हो गए। रिश्तो में खटास तब आया जब कर्नाटक में लोकायुक्त रहे जस्टिस संतोष हेगड़े की एंट्री हुई। हेगड़े की रिपोर्ट में कहा गया कि रेड्डी बंधुओ ने 16500 करोड़ के लौह अयस्क का निर्यात चीन को किया और यह सब अवैध तरीके से किया गया। इन आरोपों के बाद बीजेपी से रेड्डी बंधुओ के सम्बन्ध खराब हो गए। बाद में जनार्दन रेड्डी को जेल हुआ और वे बीजेपी के खिलाफ काम करने लगे। रेड्डी बंधू समझ गए थे कि राजनीति मतलब की होती है। जब तक बीजेपी को उनसे मतलब था उसने यूज किया और मतलब निकलते ही उसे बदनाम किया और सजा भी दिलाई। बता दें कि कर्नाटक में रेड्डी बंधुओ की पहचान खनन माफिया के रूप में रही है। बीजेपी पर रेड्डी बंधुओ को आगे बढ़ाने का इल्जाम भी विपक्ष लगता रहा है।
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लेकिन अब रेड्डी बंधू बीजेपी को सबक सिखाने को तैयार है। रेड्डी बंधू कर्नाटक में तो बीजेपी को परेशान करेगा ही पडोसी राज्यों में भी बीजेपी की राजनीति को कमजोर करने की उसकी योजना है। क्यों कि आंध्रा और तेलंगाना से लेकर सटे महाराष्ट्र तक रेड्डी बंधू का कारोबार फैला है और वहाँ की राजनीति में भी उसका दखल है। बीजेपी को यह सब भान तो हो रहा है लेकिन मज़बूरी यह है कि अब रेड्डी बंधू को वह मना नहीं सकती।
कर्नाटक में रेड्डी बंधू की पहुँच कई इलाकों में काफी मजबूत है। रंगावती से लेकर करीब दर्जन भर जिलों में रेड्डी बंधू की पकड़ है और स्थानीय लोगों के साथ उनके मधुर सम्बन्ध भी। जनार्दन रेड्डी रंगावती से चुनाव लड़ना चाहते हैं। उनके इस फैसले के बाद मौजूदा विधायक तो परेशान है ही बीजेपी की भी परेशानी बढ़ गई है।
कर्नाटक में जब जब कोई नया दल चुनावी जमीन पर उतरता है तो सूबे की सियासत बदल जाती है। कांग्रेस से नाराज होकर एस बंगरप्पा ने नयी पार्टी बनायी तो कांग्रेस की सरकार चली गई। बीजेपी नेता तेदुरप्पा ने पार्टी बनाई तो बीजेपी की सरकार चली गई। ऐसे में जानकार मान रहे हैं कि रेड्डी बंधू की पार्टी मैदान में उतरेगी तो बीजेपी को हानि होगी और जिस तरह से कांग्रेस आक्रामक राजनीति कर रही है ,बीजेपी के लिए ये सारे समीकरण नुकसानदायक ही होंगे।
बीजेपी के लिए नयी मुसीबत केवल रेड्डी बंधू ही नहीं है। येदुरप्पा भी नाराज चल रहे हैं। येदुरप्पा से रेड्डी की पटती नहीं है। इसके कई कारण रहे हैं। एक कयास ये भी लगाए जा रहे हैं कि अगर येदुरप्पा और जनार्दन रेड्डी आपस मिल गए तो बीजेपी के भीतर बड़ा खेल हो जाएगा और फिर चुनाव में पार्टी की जीत की सभी सम्भावनाये ख़त्म हो जाएगी।
जनार्दन रेड्डी की नजर करीब दो दर्जन सीट पर लगी है। रेड्डी की सोंच ये हैं कि अगर दस से बारह सीटें भी जितने में वह कामयाब हो जाते है तो वे किंगमेकर की भूमिका में होंगे। इसके लिए रेड्डी ने बड़ी तैयारी की है। बीजेपी और कांग्रेस के उन नेताओं पर उनकी नजर है जिसे टिकट नहीं मिलने वाला है। इसके साथ ही हर उम्मीदवार को भारी चुनावी खर्च भी देने की तैयारी है। कहा जा रहा है कि हर उम्मीदवार को रेड्डी पांच करोड़ की राशि देंगे। हालांकि इसमें कितनी सच्चाई है इसकी पुष्टि नहीं की जा सकती। बता दें कि बेल्लारी, विजयनगर, कोप्पल, रायचूर, यादगिर, बीदर में जनार्दन रेड्डी की मजबूत पकड़ है।
बीजेपी को कर्नाटक की सत्ता में लाने का श्रेय रेड्डी बंधुओ को जाता है। 2008 में बहुमत के लिए रेड्डी बंधुओं ने कांग्रेस और जेडीएस के विधायकों को तोड़ा था और बीजेपी की सरकार बनाने में अहम्ज भूमिका निभाई थी। तब बीजेपी के लोग उसके जयकारा लगाते थे लेकिन अब वही रेड्डी बंधू बीजेपी की नजर में खलनायक बने हुए हैं।
यह बात और है कि रेड्डी के दो भाई और मित्र अभी बीजेपी के साथ हैं लेकिन खबर है कि चुनाव से पूर्व सभी भाई एक होंगे। और ऐसा हुआ तो कर्नाटक की राजनीति एक नयी दिशा की तरफ बढ़ेगी और उसमे फिर कांग्रेस की संभावना ज्यादा प्रबल होगी। रेड्डी बंधू आगे क्या कुछ करते हैं ,बीजेपी की नजर लगी हुई है। लेकिन रेड्डी बंधू का खेल सफल रहा तो कर्नाटक में बीजेपी की परेशानी और बढ़ेगी। कांग्रेस के लिए तो यह सब सुखद घटना है।