Old Parliament New Name: प्रधानमंत्री मोदी ने कहा है कि जिस दिन सभी विधायी कार्य नए संसद भवन में स्थानांतरित हो जायेंगे इसका नाम संविधान सदन रखा जाना चाहिए। संसद के 75 साल होने के उपलक्ष्य में समारोह को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि ”मेरा एक सुझाव है अब जब हम नयी संसद (Parliament) में जा रहे हैं, तो पुराने भवन की गरिमा कभी कम नहीं होनी चाहिए। इसलिए मेरा आग्रह है कि यदि आप सहमत हों तो इसे संविधान सदन के नाम से जाना जाना चाहिए।
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अपने 40 मिनट के संबोधन में मोदी ने कहा कि 1947 में अंग्रेजों ने यही पर सत्ता का हस्तांतरण किया था। हमारा सेंट्रल हॉल उस ऐतिहासिक क्षण का गवाह है। पुराने सदन को याद करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि इसी सदन में कई बिल पास किये गए। तीन तलाक के बिल भी पास हुए और ट्रांसजेंडर से जुड़े बिल भी। हमारा सौभाग्य है कि हमें अनुच्छेद 370 को निरस्त करने का अवसर भी मिला। और यह सब इसी सदन में हुआ है। मोदी ने कहा कि इस सदन में चार हजार से अधिक कानून पारित किये गए हैं। जब भी जरुरत हुई ताे संयुक्त सत्र भी आयोजित किये गए। इसी संसद ने हमें हमारी गलतियों को सुधारने का मौक़ा भी दिया।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि संसद (Parliament) में बना हर कानून, संसद में हुई हर चर्चा, संसद द्वारा दिया गया हर संकेत भारतीय आंकाक्षा को प्रोत्साहित करने वाला होना चाहिए। ये सब हमारी जिम्मेदारी है। यहां जो भी सुधार हो, भारतीय आकांक्षा हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि हम छोटी कैनवास पर बड़ी तस्वीर नहीं बना सकते। जब तक हम हमारी सोंच के कैनवास को बड़ी नहीं करेंगे हम एक भव्य भारत की तस्वीर को नहीं बना सकते।
पीएम ने कहा कि मैंने लाल किले से कहा था कि यही समय है, सही समय है। अगर हम एक के बाद एक घटनाओं को देखें तो तो उनमें से हर इस बात की गवाही देते हैं कि आज भारत एक नई चेतना के साथ जागृत हुआ है। भारत एक नई चेतना और ऊर्जा से भर गया है। यह चेतना और ऊर्जा देश के करोड़ाें लोगों के संकल्प को बदल सकती है। मोदी ने कहा कि अमृतकाल के 25 सालों में भारत को बड़े कैनवास पर काम करना होगा। सबसे पहले हमें आत्मनिर्भर भारत को बनाना है। यही हमारा कर्त्तव्य है।