NCERT Religious Education: NCERT की किताब में शामिल हुआ उत्तराखंड के धार्मिक स्थलों का गौरव, छात्रों को मिलेगा पवित्र स्थलों का व्यापक ज्ञान
NCERT की कक्षा 7 की पुस्तक में अब धार्मिक स्थलों पर एक नया अध्याय जोड़ा गया है। इसमें उत्तराखंड के प्रमुख धार्मिक स्थलों जैसे जागेश्वर, बदरीनाथ, केदारनाथ और हरिद्वार की जानकारी दी गई है। यह बदलाव नई शिक्षा नीति 2020 के तहत छात्रों को सांस्कृतिक और धार्मिक विरासत से जोड़ने की दिशा में एक प्रयास है।
NCERT Religious Education: देश की शिक्षा प्रणाली में ऐतिहासिक बदलाव के तहत अब छात्रों को धार्मिक महत्व वाले स्थलों की जानकारी स्कूली स्तर पर ही मिल सकेगी। एनसीईआरटी (राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद) ने कक्षा 7 की सामान्य विषय की किताब में एक नया अध्याय “How the land becomes sacred” जोड़ा है। इस अध्याय में भारत के विभिन्न धार्मिक स्थलों की विस्तृत जानकारी दी गई है, जिनमें उत्तराखंड के प्रसिद्ध तीर्थस्थल विशेष रूप से शामिल हैं।
उत्तराखंड के तीर्थस्थल बने आकर्षण का केंद्र
एनसीईआरटी की इस नई पहल में उत्तराखंड को खास तवज्जो दी गई है। पुस्तक में जागेश्वर धाम की तस्वीर के साथ उसका ऐतिहासिक और धार्मिक महत्त्व बताया गया है। इसके साथ ही बदरीनाथ और केदारनाथ जैसे प्रसिद्ध धामों के बारे में भी विद्यार्थियों को जानकारी दी गई है। यह पहला मौका है जब स्कूली किताबों में उत्तराखंड के धार्मिक स्थलों को इस प्रकार से प्रस्तुत किया गया है, जिससे देशभर के छात्र इनके बारे में पढ़ सकेंगे।
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हरिद्वार के महत्व पर इतिहासकार धर्मपाल का उल्लेख
इस अध्याय में प्रख्यात इतिहासकार धर्मपाल के विचारों को भी स्थान दिया गया है, जिन्होंने हरिद्वार की सांस्कृतिक और धार्मिक भूमिका पर विस्तृत लेखन किया है। धर्मपाल के विचारों से छात्रों को यह समझने में मदद मिलेगी कि भारत के धार्मिक केंद्र न केवल आस्था का प्रतीक हैं, बल्कि हमारे ऐतिहासिक और सामाजिक जीवन का भी अभिन्न हिस्सा हैं।
चार धाम और 12 ज्योतिर्लिंगों की भी मिलेगी जानकारी
अध्याय में भारत के चार धाम — बदरीनाथ, द्वारका, पुरी और रामेश्वरम — की जानकारी मानचित्र के माध्यम से दी गई है। छात्रों को बताया जाएगा कि ये स्थल हिंदू धर्म में क्यों महत्वपूर्ण माने जाते हैं और इनका भौगोलिक स्थान कहां है। इसके साथ ही 12 ज्योतिर्लिंगों और उनके धार्मिक महत्व की भी जानकारी शामिल की गई है, जिससे विद्यार्थियों को हिन्दू धार्मिक मान्यताओं की व्यापक समझ मिल सकेगी।
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51 शक्तिपीठों का भी उल्लेख, बढ़ेगी छात्र जागरूकता
एनसीईआरटी की इस किताब में 51 शक्तिपीठों का उल्लेख भी किया गया है, जो देवी शक्ति की उपासना का प्रमुख केंद्र हैं। इससे न केवल छात्र धार्मिक इतिहास को जान सकेंगे, बल्कि भारतीय संस्कृति की विविधता और समृद्धता से भी परिचित होंगे। इन शक्तिपीठों की जानकारी भारत की पौराणिक कथाओं और संस्कृति के अध्यात्मिक पक्ष को समझने में सहायक होगी।
नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति का असर दिखने लगा
यह बदलाव राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत किए जा रहे सुधारों का हिस्सा है, जिसमें पाठ्यक्रम को अधिक व्यावहारिक, समकालीन और सांस्कृतिक रूप से समृद्ध बनाने का प्रयास किया जा रहा है। धार्मिक स्थलों की जानकारी को पाठ्यक्रम में शामिल करना इसी दिशा में एक सकारात्मक कदम माना जा रहा है। इससे बच्चों में स्थानीय इतिहास, संस्कृति, और धार्मिक विविधता को समझने की क्षमता विकसित होगी।
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शिक्षा के साथ संस्कृति का समन्वय
इस बदलाव के माध्यम से शिक्षा केवल ज्ञान अर्जन का माध्यम नहीं रह जाएगी, बल्कि यह छात्रों को भारतीय संस्कृति, धार्मिक मूल्यों और ऐतिहासिक स्थलों की महत्ता को भी समझने का अवसर देगी। इसके माध्यम से छात्रों के भीतर धार्मिक सहिष्णुता, संस्कृति के प्रति सम्मान और गौरवबोध जैसे गुणों का विकास संभव होगा।
नए अध्याय से जुड़ी उम्मीदें
एनसीईआरटी द्वारा यह अध्याय जोड़ना एक सराहनीय पहल है, जो आने वाले समय में बच्चों के लिए आध्यात्मिक, सामाजिक और ऐतिहासिक ज्ञान का बेहतर स्रोत साबित हो सकता है। उम्मीद है कि इस तरह के अध्यायों से भारत की समृद्ध विरासत और धार्मिक परंपराएं नई पीढ़ी तक प्रभावी रूप से पहुंचेंगी।
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