India vs China : चीन आज बुरे दौर से गुजर रहा है। अपनी ही गलतियों से चीन (China) की इकॉनमी आज बर्बादी की तरफ बढ़ती जा रही है।
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चीन अपने मुंह से भले ही कुछ न बोले, लेकिन उसकी हालत के बारे में पूरी दुनिया जान चुकी है। चीन की अर्थव्यवस्था बुरे दौर से गुजर रही है। जो देश 2 वर्ष पहले तक विश्व का बॉस बनने के प्रयास में जुटा था, आज उससे अपने देश की अर्थव्यवस्था नहीं संभल रही है। एक ओर अमेरिका, यूरोप के साथ ही दुनिया के कई देशाें को महंगाई का सामना करना पड़ रहा हैं लेकिन चीन (China) में हालात उलटे है। चीन में रियल एस्टेट से लेकर खाने-पीने की चीजों की कीमत में लगातार गिरावट आती जा रही है। चीन में बेरोजगारी चरम पर है। चीन में 20% से अधिक युवा बेरोजगार घूम रहे हैं। चीन की इस हालात से अर्थव्यवस्था हिली हुई है। हालांकि भारत के लिए यह एक बड़ा मौका है।
क्यों सिकुड़ रही चीन की अर्थव्यवस्था?
जानकारी के मुताबिक बता दें वर्ष 1980 से 2020 के बीच चीन की इकॉनमी ने तेजी से बढ़ोतरी देखने को मिली थी, लेकिन अब चीन की अर्थव्यवस्था सिकुड़ती जा रही है। रिपोर्ट की मानें तो चीन (China) के इस हालत के जिम्मेदार चीन की सरकार है। शी जिनपिंग की सरकार ने अपनी विस्तारवादी नीतियों, कर्ज देकर छोटे और गरीब देशों को अपने जाल में फंसाने की चाल और अमेरिका जैसे देशों से दुश्मनी लेकर चीनी अर्थव्यवस्था को इस स्थिति में पहुंचा दिया।
चीन के गिरते मार्केट से भारत को क्या फायदा ?
चीन (China) के गिरते बाजार, लुढ़की इकॉनमी से भारत को लाभ हो सकता है। ये भारत के लिए एक अच्छा मौका है। हालांकि चीन की इकॉनमी का नकारात्मक असर भी पड़ने की संभावना है। फिलहाल आज हम सिर्फ फायदे की बात करेंगे। कोरोना महामारी ने पूरी दुनिया की इकॉनमी को हिला कर रख दिया। कोरोना महामारी की वजह से चीन में होने वाली मौतों का आंकड़ा बाकी देशों से बेहतर था, इसलिए उम्मीद थी कि कोविड के बाद चीन की अर्थव्यवस्था बेहतर बढ़ोतरी दिखाएगी, लेकिन उम्मीद के विपरीत चीन में स्थिति बिगड़ती चली गई। एक ओर जहां चीन फेल हो रहा है तो वहीं दुनिया की निगाहें भारत की तरफ टिकी हुई हैं।
भारत की स्थिति मजबूत
चीन (China) जहां उम्मीदों पर खरा नहीं उतर पा रहा तो वहीं आज भारत पूरी दुनिया के देशों के लिए आंखों का तारा बनता जा रहा है। भारत की मौजूदा जियोपॉलिटिकल स्थिति, वैश्विक सप्लाई चेन में उसकी बढ़ रही साझेदारी, अर्थव्यवस्था के मोर्चे पर आ रहे अच्छे बदलाव और दूसरे देशों के साथ मैत्री संबंध भारत के हालात को मजबूत कर रहे हैं। जहां चीन के संबंध अमेरिका के साथ पश्चिम देशों से तनावपूर्ण रहे हैं तो वहीं भारत की स्थिति यहां भी मजबूत है।
भारत का विशाल वर्क फोर्स
भारत की युवा पीढ़ी भारत की सबसे बड़ी ताकत है। भारत के पास जितना वर्क फोर्स है और जितना आने वाले दिनों में खड़ा होने वाला है, विश्व में उतने लोग रिटायर होंगे। रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2020-2040 तक भारत में सेकेंडरी एजुकेशन हासिल कर चुके 4 करोड़ लोगों का वर्क फोर्स तैयार हो चुका होगा। जबकि इसी वक्त में चीन में 5 करोड़ लोग रिटायर हो जाएंगे। पूरी दुनिया की बड़ी कंपनियों की निगाहें भारत के इस वर्कफोर्स पर टीकी हुई है। भारत की युवा पीढ़ी को देखकर एप्पल समेत वैश्विक कंपनियां अब चीन के बजाए भारत की तरफ रूख मोड़ रही हैं।
मेक इन इंडिया पर बल देने की आवश्यकता
भारत में विदेशी कंपनियों के लिए कारोबारी माहौल उन्हें चीन से यहां खींच रहा हैं। चीन में कारोबार में जिस तरह से सरकारी दखल है, वो बहुत कंपनियों को पसंद नहीं। चीनी उद्योगपति जैक मा इसके बारे में खुलकर विरोध कर चुके हैं। चीनी सरकार का कारोबार में दखल विदेशी कंपनियों को रास नहीं आ रहा है। चीन की गिरती अर्थव्यवस्था भारत के लिए एक अवसर है। भारत की वैश्विक सप्लाई चेन में उसकी बढ़ती हिस्सेदारी उसे चीन के एक विकल्प के तौर पर लाकर खड़ा कर रही है। विदेशी कंपनियों के लिए भारत चीन का विकल्प बनता जा रहा है। भारत मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में चीन की जगह ले सकता है। हालांकि इसे सुनिश्चित करने के लिए भारत को अपने मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को मजबूत करना होगा। रोजगार के नए अवसर पैदा करने होगें। सप्लाई चेन को मजबूत करना होगा। भारत को चीन पर निर्भरता कम कर मेक इन इंडिया पर बल देना होगा।