Bangladesh Crisis: बांग्लादेश की आज़ादी और 1971 के युद्ध में पाकिस्तान के आत्मसमर्पण को दर्शाती मूर्ति को तोड़ दिया गया। इस घटना की तस्वीर कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने शेयर की है। उन्होंने कहा, ‘भारत विरोधी उपद्रवियों’ ने मूर्ति को तोड़ दिया। बांग्लादेश पिछले हफ़्ते से हिंसा की आग में जल रहा है। इस दौरान 400 से ज़्यादा लोगों की मौत हो चुकी है।
थरूर ने लिखा, ‘भारत विरोधी दंगाइयों ने मुजीबनगर में 1971 शहीद स्मारक परिसर में लगी मूर्तियों को नष्ट कर दिया। उन्हें इस तरह देखना बहुत दुखद है। इससे पहले भी कई जगहों पर भारतीय संस्कृति केंद्रों, मंदिरों और हिंदुओं के घरों पर हमले हो चुके हैं। यह सब ऐसे समय में हो रहा है जब ऐसी खबरें आ रही हैं कि कुछ मुस्लिम नागरिक दूसरे अल्पसंख्यकों के घरों और पूजा स्थलों की सुरक्षा कर रहे हैं।’
उन्होंने आगे लिखा, ‘कुछ आंदोलनकारियों का एजेंडा बिल्कुल साफ है। मोहम्मद यूनुस और उनकी अंतरिम सरकार के लिए यह जरूरी है कि वे हर धर्म के सभी बांग्लादेशियों के हित में कानून-व्यवस्था बहाल करने के लिए जरूरी कदम उठाएं। भारत इस उथल-पुथल के समय में बांग्लादेश के लोगों के साथ खड़ा है, लेकिन इस तरह की अराजकता के लिए कोई बहाना नहीं हो सकता।’
बांग्लादेश कब आजाद हुआ
बांग्लादेश को 1971 में हुए युद्ध के बाद आजादी मिली थी। इतना ही नहीं, उस युद्ध में पाकिस्तान को करारी हार का सामना करना पड़ा था। खास बात यह है कि इस प्रतिमा में पाकिस्तान के आत्मसमर्पण को भी दर्शाया गया है। उस दौरान सेना के मेजर जनरल आमिर अब्दुल्ला खान नियाजी ने अपने 93 हजार सैनिकों के साथ लेफ्टिनेंट जनरल जगजीत सिंह अरोड़ा के सामने आत्मसमर्पण कर दिया था।
तब अरोड़ा भारत की पूर्वी कमान के जनरल ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ थे। खास बात यह है कि द्वितीय विश्व युद्ध के बाद यह दूसरा मौका था जब किसी सेना ने इतने बड़े पैमाने पर आत्मसमर्पण किया था।