ज्ञानवापी मस्जिद के सर्वे का आधार बनी, खंडवा के महादेवगढ़ मंदिर की वो कहानी
Gyanvapi Masjid Case: ज्ञानवापी मस्जिद केस में याचिकाकर्ताओं के वकील विष्णुशंकर जैन 3 महीने पहले खंडवा के महादेवगढ़ मंदिर आए थे और ज्ञानवापी विवाद के संबंध में न्यायालयीन कार्यवाही के तमाम दस्तावेज़ भी लेकर गए थे. उनका कहना था कि जब खंडवा में विवादित स्थल पर मंदिर होने की पुष्टि ASI कर सकती है तो ज्ञानवापी में क्यों नहीं? वकील विष्णुशंकर जैन ने इस बात को लेकर ट्वीट किया, जिसके समर्थन में व्यापक प्रतिक्रिया सामने आई है.
दरअसल, मध्यप्रदेश के खंडवा में महादेवगढ़ मंदिर 12वीं सदी का बहुत ही प्राचीन मंदिर रहा होगा जो कालांतर में जीर्ण-शीर्ण होकर ध्वस्त हो गया. 12वीं सदी में बना ये मंदिर समय के साथ-साथ अपनी पहचान भी खो चुका था. कुछ लोग तो प्राचीन शिवलिंग के पास भैंसों का तबेला बना कर रह रहे थे. इस प्राचीन मंदिर के रखरखाव की बात सामने आते ही स्थानीय मुस्लिम नेता मोहम्मद लियाकत पवार ने हाईकोर्ट (Highcourt) में याचिका दायर की. याचिका में लिखा गया कि मंदिर के नाम पर अतिक्रमण किया जा रहा है. केस अदालत में पहुंचने पर जिला प्रशासन से जवाब मांगा जाएगा.
बता दें जिला प्रशासन ने इसके प्राचीन मंदिर होने का सर्वे पुरातत्व विभाग (Archaeological Department) द्वारा कराया. कार्यालय उपसंचालक पुरातत्व इंदौर (Office of the Deputy Director Archeology Indore) के तकनीकी सहायक डॉ. जीपी पांडेय (Dr. GP panday) ने जांच के बाद 13 फरवरी 2015 को कलेक्टर कार्यालय को रिपोर्ट दी.
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पुरातत्व विभाग (Archaeological Department) ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि प्राचीन मंदिर का धार्मिक के साथ पुरातत्व की दृष्टि से भी बहुत महत्व है. रिर्पोट में बताया गया कि प्राचीन अवशेषों में मंदिर के गर्भ गृह में बलुआ प्रस्तर जलाधारी सहित शिवलिंग जो कि 12वीं और 13वीं सदी में बनी है. प्राचीन मंदिर का एकमात्र खंभा आज भी अवशेष के रूप में है, जबकि शिवलिंग के कुछ भागों का क्षरण हो चुका है. प्राचीन चट्टानों को काटकर यह मंदिर शिवलिंग जलाधारी बना हुआ है. शिवलिंग के पास प्राचीन खंडित नंदी की एक मूर्ति है. पीठ पर और नितंबों पर घंटी की माला, नंदी की गर्दन पर मणि माला का अलंकरण है, जो कि परमार काल की कलाओं की याद दिलाता है.
जब सुप्रीम कोर्ट (supreme court) के एडवोकेट विष्णुशंकर जैन को इस महादेवगढ़ मंदिर से जुड़े विवाद और इसकी निराकरण जानकारी मिली, तो वह अप्रैल 2023 में इसे देखने आए और आकर पूरे मामले की जानकारी ली. विष्णुशंकर जैन वाराणसी के ज्ञानवापी मस्ज़िद (Gyanvapi mosque) में शिवमंदिर होने के केस में भी याचिककर्ताओं के वकील हैं.
दरअसल, पहले आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (Archaeological Survey of India) को सर्वे की अनुमति नहीं मिली थी कि ज्ञानवापी (Gyanvapi mosque) में तोड़फोड़ से मस्ज़िद को नुकसान पहुंच सकता है. लेकिन इसी प्रकार के केस में खंडवा के महादेवगढ़ के केस की नजीर पेश की गई तो इसके बाद यहां साइंटिफिक सर्वे (scientific servey) की सशर्त अनुमति दी गई कि वजू स्थल (Vaju site) को छोड़कर बाकी पूरे कैंपस का बिना नुकसान पहुंचाए साइंटिफिक सर्वे (scientific servey) किया जाए.