भूख से तिलमिलाई जनता हमलावर भी हो जाए तो कोई कुछ क्या करेगा? इंसान की यही सबसे बड़ी त्रासदी है ।पेट जब भरा होता है तो कोई भी इंसान बड़ी बड़ी बाते करता है लेकिन जब पेट खाली हो तो उसकी सारी चतुराई खत्म हो जाती है। वह हिंसक भी हो सकता है और बेबस भी।
कुछ यही हाल अभी गाजा पट्टी में रह रहे हजारों लाखों लोगों की हो गई है। हमास और इजरायल की लड़ाई में अब को कुछ भी होता दिख रहा है वह पूरे मानव समाज के लिए खतरा है और किसी भी नागरिक सरकार के लिए चुनौती भी है। यह इन तमाम देशों के लिए एक सवाल भी है जो आए दिन विश्व शांति की बात करते है और मानवता पर बहस करते है ।लेकिन गाजा में तो मानवता तार तार है।
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यह और बात है कि हमास ने इजरायल पर हमला करके उसे जगा दिया था लेकिन अब इजरायल जो कर रहा है और इजरायल के साथ जो देश खड़े है और जो कुछ भी बोल रहे है उसे किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जा सकता ।गाजा में अभी जो कुछ भी हो रहा है वह मानवता को शर्मसार किए हुए है। इजरायल के हमले का शिकार अब सबसे ज्यादा महिलाएं और बच्चे हो रहे है। बूढ़े लोग एक तरह से बली चढ़ रहे हैं। इजरायल ने जिस तरह से गाजा की घेराबंदी की है उससे लोगों का जीना मुहाल हो गया है। भोजन पानी के सभी रास्ते बंद कर दिए गए हैं। बिजली काट दी गई है ।सड़के भी तोड़ दी गई है और इंटरनेट भी बंद कर दिए गए है। सभी अस्पताल अंधेरे में डूबे हुए हैं। अब तो अस्पतालों के भीतर रह रहे लोगों को भी हालत खराब है और बड़ी संख्या में लोग भूख से व्याकुल होकर एक दूसरे पर हमले कर रहे है।
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पिछले सप्ताह भर से भूख से तड़प रहे गाजा के लोग यूएन के गोदामों पर हमला करते जा रहे है। झुंड के झुंड लोग गोदामों पर हमला करते है और चावल गेहूं और अनाज के दाने के लिए मारामारी करते दिख रहे है। इस खाद्य लूट में भी कई लोग घायल होते है ।सुरक्षा कर्मी भी घायल हो रहे है। यूएन के गोदामों पर हमले से सामाजिक व्यवस्था चरमराने लगी है।
द गार्जियन अपनी रिपोर्ट में लिख रहा है कि फिलिस्तीन शरणार्थियों के लिए संयुक्त राष्ट्र की एजेंसी के प्रमुख थॉमस व्हाइट ने कहा कि 41 किमी से 12 किमी की नाकाबंदी वाली पट्टी में संयुक्त राष्ट्र द्वारा संचालित कई केंद्र से रात भर में गेहूं आटा और स्वच्छता सामग्री की पूर्ति की गई थी जहा दो मिलियन से अधिक लोग रह रहे थे।
थॉमस व्हाइट ने गोदामों पर लोगों के हमले पर चिंता जताते हुए कहा है कि यह एक चिंताजनक संकेत है कि तीन सप्ताह के युद्ध और काफी घेराबंदी के बाद नागरिक व्यवस्था टूटने लगी है। केवल बुनियादी अस्तित्व के लिए समुदायों को जरूरत बहुत अधिक है जबकि हमे मिलने वाली सहायता बहुत कम। इस कारण की लोगों का धैर्य जवाब दे रहा है।
दुनिया भर के अखबार यही लिख रहे है कि जिस तरह से गाजा की घेराबंदी की गई है उससे बुनियादी सेवाएं चरमरा गई है। सड़को पर सीवेज का पानी बह रहा है। चारो तरफ गांधी फैली है और भोजन की कमी अलग से ।ऐसे में बड़ी संख्या में बीमारी भी फल रही है ।उधर अस्पतालों में भी कोई इलाज की सुविधा नही है ।लगता है इंसान को मरने के लिए व्यापक इंतजाम किए गए हैं।
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हमास और इजरायल की इस जारी लड़ाई में दस हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। चार हजार से ज्यादा बच्चे और महिलाओं के मारे जाने की बात कही जा रही है। बड़ी संख्या में बूढ़े लोग मारे जा रहे हैं ।लेकिन सबसे ज्यादा त्रासदी उन हजारों महिलाओं के साथ है जो गर्भवती है ।एक रिपोर्ट के मुताबिक करीब 50 हजार से ज्यादा गर्भवती महिलाएं अपने गर्भ में पल रहे बच्चे को बचाने के लिए प्रयास तो कर रही है लेकिन भूख की वजह से वह मरती भी जा रही है ।उसके इलाज की कोई दुविधा नहीं है और अस्पतालों में रहने की कोई व्यवस्था नहीं।
गाजा की हालत को देखकर दुनियाके कई देशों में लाखो लोग सफको पर उतर कर इजरायल के खिलाफ संघर्ष करते नजर आ रहे है और तत्काल युद्ध रोकने की मांग को जा रही है। संयुक्त राष्ट्र भी यही चाहता है ।लेकिन इजरायल रुकने को तैयार नहीं। लगता है इजरायल ने मानवता के खिलाफ कोई बड़ा अभियान ही छेड़ रखा है ।बदले की भावना से प्रेरित इजरायल का अंतिम हश्र भी क्या होगा यह कोई नही जानता।