Rajaji Tiger Reserve: राजाजी टाइगर रिजर्व में बाघों की सुरक्षा बनी चुनौती, तेंदुओं की मौजूदगी से बढ़ा खतरा
राजाजी टाइगर रिजर्व के पश्चिमी हिस्से में पांच बाघों की पुनर्स्थापना के बाद अब वन विभाग उनकी निगरानी और सुरक्षा पर विशेष ध्यान दे रहा है। हालांकि, यहां पहले से मौजूद तेंदुओं की संख्या बाघों के लिए खतरा बन सकती है, खासकर उनके शावकों के लिए। वन विभाग टाइगर और लेपर्ड के बीच संघर्ष की आशंका के बावजूद रिजर्व में बाघों की संख्या बढ़ाने के प्रयासों में जुटा है।
Rajaji Tiger Reserve: उत्तराखंड वन विभाग ने राजाजी टाइगर रिजर्व के पश्चिमी हिस्से को बाघों के लिए अनुकूल बनाने की दिशा में बड़ी सफलता हासिल की है। प्रोजेक्ट टाइगर के तहत अब तक यहां कुल पांच बाघ लाए जा चुके हैं। इन बाघों को सुरक्षित और अनुकूल वातावरण देने के लिए विभाग लगातार निगरानी कर रहा है। हालांकि, अब सबसे बड़ी चुनौती यहां पहले से मौजूद तेंदुओं की संख्या को लेकर सामने आ रही है, जो बाघों के भविष्य पर सवाल खड़े कर रही है।
राजाजी टाइगर रिजर्व का पश्चिमी हिस्सा भूगोल और जैव विविधता के लिहाज से बाघों के लिए उपयुक्त माना गया है। इसी को ध्यान में रखते हुए वन विभाग ने यहां कॉर्बेट टाइगर रिजर्व की तर्ज पर बाघों की संख्या बढ़ाने की योजना बनाई है। लेकिन राजाजी और कॉर्बेट के बीच एक बड़ा अंतर यह है कि जहां कॉर्बेट में तेंदुओं की संख्या सीमित है, वहीं राजाजी में फिलहाल तेंदुओं का वर्चस्व है।
बाघ और तेंदुए के बीच संघर्ष की आशंका
वन्यजीव विशेषज्ञों का मानना है कि बाघ और तेंदुए एक ही क्षेत्र में लंबे समय तक शांतिपूर्वक नहीं रह सकते। दोनों शिकारी जानवर हैं और उनका शिकार भी लगभग एक जैसा होता है – हिरण, सांभर, बारासिंघा आदि। इस भोजन की होड़ के कारण आपसी प्रतिस्पर्धा बढ़ना स्वाभाविक है। तेंदुआ भले ही ताकत में बाघ से कमजोर हो, लेकिन मौका मिलने पर वह बाघ के बच्चों को निशाना बना सकता है।
इसी प्रकार की एक घटना पहले भी सामने आ चुकी है, जब राजाजी टाइगर रिजर्व में लाई गई एक बाघिन के दो शावकों को तेंदुआ अपना शिकार बना चुका है। इससे वन विभाग की चिंता और भी बढ़ गई है। विभाग अब इस दिशा में विशेष रणनीति बना रहा है कि कैसे तेंदुओं की संख्या को नियंत्रित करते हुए बाघों को पर्याप्त सुरक्षित क्षेत्र प्रदान किया जाए।
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पीसीसीएफ का बयान
वन्यजीव प्रमुख आर.के. मिश्रा ने बताया कि राजाजी टाइगर रिजर्व में बाघों के संरक्षण को लेकर विभाग पूरी तरह गंभीर है। उनका कहना है कि “भले ही तेंदुओं की संख्या यहां अधिक है, लेकिन इसके बावजूद हम टाइगर्स की संख्या को बढ़ाने के लिए हरसंभव प्रयास कर रहे हैं।” उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि तेंदुओं की मौजूदगी के कारण बाघों के बच्चों पर खतरा बना रहता है, और इसी वजह से निगरानी को और मजबूत किया गया है।
सुरक्षा उपायों में इजाफा
राजाजी टाइगर रिजर्व में अब निगरानी कैमरों की संख्या बढ़ाई जा रही है और गश्ती दलों की तैनाती में भी इजाफा किया गया है। वन रक्षकों को विशेष ट्रेनिंग दी जा रही है ताकि वे बाघों की गतिविधियों पर पैनी नजर रख सकें और किसी भी आपात स्थिति में तुरंत कार्रवाई कर सकें। इसके अलावा, विभाग यह भी विचार कर रहा है कि बाघों के लिए अलग क्षेत्र विकसित किया जाए, जहां तेंदुओं की आवाजाही सीमित हो।
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आगे की राह
राजाजी टाइगर रिजर्व को बाघों के लिए आदर्श निवास स्थल बनाना वन विभाग का प्राथमिक उद्देश्य है। लेकिन इसके लिए तेंदुओं और बाघों के बीच के संघर्ष को कम करना आवश्यक है। विभाग द्वारा बाघों के प्रजनन, सुरक्षा और उनके बच्चों की देखरेख के लिए विशेष योजना तैयार की जा रही है।
यह स्पष्ट है कि अगर राजाजी में टाइगर्स को सुरक्षित माहौल नहीं मिला, तो प्रोजेक्ट टाइगर की सफलता अधूरी रह सकती है। ऐसे में आने वाले महीनों में वन विभाग की रणनीति और कार्यान्वयन की दिशा इस परियोजना की सफलता या विफलता तय करेंगे।
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