Sawan Somwar 2025: आज सावन का पहला सोमवार है। एक ऐसा पावन दिन जो सिर्फ़ पूजा-पाठ तक ही सीमित नहीं है, बल्कि भारत की संस्कृति, प्रकृति और लोगों से भी गहराई से जुड़ा है। श्रावण मास के सोमवार न केवल धार्मिक दृष्टि से, बल्कि सामाजिक और पर्यावरणीय दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण माने जाते हैं। यह दिन भगवान शिव की आराधना को समर्पित है।
शिव जी का प्रिय दिन सोमवार बेहद खास माना जाता है। मान्यता है कि जो भक्त सावन के प्रत्येक सोमवार को श्रद्धापूर्वक व्रत रखता है और भगवान शिव की विधिवत पूजा करता है, उसे जीवन की बड़ी-बड़ी बाधाओं से मुक्ति मिलती है। यह पूजा उन लोगों के लिए विशेष फलदायी मानी जाती है जो स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहे हैं, जिनके विवाह में देरी हो रही है, या जो आर्थिक तंगी या दरिद्रता से घिरे हैं।
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सावन सोमवार में जलाभिषेक का सर्वोत्तम समय
सुबह ब्रह्म मुहूर्त से प्रदोष काल तक शिव की पूजा की जा सकती है। लेकिन जलाभिषेक के लिए विशेष मुहूर्त इस प्रकार है।
ब्रह्म मुहूर्त – सुबह 4:15 से 5 बजे तक
अभिजीत मुहूर्त – दोपहर 12 बजे से दोपहर 12:50 बजे तक
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सावन के सोमवार की पूजा विधि
सुबह स्नान के बाद साफ़ वस्त्र पहनें। आप घर पर शिवलिंग स्थापित कर सकते हैं या नज़दीकी शिव मंदिर जा सकते हैं। शिवलिंग का जल, दूध, दही, घी, शहद और गंगाजल से अभिषेक करें। शिवलिंग पर बेलपत्र, आक-धतूरा और सफ़ेद फूल चढ़ाएँ। “ॐ नमः शिवाय” मंत्र का कम से कम 108 बार जाप करें। व्रती दिन भर फलाहार कर सकते हैं और शाम को शिव आरती कर सकते हैं। शाम को फिर से भगवान के मंत्रों का जाप करें और उनकी आरती करें। अगले दिन सबसे पहले अन्न और वस्त्र दान करें और फिर व्रत पूरा करें।
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सावन सोमवार पूजा का धार्मिक महत्व
सोमवार के दिन भगवान शिव की विशेष पूजा की जाती है। मान्यता है कि सोमवार को शिव की पूजा करने से वैवाहिक जीवन में आ रही परेशानियाँ दूर होती हैं। अविवाहित कन्याएँ मनचाहा वर पाने के लिए इस व्रत को विशेष श्रद्धा से रखती हैं। यह व्रत नकारात्मक ऊर्जा, रोग और दरिद्रता को दूर करने में सहायक माना जाता है। इसके अलावा, स्वास्थ्य, संतान और आर्थिक समस्याएँ भी दूर होती हैं। सावन के सोमवार को शिव की पूजा करना सर्वोत्तम होता है। इसमें मुख्य रूप से शिवलिंग की पूजा की जाती है और उस पर जल और बेलपत्र चढ़ाए जाते हैं।
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सावन के पहले सोमवार पर विशेष उपाय
सावन के पहले सोमवार को अगर शिव जी की भक्ति और पूरे विधि-विधान से पूजा की जाए तो भगवान शिव जल्द प्रसन्न होते हैं और हर मनोकामना पूरी करते हैं। खासतौर पर इस दिन किया गया एक छोटा सा उपाय जीवन में बड़ा सकारात्मक बदलाव ला सकता है। कोशिश करें कि शिव जी की पूजा सूर्यास्त से पहले यानी प्रदोष काल में ही कर लें। शांत मन से शिवलिंग पर जल की धारा चढ़ाएं और साथ ही ताजे बेलपत्र, आक-धतूरा और सफेद फूल भी चढ़ाएं। पूजा के बाद शिव मंदिर में शुद्ध घी का दीपक जलाएं। यह दीपक घर में समृद्धि, खुशहाली और सकारात्मक ऊर्जा लाता है। शिवलिंग की कम से कम 7 बार परिक्रमा करें और हर परिक्रमा में “ॐ नमः शिवाय” मंत्र का जाप करें। अंत में भगवान शिव के चरणों में बैठकर शांत मन से अपनी मनोकामना कहें।
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