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आज लोकतंत्र ऐतिहासिक दिन ,एक तरफ नई संसद का उद्घाटन तो दूसरी तरफ पहलवानो की गिरफ़्तारी

New Parliament House: लोकतंत्र के नाम पर क्या क्या होता है उसकी अनुभूति आज देश को देखनी पड़ी। बड़े गाजे बाजे के साथ आज संसद के नए भवन का उद्घाटन किया गया। प्रधानमंत्री मोदी के जयकारे लगते रहे। साथ में लोकसभा स्पीकर मुस्कुराते रहे। नेताओं और महात्माओं की भीड़ उमड़ी रही। प्रधान मंत्री के भाषण हुए। आत्मनिर्भर भारत की बात कह गई। जान भारत के किसानो ने कृषि क्रांति से अनाज के मामले में आत्मनिर्भर होने का दंभ भरा था तब इस तरह के प्रचार नहीं किये गए। जब सूचना क्रांति का अग्रदूत भारत बना था तब भी इस तरह के प्रचार नहीं किये गए थे। जब पाकिस्तान को बांटकर बांग्लादेश का निर्माण हुआ था तब भी प्रचार तंत्र नहीं था। और जब नई आर्थिक नीति के जरिए नरसिम्हा राव और मनमोहन सिंह की जोड़ी ने देश को आर्थिक मामले में सबल किया था तब यह प्रचारतंत्र नहीं था। मामला था कि प्रचारतंत्र अब गुलाम नहीं था। उसकी रीढ़ की हड्डी बची थी। लेकिन अब वही प्रचारतंत्र चरण चुंबक बनकर सरकार के लिए काम करने को बाध्य है।


देश को नया संसद मिला यह गर्व की बात है। लेकिन घटिया बात ये है कि जिस लोकतंत्र की नीव राष्ट्रपति के इर्द गिर्द घूमती है ,संसद के उद्घाटन में उस राष्ट्रपति को नहीं बुलाया गया। आखिर विपक्ष का विरोध भी तो इस बात को लेकर है। बीजेपी की जिद्दी राजनीति ने आज बता दिया कि उसे संविधान से कोई मतलब नहीं है। आज चुके से लोकतंत्र के सेक्युलर मंदिर में धर्म और हिंदुत्व को घुसा दिया गया। इसका अंजाम आगे क्या होगा इसपर मंथन करने की जरूरत है। सरकार तो आएगी और जाएगी लेकिन जिस तरह के खेल केवल दक्षिण राज्यों को जीतने के लिए बीजेपी ने किया है इसे खेल कभी नहीं किया गया था। सिंगोल के बहाने संसद के भीतर धर्म और हिंदुत्व को घुसाकर तमिलनाडु की राजनीति को साधने का यह खेल बीजेपी को कही भारी न पड़ जाए।


खैर संसद भवन के उद्घाटन पर जो धर्म कर्म हुआ उसकी बानगी तो लोगों के पास पहुंचा ही दी गई। इस घटना बाद जंतर मंतर पर जो कुछ भी हुआ वह भी आज इतिहास में दर्ज हो गया। एक तरफ लोकतंत्र के नारे लग रहे थे ,दूसरी तरफ जंतर मंतर पर धरना दे रहे पहलवानो की पिटाई की गई। उनके साथ झड़पे की गई और और बदसलूकी करते हुए घसीट कर उन्हें बसों में बैठकर गिरफ्तार किया गया। देश के सभी नामी पहलवानो के साथ जो बदतमीजी की गई उसकी कहानी नहीं कही जा सकती।
पहलवान आज महीने भर से बीजेपी सांसद बृजभूषण शरण की गिरफ्तारी की मांग कर रहे थे। आज उनकी संसद के बहार महिलाओं की पंचायत भी होनी थी। मामला सिर्फ इतना भर था कि जब सांसद पर यौन शोषण का एफआईआर दर्ज हो चुका है तब उसकी गिरफ्तारी क्यों नहीं हो रही। लेकिन संसद उद्घाटन के मौके पर भी पीएम मोदी ने इस पर कुछ भी नहीं बोला।

आज बृजभूषण शरण खुश हुए होंगे
लेकिन खेल इतना भर ही नहीं हुआ। पूरे जंतर मंतर को खाली करा दिया गया। सभी तम्बू तोड़ दिए गए और बहार फेंक दिया गया। अब खिलाडी कहाँ धरना देंगे कोई नहीं जनता। कह सकते हैं कि नै संसद के उद्घाटन के साथ ही अब सरकार की नई व्यवस्था भी शुरू हो गई है। पहलवान कब तक जेल में रहेंगे यह कोई नहीं जनता। लेकिन देश इसे बर्दाश्त कर पायेगा। अब संसद भवन के बाद राम मंदिर का उद्घाटन होना है। उसकी तैयारी भी चल रही है। घर घर इस राम मंदिर की कहानी को पहुंचाने की तैयारी चल रही है ताकि धर्म की चासनी में गोते खाते लोग अपनी समस्या को भूलकर भजन कीर्तन करते रहे और बीजेपी को वोट देते रहें।


उधर राहुल गाँधी ने आज के खेल पर मोदी को घेरा है। राहुल ने कहा है कि लगता है कि मोदी उद्घाटन को राज्याभिषेक समझ रहे हैं। संसद लोगों की आवाज है। लेकिन संसद में किसी की आवाज तो सुनी नहीं जाती।

दिल्ली के जंतर-मंतर पर धरना दे रहे पहलवानों ने नई संसद भवन पर प्रदर्शन करने के लिए कूच की. वहीं दिल्ली पुलिस के जवानों ने विरोध के बीच उन्हें हिरासत में ले लिया. वहीं पहलवानों ने दिल्ली पुलिस द्वारा की गई कार्रवाई का जमकर विरोध किया, लेकिन दिल्ली पुलिस ने पहलवानों को हिरासत में लेकर उनके प्रदर्शन को विफल कर दिया. वहीं अब पहलवान दोबारा धरना देने के लिए जंतर-मंतर नहीं जा पाएंगे. इस कूच के साथ ही उनका प्रदर्शन भी खत्म हो गया.*
बता दें कि पहलवानों का धरना प्रदर्शन अब खत्म हो गया है. धारा 144 के उल्लंघन के चलते पहलवानों का धरना खत्म हो गया है. अब पहलवान वापस जंतर-मंतर नहीं जा पाएंगे. ऐसे में पुलिस ने प्रदर्शन स्थल खाली करवाना शुरू कर दिया है और टेंट भी हटाए जा रहे हैं.*

वहीं पहलवानों के समर्थन में राकेश टिकैट ने आह्वान किया, जिसके लिए किसान यूपी गेट पहुंचना शुरू हो चुके हैं. यूपी गेट पर दिल्ली और यूपी पुलिस मोर्चा संभाले हुए है. दिल्ली जाने वाले रास्ते पर बैरिकेडिंग कर आने जाने वाले वाहनों को चेक किया जा रहा है. माना जा रहा है कि कुछ देर बाद राकेश टिकैत भी यहां पहुंच सकते हैं. वही. किसान मोर्चा के पदाधिकारी यूपी गेट पहुंचकर नारेबाजी करते हुए नजर भी आ रहे हैं.*

किसान यूनियन ने भी किसान यूनियन की हर महीने होने वाली बैठक को यूपी के गाजीपुर बॉर्डर पर किए जाने की बात कही थी, जिसके बाद भारी संख्या में पुलिस बल तैनात कर दिया गया है. पुरुष पुलिसकर्मियों के साथ महिला पुलिस बल की तैनाती भी की गई

Akhilesh Akhil

Political Editor

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