31 जनवरी से शुरू हो रहे संसद का बजट सत्र हंगामेदार होने की सम्भावना है। राष्ट्रपति अभिभाषण के बाद बजट सत्र को सुचारु रूप से चलाने के लिए सरकार की तरफ से सभी तैयारी तो पूरी कर ली गई है लेकिन मौजूदा समय में जिस तरह की समस्याएं देश के भीतर चल रही है उसमे विपक्ष पूरी ताकत से संसद में अपनी बात रखने को तैयार है। महंगाई ,चीन के साथ सीमा विवाद ,अर्थव्यवस्था की हालत ,अडानी पर आयी रिपोर्ट और सेंसरशिप को लेकर सरकार पर विपक्षी हमले तेज हो सकते हैं। हालांकि सरकार की तरफ से संसद में आम राय बनाने के लिए आज सर्वदलीय बैठक भी बुलाई गई है लेकिन सत्र के दौरान संभावित हमले से इंकार नहीं किया जा सकता।
जानकारी के मुताबिक संसदीय ग्रंथालय भवन में सर्वदलीय बैठक बुलाई गई है। उधर कांग्रेस किसी भी सूरत में चीन मसले पर चर्चा चाहती है जबकि टीएमसी ,वाम दल और आरएसपी महंगाई और बेरोजगारी समेत केंद्र -राज्य सम्बन्धो पर बहस चाहते हैं। संभव है कि टीएमसी बड़े हंगामे के साथ सेंसरशिप को लेकर संसद में अपनी बात उठा सकती है।
संसदीय कार्य राज्यमंत्री अरजुन राम मेघवाल ने कहा है कि बजट सत्र के पहले हिस्से में राष्ट्रपति का अभिभाषण और उनके अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा होगी फिर आम बजट पेश होगा। यह काफी अहम् सत्र है। हम सभी दलों का सहयोग चाहते हैं।
विपक्ष द्वारा उठाये जाने वाले मुद्दों पर मेघवाल ने कहा है कि विपक्ष के मुद्दों पर कार्य मंत्रणा समिति में चर्चा होती है और नियमो के मुताबिक उन्हें लिया जाता है। संसद का बजट सत्र 31 जनवरी से शुरू होगा। इसी दिन राष्ट्रपति मुर्मू लोकसभा और राज्यसभा के संयुक्त सत्र को सम्बोधित करेंगी और फिर इसी दिन आर्थिक समीक्षा पेश की जाएगी। बजट का यह पहला चरण 13 फरवरी तक चलेगा। दूसरा चरण 13 मार्च से शुरू होगा और 6 अप्रैल तक चलेगा। बजट सत्र के दौरान कुल 27 बैठके होंगी।