नोएडा। रविवार अपराह्म करीब ढाई बजे सेक्टर-93ए स्थित एमराल्ड कोर्ट की 30 और 32 मंजिल ट्विन टावर को ब्लास्ट करके पलक झपकते ही जमींदोज कर दिया गया। करीब 104 मीटर ऊंची इन दोनों टावरों का ध्वस्तीकरण में महज 12 सेकंड में हो गया। इन ट्विन टावर के जमींदोज होते ही दो-3 किलोमीटर के इलाके में धुएं और धूल का गुबार आसमान में छा गया, जिसे नियंत्रित करने के लिए एंटी स्मॉक गन और पानी की बौछारों का प्रयोग किया गया।
विस्फोट होते ही आसपास के पेड़ों पर बैठे पक्षी डरकर उड़ गये। नोएडा प्राधिकरण की सीईओ ऋतु माहेश्वरी व पुलिस कमिश्नर आलोक सिंह ने ध्वस्तीकरण के प्लान को पूरी तरह से सफल बताया। उन्होने ब्लास्ट के बाद स्थिति नियंत्रण में व कहीं कोई नुकसान न होने की ख़बर का दावा किया है। हालांकि शाम को साढे बजे के बाद ही तकनीकी एक्सपर्ट टीम ब्लास्ट स्थल पर जाकर निरीक्षण करेगी और अफनी रिपोर्ट तैयार करेगी।
सेक्टर-93ए स्थित एमराल्ड कोर्ट की 30 और 32 मंजिल ट्विन टावर को ब्लास्ट से गिराने का काम मुंबई की कंपनी एडिफिस के इंजीनियर चेतन दत्ता की देखरेख में हुआ। इससे पहले इन टिवन टावर के ध्वस्तीकरण का मॉकड्रिल भी किया गया था। चेतन दत्ता ने डमी मशीन से ब्लास्ट करने का तरीका, पहले मशीन को घुमाने के बाद लाल बटन जलने पर कुछ सेकंड बाद बंद होने के बाद ही ब्लास्ट के लिए हरा बटन दबाने का रिहर्सल किया था।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर इन टिवन टावरों के ध्वस्त करने के लिए पिछले एक सप्ताह से तैयारी की जा रही थी। इसके लिए 37 टन विस्फोटक सामग्री को दोनों टावरों में 9,642 छिद्र करके उनमें विस्फोटक सामग्री प्लांट की गयी थी। ध्वस्तीकरण से पहले आसपास के रियाहशी टावरों में रहने वाले करीब 1400 परिवारों को उनके घरों को खाली करवाकर सुरक्षित स्थानों पर भिजवा दिया गयी था और पूरी इलाके की बैरिकेटिंग कर दी गयी थी।
किसी भी तरह की अप्रिय घटना होने के मद्देनजर व्यापक सुरक्षा व्यवस्था, एनडीआरएफ की टीम, फायर ब्रिगेड की गाड़ियां, चिकित्सा विभाग के 20 डॉक्टरों की टीम, एम्बुलेंस, जिला प्रशासन, नोएडा प्राधिकरण, पुलिस के आला अफसरों सहित पांच सौ से अधिक जवानों को तैनात किया गया था। साथ ही एक्सप्रेस वे का बंद करके दूसरे कई मार्गों के यातायात को भी डायवर्ट कर दिया गया था।
बता दें कि इन टावरो के निर्माण में 200 करोड़ रुपये खर्च किये गये, जबकि इसके ध्वस्तीकरण के लिए 20 करोड़ रुपये खर्च हुए। इनके गिरने से इनके मलवे का वजन ही 25 से 30 हजार टन होने का दावा किया जा रहा है। मलवे की कीमत ही 13 करोड़ रुपये से अधिक होने का अनुमान है। इसको हटाने में ही कम से कम तीन माह का समय लगेगा।
बता दें कि इन टावरों में फ्लैट बुक कराने वाले कुछ लोगों ने टावरों के निर्माण शर्तों का उल्लंघन करने पर इलाहाबाद (अब प्रयागराज) हाईकोर्ट की शरण ली थी और हाईकोर्ट ने टावरों के निर्माण शर्तों का उल्लंघन करने पर इन्हें अवैध करार देते हुए गिराने का आदेश दिया था। इस पर टावर निर्माण कंपनी सुपरटेक यूपी हाईकोर्ट के निर्णय के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंची थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने भी इलाहाबाद हाईकोर्ट के निर्णय पर मुहर लगाते हुए इन्हें टावरों को गिराने का आदेश दिया था। सुप्रीम कोर्ट के आदेश ही इन्हें गिराया गया है।
यहां यह भी गौरतलब है कि नोएडा के सेक्टर-93 स्थित 32 और 30 मंजिला ट्विन टावरों का निर्माण 2009 में हुआ था । सुपरटेक भवन निर्माण कंपनी द्वारा इन दोनों टावरों में 950 से ज्यादा फ्लैट्स बनाये जाने थे, लेकिन बाद में कंपनी के बिल्डिंग के प्लान में बदलाव करने पर कई खरीदार 2012 इलाहाबाद हाईकोर्ट चले गए थे। तब तक इन टावरों में 633 लोगों ने फ्लैट बुक कराये थे, इनमें 248 रिफंड ले चुके हैं, जबकि 133 खरीददार दूसरे प्रोजेक्ट्स में शिफ्ट हो गये थे। इन टावरों में फ्लैट लेने के लिए 252 लोगों का अभी भी निवेश है। सुप्रीम कोर्ट ने इन सभी का भी पूरा पैसा ब्याज सहित लौटाने का आदेश दिया था।