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Flying Cars: चीन कर रहा अनोखी तकनीकी पर काम, बिना पानी के भी तैरेगी गाड़ियां

नई दिल्ली: हमारी रोजाना वाली ज़िन्दगी तमाम तरह के नई-नई टेक्नोलॉजी से भरी पड़ी है, लोग अपने काम को सरल बनाने के लिए नई-नई तकनीकी का प्रयोग करते है. टेक्नोलॉजी के इस बढ़ते दौर में हमारी निर्भरता कई चीजों पर बढ़ चुकी है. आज हम स्मार्टफोन से लेकर स्मार्टबाइक और स्मार्ट कारो (Flying Cars) से पूरी तरह घिरे हुए है.

बता दें कि जहा एक तरफ इन दिनों Flying Cars और बाइक काफी चर्चा में है. तो वहीं चाइना ने कार में एक नई टेक्नोलॉजी का प्रयोग किया है. इस नई टेक्नोलॉजी में चाइना कार में Maglev टेक्नोलॉजी का प्रयोग कर रही है. इस प्रयोग के सफल होने के बाद कार रोड पर चलने के वजाय तैरती हुईं नज़र आने वाली है.

बुलेट ट्रेन की तरह चल पाएगी कार

एक तरफ जहां हम पेट्रोल के विकल्प के तौर पर इलेक्ट्रिक कार की तरफ उपयोग करने पर जोर दें रहें है. तो वहीं चाइना लगातार ऐसे प्रयोग में लगा है जिससे फ्यूचर में कारों को बुलेट ट्रेन की तरह सड़को पर रफ़्तार के साथ चलाया जा सके. इस प्रयोग को चाइना की Southwest Jiaotong यूनिवर्सिटी के रिसर्चर्स द्वारा किया गया. रिसर्चर्स ने 8 पैसेंजर वाली कार को मॉडिफाइ कर मैग्नेट्स की मदद से एक कंडक्टर वाली रोड पर 143 मील प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ाया गया. चीनी मीडिया ने इसका एक वीडियो भी शेयर किया है.

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कितनी सफल होगी यह टेक्नोलॉजी?

इस प्रोग्राम से जुड़े रिसर्चर्स का कहना है कि पैसेंजर गाड़ियों में Maglev (Magnetic Levitation) टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल से एनर्जी के उपयोग में हो रही अप्रत्यषित वृद्धि को कम किया जा सकेगा. फिलहाल यह टेक्नोलॉजी (Flying Cars) कितनी सफल होती है. इस पर अभी किसी प्रकार का कोई मूल्यांकन नहीं किया जा सकता. लेकिन यदि सड़क पर Maglev टेक्नोलॉजी की कार और नार्मल कार एक साथ दोड़ेंगी तो दोनों के क्षतिग्रस्त होने की उम्मीद बढ़ जाती है. इसके अलावा इस तरह का इन्फ्रास्ट्रक्चर तैयार करना भी मुश्किल हो सकता है, क्योंकि इसमें अत्यधिक खर्च और लम्बा वक्त लग सकता है.

क्या होती Maglev टेक्नोलॉजी?

इस टेक्नोलॉजी (Flying Cars) पर कई देशों में ट्रेने काम करती हैं. Southwest Jiaotong यूनिवर्सिटी में रिसर्चर्स ने 8 पैसेंजर कार्स को मॉडिफाइ किया है. इन कार्स को मैग्नेट्स की मदद से एक कंडक्टर रोड पर 143 मील प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ाया जा सका है. आपको बता दें इस टेक्निक का इस्तेमाल 1980 से हो रहा है. चीन, जापान और साउथ कोरिया में आज Maglev ट्रेन्स बहुत तेजी के लिए उपयोग हो रही हैं. इस टेक्नोलॉजी की मदद के चीन ने पिछले साल एक बुलेट ट्रेन को 373 मील प्रति घंटे की रफ्तार से चलाया था.

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