लखनऊ: उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्र की अध्यक्षता में राजस्व ग्रामों के नक्शों की जिओ रेफरेंसिंग के संबंध में बैठक सम्पन्न हुई। अपने संबोधन में मुख्य सचिव ने प्रदेश के समस्त भू-मानचित्रों के जिओ रेफरेंस के कार्य को 2 महीने के भीतर पूरा करने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि स्कैनिंग योग्य मैपशीट्स की संख्या 1,18621 को जिओ रेफरेंस में लाया जाए। इसे मिशन मोड को पूरा करने के लिए तकनीकि कर्मियों को रखा जाए, जिससे यह कार्य जल्द से जल्द हो सके। उन्होंने कहा कि यह कार्य पूरा होने से सभी भूस्वामियों को जमीन की जानकारी स्पष्ट हो सकेगी।
इसके अलावा स्कूल, कार्यालय, धार्मिक स्थल आदि भूमि की लोकेशन भी सही मिलेगी। इसके माध्यम से किसानों की जमीन का रिकॉर्ड भी उपलब्ध हो जाएगा। इसी विषय पर वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से जुड़े एक्सपर्ट श्री राजीव चावला और श्री टीपी सिंह ने अपने विचार व्यक्त किए। इससे पूर्व बैठक में राजस्व विभाग के कार्यों की डिजिटाइजेशन की प्रगति की जानकारी देते हुए राजस्व विभाग की आयुक्त एवं सचिव सुश्री मनीषा त्रिघाटिया ने बताया कि केंद्र सरकार द्वारा डिजिटल इंडिया लैंड रिकार्ड्स मॉडर्नाइजेशन प्रोग्राम योजना में प्रदेश के समस्त भू- मानचित्रों को जिओ रेफरेंस किए जाने के लिए निर्देश दिए गए है। प्रदेश के समस्त गाटों को यूनिक लैंड पार्सल आइडेन्टिफिकेशन नंबर आवंटित किए जाने के लिए भी प्रदेश के समस्त भू- मानचित्रों को जिओ रेफरेंस किया जाना होगा। केंद्र सरकार द्वारा प्रधानमंत्री गति शक्ति मास्टर प्लान के तहत प्रदेश के समस्त भू-खंडों को जिओ रेफरेंस किए जाने के लिए निर्देश दिए गए है। इसके साथ ही कृषि विभाग के एग्रीस्टैक योजना के लिए प्रदेश के समस्त भू-मानचित्रों को जिओ रेफरेंस किए जाने की अपेक्षा है।
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उन्होंने बताया कि प्रदेश के समस्त ग्रामों के स्कैनिंग योग्य उपलब्ध भू-मानचित्रों की स्कैनिंग, डिजिटाइजेशन एवं खतौनी के डाटा से लिंकिंग का कार्य सम्पादित कराया जा रहा है। ग्रामों के स्कैनिंग योग्य उपलब्ध भू-मानचित्रों की स्कैनिंग और राजस्व कर्मियों की ओर से सत्यापन का कार्य 98 प्रतिशत पूरा हो चुका है। खतौनी के डाटा से लिंकिंग व राजस्व कर्मियों द्वारा सत्यापन का कार्य 96 प्रतिशत सम्पादित किया जा चुका है। उन्होंने बताया कि ऑर्थो रेक्टीफाइड सैटेलाइट इमेज के माध्यम से भू-मानचित्रों को जिओ रेफरेंस किया जा सकता है।
उन्होंने मुख्य सचिव के समक्ष तीन विकल्पों के बारे में अवगत कराया। पहले विकल्प का जिक्र करते हुए कहा कि रिमोट सेन्सिंग एप्लीकेशन सेंटर यूपी शासन की अपेक्षानुसार समस्त उपलब्ध भू-मानचित्रों की इमेज फाइल्स उपलब्ध कराते हुए कार्य संपादित कराया जाए। दूसरा विकल्प प्रदेश के 70 जनपदों में भू-मानचित्रों के डिजिटाइजेशन का कार्य सम्पादित कर रही 6 एजेन्सियों से किए गए अनुबंध के अतिरिक्त इस कार्य के लिए अनुबंध को विस्तारित करते हुए उनको आवंटित मंडलों के समस्त जनपदों का कार्य सम्पादित कराया जाए। तीसरा विकल्प जैम पर नई कार्य निविदा के माध्यम से नयी एजेन्सियों का चयन कर कार्य सम्पादित कराया जाए। बता दें कि बैठक में अपर मुख्य सचिव देवेश चतुर्वेदी, प्रमुख सचिव राजस्व सुधीर गर्ग सहित संबंधित विभाग के वरिष्ठ अधिकारीगण आदि उपस्थित थे।