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INS Vikrant : परिश्रम, प्रतिभा, प्रभाव और प्रतिबद्धता का प्रमाण है INS Vikrant, जानिए खासियत एवं कीमत

नई दिल्ली: भारतीय नौसेना (Indian Navy) के लिए आज का दिनबेहद खास है. प्रधानमंत्री मोदी ने आज 2 सितंबर को स्वदेशी एयरक्राफ्ट कैरियर आईएनएस विक्रांत (INS Vikrant) भारतीय नौसेना (Indian Navy) को सौंप दिया. देश के लिए आज ऐतिहासिक दिन है. कोचीन शिपयार्ड पर तैयार किए गए इस विमान वाहक पोत के निर्माण में 20,000 करोड़ रुपये की लागत आई है. इस पोत के आधिकारिक तौर पर शामिल होने से नौसेना की ताकत दोगुनी हो जाएगी.

बता दें कि INS Vikrant की खास बात ये है कि यह एक स्वदेशी युद्धपोत यानी देश में बना एयरक्राफ्ट कैरियर है. इसे 2009 में बनाना शुरू किया गया था. अब 13 साल बाद ये नौसेना को मिला है. इसके साथ ही PM Modi ने नौसेना के नए Ensign (निशान) का भी अनावरण किया. नौसेना का नया Ensign औपनिवेशिक अतीत से दूर और भारतीय मैरिटाइम हैरिटेज से लैस है.

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पीएम मोदी ने इस मौके पर लोगों में एक नया भरोसा पैदा कर दिया

इस मौके पर मोदी जी ने कहा, ‘विक्रांत केवल एक युद्धपोत नहीं है, बल्कि 21वीं सदी के भारत के परिश्रम, प्रतिभा, प्रभाव और प्रतिबद्धता का प्रमाण भी है. आज यहां केरल के समुद्री तट पर भारत, हर भारतवासी, एक नए भविष्य के सूर्योदय का साक्षी बन रहा है. INS विक्रांत पर हो रहा ये आयोजन विश्व क्षितिज पर भारत के बुलंद होते हौसलों की हुंकार है. विक्रांत विशाल है, विराट है, विहंगम है. विक्रांत विशिष्ट है, विक्रांत विशेष भी है. विक्रांत केवल एक युद्धपोत नहीं है. ये 21वीं सदी के भारत के परिश्रम, प्रतिभा, प्रभाव और प्रतिबद्धता का प्रमाण है.” उन्होंने कहा कि “आज भारत विश्व के उन देशों में शामिल हो गया है, जो स्वदेशी तकनीक से इतने विशाल एयरक्राफ्ट कैरियर का निर्माण करता है. आज INS विक्रांत ने देश को एक नए विश्वास से भर दिया है, देश में एक नया भरोसा पैदा कर दिया है.”

अंग्रेजों ने भारतीय जहाजों पर लगाए थे प्रतिबंध

पीएम मोदी ने आगे कहा, INS विक्रांत के हर भाग की अपनी एक खूबी है, एक ताकत है, और अपनी एक विकासयात्रा भी है. ये स्वदेशी सामर्थ्य, स्वदेशी संसाधन और स्वदेशी कौशल का भी प्रतीक है. इसके एयरबेस में जो स्टील लगी है, वो स्टील भी स्वदेशी है. पीएम मोदी ने बताया कि “ छत्रपति वीर शिवाजी महाराज ने इस समुद्री सामर्थ्य के दम पर ऐसी नौसेना का निर्माण किया, जो दुश्मनों की नींद उड़ाकर रखती थी. जब अंग्रेज भारत आए, तो वो भारतीय जहाजों और उनके जरिए होने वाले व्यापार की ताकत से घबराए रहते थे. इसलिए उन्होंने भारत के समुद्री सामर्थ्य की कमर तोड़ने का फैसला लिया. इतिहास गवाह है कि कैसे उस समय ब्रिटिश संसद में कानून बनाकर भारतीय जहाजों और व्यापारियों पर कड़े प्रतिबंध लगा दिए गए.”

2 सितंबर,2022 ऐतिहासिक दिन

पीएम मोदी ने कहा, “आज 2 सितंबर, 2022 की ऐतिहासिक तारीख को, इतिहास बदलने वाला एक और काम हुआ है. आज भारत ने, गुलामी के एक निशान, गुलामी के एक बोझ को अपने सीने से उतार दिया है. आज से भारतीय नौसेना को एक नया ध्वज मिला है. अब तक भारतीय नौसेना के ध्वज पर गुलामी की पहचान बनी हुई थी. लेकिन अब आज से छत्रपति शिवाजी से प्रेरित, नौसेना का नया ध्वज समंदर और आसमान में लहराएगा.”

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