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UTTARAKHAND UCC: उत्तराखंड में लागू हुआ समान नागरिक संहिता (UCC): जानिए कैसे बनी यह ऐतिहासिक नियमावली

UTTARAKHAND UCC: उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता (UCC) बनाने की प्रक्रिया में नागरिकों की व्यापक भागीदारी देखने को मिली। इसके लिए 29 लाख व्हाट्सएप संदेश, 2.33 लाख सुझाव और ईमेल के माध्यम से लोगों की राय प्राप्त की गई। इस प्रक्रिया में जनता के विचारों को प्राथमिकता देते हुए गहराई से अध्ययन किया गया। उत्तराखंड सरकार ने UCC के निर्माण में संयुक्त अरब अमीरात (UAE) और जापान जैसे देशों की समान नागरिक संहिता का भी अध्ययन किया, ताकि इसे अधिक प्रभावी और व्यापक बनाया जा सके। इस तरह, जनभागीदारी और अंतरराष्ट्रीय अनुभवों को ध्यान में रखते हुए राज्य का UCC तैयार किया गया।

UTTARAKHAND UCC: उत्तराखंड के इतिहास में 27 जनवरी 2025 का दिन स्वर्ण अक्षरों में दर्ज हो गया, जब राज्य ने समान नागरिक संहिता (यूसीसी) को आधिकारिक रूप से लागू कर दिया। यह कदम भारत में लंबे समय से बहस का विषय रहे यूसीसी को लेकर एक ऐतिहासिक पहल है। उत्तराखंड इस दिशा में कदम उठाने वाला पहला राज्य बन गया है। लगभग दो वर्षों के गहन अध्ययन, व्यापक जनसुनवाई और विचार-विमर्श के बाद यह नियमावली तैयार की गई है।

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कैसे शुरू हुई थी यूसीसी की तैयारी?

धामी सरकार ने 2022 में यूसीसी का मसौदा तैयार करने के लिए एक पांच सदस्यीय विशेषज्ञ समिति का गठन किया था। इस समिति की अध्यक्षता सुप्रीम कोर्ट की सेवानिवृत्त न्यायाधीश रंजना प्रकाश देसाई ने की। उनके साथ चार अन्य विशेषज्ञ भी समिति में शामिल थे, जिनमें दिल्ली हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश प्रमोद कोहली, उत्तराखंड के पूर्व मुख्य सचिव शत्रुघ्न सिंह, टैक्सपेयर एसोसिएशन के मनु गौड़ और शिक्षाविद सुरेखा डंगवाल शामिल थे।

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समिति ने राज्य के 43 हितधारकों के साथ बैठकों का आयोजन किया और 72 गहन चर्चा सत्रों के माध्यम से जनता से सुझाव लिए। समिति ने संचार के विभिन्न माध्यमों का उपयोग करते हुए जनता से सुझाव मांगे और लाखों सुझाव प्राप्त किए।

लाखों सुझावों के आधार पर तैयार हुई नियमावली

यूसीसी को लेकर जनता ने अभूतपूर्व रुचि दिखाई। समिति को 49 लाख एसएमएस, 29 लाख व्हाट्सऐप संदेश और 2.33 लाख नागरिकों के प्रत्यक्ष सुझाव प्राप्त हुए। इसके अलावा, पोर्टल्स पर 16 हजार, डाक के माध्यम से 36 हजार, ईमेल से 24 हजार और दस्ती रूप से 1.20 लाख सुझाव भी दिए गए।

UTTARAKHAND UCC: Uniform Civil Code (UCC) implemented in Uttarakhand: Know how this historic rule was made

दुनिया के यूसीसी मॉडल्स का अध्ययन

उत्तराखंड की यूसीसी को तैयार करने में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अध्ययन का भी सहारा लिया गया। समिति ने यूएई, तुर्किये, इंडोनेशिया, नेपाल, फ्रांस, जर्मनी, जापान, कनाडा और अजरबैजान जैसे देशों के यूसीसी मॉडल का अध्ययन किया। इन देशों के यूसीसी के प्रावधानों को समझते हुए उत्तराखंड की सांस्कृतिक और सामाजिक संरचना के अनुसार नियमावली तैयार की गई।

12 जुलाई 2024 को सार्वजनिक हुई रिपोर्ट

12 जुलाई 2024 को यूसीसी रिपोर्ट को जनता के सामने पेश किया गया। इस रिपोर्ट को चार खंडों में विभाजित किया गया था:

  1. रिपोर्ट ऑफ द एक्सपर्ट कमेटी – इसमें समिति के अध्ययन और सिफारिशों का विवरण है।
  2. ड्राफ्ट कोड – इसमें यूसीसी का प्रारूप संहिता शामिल है।
  3. रिपोर्ट ऑन स्टेकहोल्डर कंसल्टेशन – इसमें हितधारकों से प्राप्त सुझावों और विचारों का विश्लेषण है।
  4. प्रारूप संहिता – यह नियमावली का अंतिम और सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है।

रिपोर्ट को राज्य सरकार को सौंपने के बाद इसे मंत्रिमंडल से स्वीकृति मिली और 7 फरवरी 2024 को उत्तराखंड विधानसभा में पारित कर दिया गया।

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यूसीसी की वेबसाइट और जनता तक पहुंच

जनता को यूसीसी की रिपोर्ट तक पहुंच देने के लिए एक विशेष वेबसाइट https://ucc.uk.gov.in/ लॉन्च की गई। यह वेबसाइट नागरिकों को रिपोर्ट को पढ़ने और समझने का अवसर प्रदान करती है। इसके साथ ही रिपोर्ट को सार्वजनिक रूप से उपलब्ध कराने के उद्देश्य से आरटीआई के तहत भी इसे मांगने की प्रक्रिया को सरल बनाया गया।

यूसीसी के महत्व और असर

समान नागरिक संहिता का उद्देश्य सभी नागरिकों के लिए समान कानून लागू करना है, चाहे उनकी जाति, धर्म या समुदाय कुछ भी हो। यह एक ऐसा कदम है जो लैंगिक समानता, सामाजिक न्याय और सांस्कृतिक समरसता को बढ़ावा देता है। विशेषज्ञों का मानना है कि उत्तराखंड में यूसीसी लागू होने से न केवल राज्य के भीतर एक सकारात्मक बदलाव आएगा, बल्कि यह देश के अन्य राज्यों के लिए भी एक मिसाल बनेगा।

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Written By। Mansi Negi । National Desk। Delhi

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