UP Ghaziabad News: किसानों को फिर मिला तारीख का लॉलीपॉप, GDA अधिकारियों पर गंभीर आरोप, आंदोलन की चेतावनी
किसानों को फिर मिला तारीख का लॉलीपॉप, GDA अधिकारियों पर गंभीर आरोप, आंदोलन की चेतावनी
UP Ghaziabad News: गाजियाबाद के GDA ऑफिस में सोमवार को न्याय की आस लेकर पहुंचे किसानों को एक बार फिर मायूसी हाथ लगी। अधिकारियों ने मुलाकात से इनकार करते हुए कहा कि “सही समय आने पर सूचना दी जाएगी।” इससे नाराज किसानों ने 28 नवंबर की अंतिम तारीख तय कर दी है। उन्होंने चेतावनी दी है कि यदि उनकी मांगें पूरी नहीं हुईं, तो GDA कार्यालय का घेराव कर अनिश्चितकालीन धरने पर बैठेंगे।
“इंसाफ के बदले तारीखें मिलती रहीं”
किसानों का आरोप है कि 2014 में वेव सिटी और GDA के बीच हुआ समझौता आज तक लागू नहीं हुआ। वे अपनी जमीन का उचित मुआवजा और अन्य अधिकार मांग रहे हैं, लेकिन हर बार उन्हें आश्वासनों का सहारा देकर गुमराह किया जा रहा है। किसान नेता अनुज चौधरी तेवतिया ने कहा, “यह तारीखों का खेल नहीं, बल्कि किसानों की आस्था और धैर्य का मजाक है। अधिकारी हमारी आवाज सुनने को तैयार नहीं हैं, और पीढ़ियां बीत गईं न्याय की आस में।”
28 नवंबर: आखिरी तारीख या नए आंदोलन की शुरुआत?
किसानों ने दो टूक कहा कि अगर 28 नवंबर तक समझौते को लागू नहीं किया गया, तो उनका आंदोलन अब सिर्फ वेव सिटी तक सीमित नहीं रहेगा। वे सीधे GDA कार्यालय का घेराव करेंगे और वहां धरने पर बैठ जाएंगे। किसान शांतिपूर्ण तरीके से अपना अधिकार मांग रहे हैं, लेकिन GDA की उदासीनता उन्हें उग्र कदम उठाने पर मजबूर कर रही है।
अधिकारियों पर गंभीर आरोप
किसानों का कहना है कि GDA अधिकारी बार-बार उन्हें तारीखों का लॉलीपॉप देकर टाल रहे हैं। “हर बार एक नई तारीख देकर हमें गुमराह किया जाता है। अधिकारी यह भी संकेत देते हैं कि अगली बैठक की तारीख 28 नवंबर हो सकती है, लेकिन यह तारीख भी सिर्फ एक छलावा साबित होगी,” एक किसान ने कहा।
किसानों का संकल्प
आंदोलन में शामिल आनंद नागर, सतीश त्यागी, गुड्डू मुखिया, चिंकू चौधरी, राजेंद्र चौधरी, सचिन त्यागी, किरणपाल चौधरी, रामपाल और अरुण त्यागी समेत सैकड़ों किसानों ने इस बात पर जोर दिया कि वे अब पीछे हटने वाले नहीं हैं।
GDA की जिम्मेदारी पर सवाल
किसानों का यह भी कहना है कि GDA की यह उदासीनता उनके हकों को कुचलने का प्रयास है। उन्होंने अधिकारियों को स्पष्ट शब्दों में चेतावनी दी है कि अगर उनके समझौते को लागू नहीं किया गया, तो इसके गंभीर परिणाम होंगे।
“अब चुप नहीं रहेंगे”
किसानों ने कहा, “अबकी बार हम गेट बंद नहीं, बल्कि GDA का रास्ता रोकेंगे। इंसाफ की मांग करते-करते हमारी आवाज अनसुनी होती रही है, लेकिन इस बार हमारी आवाज को दबाया नहीं जा सकेगा।” यह घटनाक्रम केवल किसानों की लड़ाई नहीं, बल्कि प्रशासनिक व्यवस्था पर सवालिया निशान है। क्या 28 नवंबर GDA के लिए जिम्मेदारी का दिन होगा या किसानों के लिए एक और छलावा? वक्त ही इसका जवाब देगा।