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जातीय जनगणना सिर्फ हिंदुओं को बांटने के लिए, क्या है कांग्रेस की सोच ?

Cast Census News BJP: क्या बीजेपी जातीय जनगणना के मुद्दे की काट के लिए जातीय सम्मेलन करने जा रही है, ये सवाल इसलिए क्योंकि जिस तरह विपक्ष ने जातीय जनगणना के मुद्दे पर माहौल बनाना शुरू किया है उसके बाद बीजेपी खेमा थोड़ा चिंता में हैं और इसीलिए बीजेपी अब पिछड़ों को लेकर फ्रंट फुट पर खेलने के मूड में है। इसके लिए बीजेपी के ओबीसी मोर्चा को जिम्मेदारी दी गई है जिसकी अहम बैठक लखनऊ में हो रही है इस बैठक में दिसम्बर से शुरू होने वाली पिछड़ी जातियों के सम्मेलन को लेकर रणनीति तय की जा रही है वहीं लोकसभा और विधानसभा वार होने वाले सामाजिक सम्मेलनों की रुपरेखा भी तय की जाएगी। बीजेपी ने अपने सहयोगी दलों को भी पिछड़ों को साधने के लिए मोर्चे पर लगाया है इनमें अपना दल और सुभासपा सरीखे दल शामिल हैं इसके अलावा दीवाली से पहले मंत्रिमंडल विस्तार भी संभावित है जिसमें ओपी राजभर और दारा सिंह चौहान समेत कुछ और पिछड़े चेहरों को शामिल कर ये संदेश देने की कोशिश की जा सकती है कि बीजेपी सरकार में पिछड़े नेताओं को पूरा महत्व मिल रहा है। ऐसे में सवाल उठता है कि अब तक जातीय सम्मेलनों या जातीय जुटान से परहेज़ रखने वाली बीजेपी की ऐसी कौन सी मजबूरी है कि उसे भी जातिगत राजनीति करनी पड़ रही है अब तक हिन्दुत्व को धार देकर कामयाब राजनीति करती रही बीजेपी क्या जातिगत जनगणना के विपक्षी शोर से विचलित हो गई है।

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दरअसल, आपको बता दें कि लोकसभा चुनाव जैसे जैसे नजदीक आ रहे हैं, वैसे वैसे सियासी गलियारों में नेता राजनेता एक दूसरे पर धुआंधार प्रहार कर रहे हैं। भारतीय जनता पार्टी को हराने के लिए विपक्ष के नेता तमाम तरह के हथकंडे अपना रहे हैं। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भारतीय जनता पार्टी के खिलाफ सबसे बड़ा मास्टरस्ट्रोक खेल दिया है। बिहार में जातीय जनगणना का डंका बजा दिया है, तो वहीं दूसरी ओऱ बीजेपी के ओबीसी मोर्चा को जिम्मेदारी दी गई है जिसकी अहम बैठक लखनऊ में हो रही है इस बैठक में दिसम्बर से शुरू होने वाली पिछड़ी जातियों के सम्मेलन को लेकर रणनीति तय की जा रही है वहीं लोकसभा और विधानसभा वार होने वाले सामाजिक सम्मेलनों की रुपरेखा भी तय की जाएगी। बीजेपी ने अपने सहयोगी दलों को भी पिछड़ों को साधने के लिए मोर्चे पर लगाया है इनमें अपना दल और सुभासपा सरीखे दल शामिल हैं।

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बता दें कि लोकसभा चुनाव से पहले 5 राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं। विधानसभा चुनाव विपक्ष के लिए एक अग्निपरीक्षा साबित होंगे, क्योंकि 5 राज्यों में अगर विपक्ष की जीत होती है, तो ही लोकसभा चुनावों में विपक्षी नेता जनता का भरोसा जीत पाएंगे। विपक्षी नेताओं ने इसी गठबंधन के दम पर देश की सबसे बड़ी औऱ सबसे मजबूत पार्टी भारतीय जनता पार्टी को हराने का सपना देखा था। लेकिन गठबंधन में पहले ही दिन से गांठ पड़ती हुई नजर आ रही थी। विपक्ष के नेता भारतीय जनता पार्टी पर तो वार कर ही रहे थे, लेकिन वहीं दूसरी ओर समाजवादी पार्टी औऱ कांग्रेस पार्टी में संग्राम छिड़ा हुआ था। समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने खुद कमान संभालते हुए कांग्रेसी नेताओं पर ताबड़तोड़ हमले किए थे। तो वहीं कांग्रेस की ओर से भी हमलों की बौछार रूकने का नाम नहीं ले रही थी। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कांग्रेस पर भी हमला बोला था, उन्होंने कहा था कि कांग्रेस का इंडिया गठबंधन पर ध्यान नहीं है। कांग्रेस तो बस विधानसभा चुनावों पर जोर दे रही है। बता दें कि कांग्रेस और समाजवादी पार्टी में दरार की खबरें लगातार सामने आ रही हैं। अखिलेश और कांग्रेस के नेता लगातार एक दूसरे पर जमकर हमले बोल रहे हैं। लेकिन अब नीतीश कुमार का ये बयान कई मायनों में अहम माना जा रहा है। क्या इंडिया गठबंधन से कांग्रेस पार्टी अलग हो जाएगा ?

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