UP Politics: 20 दिन में दूसरा आजमगढ़ दौरा, सीएम योगी के दौरे के क्या हैं मायने’.. किन 7 जिलों पर खास नजर
यूपी की राजनीति में एक बार फिर आज़मगढ़ सुर्खियों में है. यह वही जिला है, जिसे सपा प्रमुख और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव का गढ़ माना जाता है.. लेकिन अब इस गढ़ में सेंध लगाने की कोशिश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ लगातार एक्टिव नजर आ रहे हैं. बीते 20 दिनों में सीएम योगी का यह आजमगढ़ में दूसरा बड़ा दौरा है
UP Politics: उत्तर प्रदेश की राजनीति में आजमगढ़ एक बार फिर से सुर्खियों में है. यह वो जिला है जिसे समाजवादी पार्टी (सपा) प्रमुख अखिलेश यादव का गढ़ माना जाता है, लेकिन अब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ लगातार इस गढ़ में सेंध लगाने की कोशिश कर रहे हैं.
पिछले 20 दिनों में सीएम योगी का आजमगढ़ का यह दूसरा दौरा है, जिससे साफ है कि पूर्वाचल में आने वाले चुनावों के लिए सियासी बिसात बिछाई जा चुकी है. 2022 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों में भाजपा पूर्वांचल के कई जिलों में कमजोर रही थी, और अब सीएम योगी आजमगढ़ से चंदौली तक इस खाई को पाटने की कोशिश में जुटे हैं.
योगी के आजमगढ़ दौरे के मायने
आज मुख्यमंत्री योगी आजमगढ़ के करेमपुर गांव में पौधारोपण दिवस के मौके पर करीब 12,000 पौधे लगाएंगे और उसके बाद एक बड़ी जनसभा को संबोधित करेंगे. यह कार्यक्रम सिर्फ पर्यावरण संरक्षण तक सीमित नहीं है, बल्कि इसके गहरे राजनीतिक मायने भी हैं.
पूर्वांचल में भाजपा की कमजोर कड़ी
2022 के विधानसभा चुनावों में पूर्वांचल भाजपा के लिए एक कमजोर कड़ी साबित हुआ था. आजमगढ़ और अंबेडकर नगर जैसे जिलों में भाजपा अपना खाता भी नहीं खोल पाई थी, जबकि मऊ में उसे सिर्फ एक सीट से संतोष करना पड़ा. ऐसे में पार्टी नेतृत्व और सीएम योगी आदित्यनाथ की नजरें इस क्षेत्र को फिर से साधने पर टिकी हैं.
2022 में भाजपा के लिए कमजोर प्रदर्शन वाले पूर्वांचल के जिले थे
- आजमगढ़: सभी सीटें सपा ने जीतीं, भाजपा खाता भी नहीं खोल सकी.
- अंबेडकर नगर: सभी सीटें सपा के खाते में गईं.
- गाजीपुर: ज्यादातर सीटें सपा और उसके गठबंधन सहयोगियों को मिलीं, भाजपा को 1-2 सीटें ही मिलीं.
- मऊ: भाजपा को सिर्फ 1 सीट मिली, बाकी सपा को गईं.
- जौनपुर: मिला-जुला परिणाम रहा.
- भदोही और चंदौली: भाजपा को कुछ सीटों पर जीत मिली, लेकिन पूरी पकड़ नहीं बन पाई थी.
सीएम योगी 20 जून को आजमगढ़ और अंबेडकर नगर सीमा पर एक बड़ी जनसभा को संबोधित कर चुके हैं. अब 9 जुलाई को आजमगढ़-मऊ सीमा पर एक और जनसभा के जरिए पूर्वांचल के दिल में दस्तक देने की तैयारी है. इससे साफ है कि भाजपा अब इस पूरे क्षेत्र में अपनी जमीनी पकड़ मजबूत करने की रणनीति पर काम कर रही है.
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अखिलेश बनाम योगी: आजमगढ़ बना सियासी पिच
यह देखना दिलचस्प है कि पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और वर्तमान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ दोनों ही आजमगढ़ को अपनी सियासी पिच बना रहे हैं. अखिलेश जहाँ इसे अपनी पारंपरिक सीट और सपा की पहचान मानते हैं, वहीं योगी अब इस इलाके में विकास और क़ानून व्यवस्था के मुद्दों पर जनता को साधने में जुटे हैं. राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि 2024 के लोकसभा चुनावों और फिर 2027 के विधानसभा चुनावों को देखते हुए पूर्वांचल के ये दौरे भाजपा की ज़मीनी स्तर की तैयारियों का हिस्सा हैं.
अखिलेश की भी इन 9 जिलों नजर
हाल ही में अखिलेश यादव ने भी आजमगढ़ में अपने कैंप कार्यालय का ज़ोर-शोर से उद्घाटन किया था, जिसमें न केवल आजमगढ़ बल्कि पूरे यूपी के कई जिलों से सपा के कार्यकर्ता और समर्थक शामिल हुए थे.
इस कार्यक्रम को एक बड़े सियासी इवेंट के रूप में भी देखा गया. माना जा रहा है कि अखिलेश यादव इस कैंप कार्यालय के जरिए अपने पूर्वांचल के गढ़ को और ज्यादा मजबूत बनाए रखना चाहते हैं, बल्कि उनकी नजरें वाराणसी, गोरखपुर, बलिया, कुशीनगर, देवरिया, महराजगंज, संत कबीर नगर, बस्ती और सिद्धार्थ नगर जैसे जिलों पर भी हैं, जहां भाजपा ने 2022 के यूपी विधानसभा चुनावों में सपा को मात दी थी.
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