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Surai forest range: सुरई वन रेंज में पेड़ों के कटान पर मचा बवाल, उपनेता प्रतिपक्ष भुवन कापड़ी ने वन विभाग पर लगाए गंभीर आरोप

Uproar over felling of trees in Surai forest range, Deputy Leader of Opposition Bhuvan Kapri made serious allegations against the forest department.

Surai forest range खटीमा: सुरई वन रेंज में कथित रूप से पेड़ों के अवैध कटान और वन विभाग में व्यापक भ्रष्टाचार के मामले ने तूल पकड़ लिया है। कांग्रेस के खटीमा विधायक और उपनेता प्रतिपक्ष भुवन कापड़ी ने इस मामले में वन विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा कि वन विभाग की मिलीभगत से सुरई वन रेंज में हजारों सागौन के पेड़ों का अवैध कटान किया गया है, जिससे राज्य को राजस्व का भारी नुकसान हुआ है। कापड़ी ने चेतावनी दी है कि वे इस प्रकरण को मुख्यमंत्री और वन मंत्री के समक्ष उठाएंगे और दोषियों पर सख्त कार्रवाई की मांग करेंगे।

प्रेस कॉन्फ्रेंस में उठाए गए सवाल

नगर के कांग्रेस कार्यालय में आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में भुवन कापड़ी ने कहा कि सुरई वन रेंज के अंतर्गत लाट संख्या अ, ब, स, द और न में 2024-25 के दौरान 24,294 सागौन के पेड़ों का छपान किया गया। उन्होंने आरोप लगाया कि इसमें से 21,547 पेड़ों को अनफिट घोषित कर दिया गया, जो कुल पेड़ों का लगभग 89% है। कापड़ी ने सवाल उठाया कि यदि इतने अधिक पेड़ वास्तव में अनफिट थे, तो फिर कटान के लिए इतनी जल्दबाजी क्यों की गई? उन्होंने कहा कि यह स्पष्ट है कि विभागीय प्रक्रिया को अनदेखा करते हुए जल्दीबाजी में पेड़ों का कटान किया गया, जो वन विभाग की गंभीर लापरवाही और भ्रष्टाचार का संकेत है।

पेड़ों की श्रेणी में हेराफेरी का आरोप

कापड़ी ने वन विभाग पर पेड़ों की श्रेणियों को गलत तरीके से दिखाने का भी आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि ए-कैटेगरी के पेड़ों में लकड़ी का घनत्व लगभग 70% होता है, जबकि बी (फिट) कैटेगरी में यह घनत्व 50% होता है और अनफिट कैटेगरी में केवल 30%। उपनेता प्रतिपक्ष के अनुसार, वन विभाग ने जानबूझकर पेड़ों की श्रेणी को कम दिखाया, ताकि लकड़ी का घनत्व घट जाए और इस प्रकार सरकार के राजस्व को भारी नुकसान हो। उनका आरोप है कि इस प्रक्रिया में वन विभाग के कर्मचारियों और अधिकारियों की मिलीभगत है, जो व्यक्तिगत लाभ के लिए सरकारी संपत्ति को क्षति पहुंचा रहे हैं।

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सबूत मिटाने की साजिश का आरोप

कापड़ी ने दावा किया कि पेड़ों की जड़ों को भी नष्ट कर दिया गया है, जिससे भविष्य में होने वाली किसी भी जांच के लिए सबूत नहीं मिल सकेंगे। उन्होंने कहा कि यह एक सुनियोजित साजिश है, जिसके तहत भविष्य में इस मामले की निष्पक्ष जांच में बाधा आएगी। कापड़ी का कहना है कि यह स्थिति बेहद चिंताजनक है और इससे न केवल पर्यावरण पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है, बल्कि यह सरकारी राजस्व के नुकसान का भी बड़ा मामला है।

मुख्यमंत्री और वन मंत्री से मुलाकात करेंगे कापड़ी

कापड़ी ने घोषणा की कि वे जल्द ही इस मामले को लेकर मुख्यमंत्री और वन मंत्री से मुलाकात करेंगे और उन्हें पूरे मामले की जानकारी देंगे। उन्होंने कहा कि वे इस प्रकरण में दोषी वनकर्मियों और अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग करेंगे। कापड़ी ने स्पष्ट किया कि इस भ्रष्टाचार और अनियमितता को किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा, और सरकार से उम्मीद जताई कि वह इस मामले में सख्त कदम उठाएगी।

भ्रष्टाचार पर रोक के लिए कड़े कदम उठाने की मांग

उपनेता प्रतिपक्ष ने मांग की कि वन विभाग में फैले भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के लिए कड़े कदम उठाए जाएं। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार को वन विभाग में चल रही अनियमितताओं पर विशेष ध्यान देना चाहिए और दोषियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई करनी चाहिए। कापड़ी ने कहा कि राज्य के प्राकृतिक संसाधनों की रक्षा और पर्यावरण संरक्षण के लिए सरकार को जल्द से जल्द ठोस उपाय करने चाहिए।

स्थानीय जनता में गुस्सा और वन विभाग पर उठ रहे सवाल

इस मामले के प्रकाश में आने के बाद स्थानीय लोगों में भी भारी आक्रोश है। लोग वन विभाग पर आरोप लगा रहे हैं कि वह अपने लाभ के लिए प्राकृतिक संसाधनों का दुरुपयोग कर रहा है। स्थानीय जनता का कहना है कि सुरई वन रेंज का यह क्षेत्र पर्यावरण के लिए महत्वपूर्ण है, और इस तरह की अवैध गतिविधियां पर्यावरण संतुलन को बिगाड़ सकती हैं।

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Written By। Mansi Negi । National Desk। Delhi

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