Uproar Over Suicide Statement: कर्नाटक मंत्री जमीर अहमद खान के विवादित शब्दों पर मचा राजनीतिक तूफान
Uproar Over Suicide Statement: हाल ही में कर्नाटक सरकार के मंत्री बी. ज़ेड. जमीर अहमद खान का एक बयान सामने आया है, जिसने राज्य ही नहीं बल्कि राष्ट्रीय राजनीति में भी हलचल मचा दी है। सोशल मीडिया पर वायरल हुए एक वीडियो में खान कहते नजर आ रहे हैं
Uproar Over Suicide Statement: हाल ही में कर्नाटक सरकार के मंत्री बी. ज़ेड. जमीर अहमद खान का एक बयान सामने आया है, जिसने राज्य ही नहीं बल्कि राष्ट्रीय राजनीति में भी हलचल मचा दी है। सोशल मीडिया पर वायरल हुए एक वीडियो में खान कहते नजर आ रहे हैं, “मोदी-शाह मुझे बम दें, मैं फिदायीन बनकर पाकिस्तान जाऊंगा।” यह बयान जैसे ही सामने आया, भारतीय राजनीति में तूफान सा आ गया।
इस बयान की तीव्र आलोचना भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और अन्य विपक्षी दलों ने की है। भाजपा ने इसे देशविरोधी करार देते हुए कांग्रेस से मंत्री को तुरंत बर्खास्त करने की मांग की है। भाजपा नेताओं ने यह सवाल भी उठाया कि क्या कांग्रेस पार्टी का यही असली चेहरा है और क्या पार्टी ऐसे विचारों का समर्थन करती है?
बयान की पृष्ठभूमि
जमीर अहमद खान ने यह बयान एक स्थानीय जनसभा में दिया, जहां वह कथित रूप से केंद्र सरकार की पाकिस्तान नीति, कश्मीर मुद्दे और मुसलमानों के प्रति कथित भेदभाव को लेकर आक्रोशित थे। उनका इरादा शायद केंद्र सरकार की विदेश नीति पर कटाक्ष करना था, लेकिन उन्होंने जो भाषा चुनी, वह न सिर्फ असंवेदनशील थी, बल्कि संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति के लिए बेहद अनुचित भी मानी जा रही है।
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राजनीतिक प्रतिक्रियाएं
भाजपा के कर्नाटक इकाई के प्रमुख और कई राष्ट्रीय नेताओं ने इस बयान को ‘राष्ट्रविरोधी’ बताया और कहा कि ऐसे मंत्री को एक दिन भी पद पर बने रहने का अधिकार नहीं है। भाजपा प्रवक्ता ने कहा, “जिस व्यक्ति की सोच इतनी कट्टर और हिंसक हो, उसे मंत्रीपद से तत्काल हटाया जाना चाहिए। यह केवल एक व्यक्ति का बयान नहीं है, यह कांग्रेस की मानसिकता को दर्शाता है।”
वहीं कांग्रेस की ओर से सफाई दी गई है कि यह बयान व्यक्तिगत है और पार्टी इसका समर्थन नहीं करती। कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने कहा कि वह इस मामले की जांच करवाएंगे और यदि बयान की सत्यता की पुष्टि होती है तो मंत्री के खिलाफ उचित कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा, “हम किसी भी प्रकार की चरमपंथी सोच का समर्थन नहीं करते।”
कानूनी पहलू
विवादित बयान के बाद यह सवाल भी उठ रहा है कि क्या इस मामले में कानूनी कार्रवाई की जा सकती है। भारतीय दंड संहिता (IPC) की विभिन्न धाराओं के अंतर्गत राष्ट्र विरोधी गतिविधियों और भड़काऊ भाषण देने पर कार्रवाई की जा सकती है। कई अधिवक्ताओं का मानना है कि यदि बयान की पुष्टि होती है, तो यह राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (NSA) और यूएपीए जैसे कठोर कानूनों के तहत भी जांच के योग्य है।
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जनता की प्रतिक्रिया
सोशल मीडिया पर इस बयान को लेकर तीखी प्रतिक्रिया देखने को मिली है। ट्विटर, फेसबुक और व्हाट्सएप जैसे प्लेटफॉर्म पर लोगों ने इस बयान की निंदा करते हुए जमीर खान के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है। कुछ लोगों ने इसे “राजनीतिक नौटंकी” बताया तो कुछ ने इसे “भड़काऊ और गैरजिम्मेदाराना”।
लोकतंत्र में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता सबको प्राप्त है, लेकिन जब एक निर्वाचित प्रतिनिधि, खासकर कोई मंत्री, इस तरह का बयान देता है, तो उससे देश की एकता और अखंडता पर सवाल खड़े होते हैं। नेताओं से यह अपेक्षा की जाती है कि वे संयमित भाषा का प्रयोग करें और ऐसी किसी भी बात से परहेज करें जो सामाजिक सौहार्द को बिगाड़ सकती है।
राजनीतिक दलों को भी यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उनके नेता सार्वजनिक मंचों पर जिम्मेदारी से बोलें। यदि ऐसी घटनाओं पर समय रहते कड़ी कार्रवाई नहीं की गई, तो यह लोकतांत्रिक व्यवस्था की गरिमा और जनता के विश्वास को नुकसान पहुँचा सकता है।
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