Uttarakhand Assembly Session: उत्तराखंड विधानसभा मानसून सत्र 19 अगस्त से गैरसैंण में
19 अगस्त से गैरसैंण में शुरू हो रहे मानसून सत्र से पहले मुख्यमंत्री धामी के पास सीमित समय है। अब देखना दिलचस्प होगा कि मंत्रिमंडल विस्तार की घोषणा पहले होती है या संसदीय कार्य मंत्री की नियुक्ति — या फिर दोनों साथ-साथ। उत्तराखंड की राजनीति का यह अगला कदम राज्य की प्रशासनिक दिशा और बीजेपी की अंदरूनी स्थिति दोनों को साफ कर सकता है।
Uttarakhand Assembly Session: उत्तराखंड में इस बार विधानसभा का मानसून सत्र 19 अगस्त से 22 अगस्त तक ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण के भराड़ीसैंण स्थित विधानसभा भवन में आयोजित किया जाएगा। जहां एक ओर इस सत्र के आयोजन की तिथियां और स्थान तय हो चुके हैं, वहीं दूसरी ओर संसदीय कार्य मंत्री के पद को लेकर सरकार के सामने असमंजस की स्थिति बनी हुई है। पूर्व कैबिनेट मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल के इस्तीफे के बाद से यह पद रिक्त है और अब तक नया नाम घोषित नहीं किया गया है।
मंत्रिमंडल विस्तार की अटकलें तेज
संसदीय कार्य मंत्री के चयन में हो रही देरी को लेकर अब मंत्रिमंडल विस्तार की चर्चाएं भी जोर पकड़ रही हैं। हाल ही में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने दो दिवसीय दिल्ली दौरे के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह और बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा समेत कई केंद्रीय नेताओं से मुलाकात की थी। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इन बैठकों के दौरान मंत्रिमंडल विस्तार पर भी गंभीर मंथन हुआ होगा।
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वर्तमान समय में उत्तराखंड सरकार में कई मंत्रालयों को लेकर अतिरिक्त जिम्मेदारियां एक ही मंत्री के पास हैं, ऐसे में मानसून सत्र से पहले नए चेहरों को मंत्रिमंडल में शामिल किया जाना न सिर्फ सियासी संतुलन बनाए रखने के लिए जरूरी है, बल्कि संसदीय कार्य मंत्री जैसे अहम पद की नियुक्ति के लिए भी यह अपरिहार्य हो गया है।
बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष का बयान
बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट ने भरोसा जताया है कि मुख्यमंत्री बहुत जल्द संसदीय कार्य मंत्री के नाम की घोषणा करेंगे। उन्होंने यह भी कहा कि मुख्यमंत्री को अपने निर्णय लेने की पूरी स्वतंत्रता है, और मानसून सत्र शुरू होने से पहले आवश्यक नियुक्तियां कर दी जाएंगी। साथ ही उन्होंने गैरसैंण में सत्र आयोजित करने के लिए मुख्यमंत्री का आभार भी जताया।
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विपक्ष के तीखे सवाल
दूसरी ओर विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने सरकार को घेरना शुरू कर दिया है। कांग्रेस प्रवक्ता प्रतिमा सिंह ने तंज कसते हुए कहा कि धामी सरकार का मंत्रिमंडल विस्तार “बीरबल की खिचड़ी” बनकर रह गया है, जो चार साल से पक नहीं पा रही है। उन्होंने कहा कि बीजेपी के अंदर ही यह तय नहीं हो पा रहा कि किन विधायकों को मंत्री बनाया जाए, जिससे असमंजस की स्थिति बनी हुई है।
आचार संहिता बनी रुकावट
फिलहाल उत्तराखंड में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के चलते आदर्श आचार संहिता लागू है, जिसके कारण मंत्रिमंडल विस्तार में औपचारिक घोषणा नहीं हो पा रही है। माना जा रहा है कि पंचायत चुनाव समाप्त होने के तुरंत बाद ही सरकार इस दिशा में कोई ठोस कदम उठा सकती है।
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मौजूदा सियासी माहौल में अहम मोड़
उत्तराखंड में मंत्रिमंडल विस्तार और संसदीय कार्य मंत्री की नियुक्ति अब महज प्रशासनिक विषय नहीं रह गए हैं, बल्कि यह सत्तारूढ़ दल की राजनीतिक रणनीति और नेतृत्व क्षमता की भी परीक्षा बन चुके हैं। जनता और विपक्ष की निगाहें मुख्यमंत्री धामी के अगले फैसले पर टिकी हैं कि वे किसे मंत्री पद की जिम्मेदारी देते हैं और कौन होगा वह चेहरा जो आगामी मानसून सत्र में सरकार की तरफ से सदन में जवाबदेही निभाएगा।
19 अगस्त से गैरसैंण में शुरू हो रहे मानसून सत्र से पहले मुख्यमंत्री धामी के पास सीमित समय है। अब देखना दिलचस्प होगा कि मंत्रिमंडल विस्तार की घोषणा पहले होती है या संसदीय कार्य मंत्री की नियुक्ति — या फिर दोनों साथ-साथ। उत्तराखंड की राजनीति का यह अगला कदम राज्य की प्रशासनिक दिशा और बीजेपी की अंदरूनी स्थिति दोनों को साफ कर सकता है।
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