UTTARAKHAND CAMPA FOREST FUND: उत्तराखंड कैंपा फॉरेस्ट फंड मामला, 42 अधिकारियों से पूछताछ, वन विभाग और CAG में मतभेद, जांच में सामने आए अहम खुलासे
UTTARAKHAND CAMPA FOREST FUND: उत्तराखंड कैंपा फॉरेस्ट फंड मामले में जांच तेज हो गई है। कैंपा कार्यालय ने 42 अधिकारियों से जवाब मांगा है, जिनमें से 21 से अधिक प्रभागों ने अपनी रिपोर्ट सौंप दी है। हालांकि, वन विभाग ने कई बिंदुओं पर असहमति जताई है।
UTTARAKHAND CAMPA FOREST FUND: उत्तराखंड कैंपा (कम्पनसेटरी अफॉरेस्टेशन फंड मैनेजमेंट एंड प्लानिंग अथॉरिटी) फॉरेस्ट फंड को लेकर उठे विवाद के बीच अब इस मामले में बड़े स्तर पर जांच शुरू हो गई है। CAG (नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक) की रिपोर्ट सामने आने के बाद हड़कंप मच गया था, जिसके तुरंत बाद राज्य सरकार और वन विभाग ने इस पर गंभीरता से संज्ञान लिया। अब तक की समीक्षा में यह स्पष्ट हुआ है कि इस मामले में कोई बड़ा घोटाला नहीं हुआ है, बल्कि कुछ वित्तीय अनियमितताएं पाई गई हैं। हालांकि, इस मामले को लेकर वन विभाग और CAG के बीच कुछ बिंदुओं पर असहमति बनी हुई है।
CAG की रिपोर्ट और 42 अधिकारियों से पूछताछ
CAG की रिपोर्ट में कैंपा फंड के तहत खर्च की गई राशि को लेकर कई आपत्तियां उठाई गई थीं। इसके बाद कैंपा कार्यालय ने 42 अधिकारियों से जवाब मांगा, जिनमें से 21 से अधिक प्रभागों ने अपने जवाब जमा कर दिए हैं। रिपोर्ट के अनुसार, पिछले तीन सालों में कैंपा फंड के तहत कुल 753 करोड़ रुपये खर्च किए गए, जिनमें से केवल 13.86 करोड़ रुपये के खर्च पर CAG ने आपत्ति जताई है। यानी कुल बजट का लगभग 95% हिस्सा सही पाया गया, जबकि सिर्फ 5% राशि को लेकर सवाल उठे हैं।
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रिपोर्ट सामने आने के बाद विधानसभा सत्र में यह मामला चर्चा का विषय बन गया। रिपोर्ट के आधार पर दावा किया गया कि कैंपा स्कीम में 13 करोड़ रुपये से अधिक की वित्तीय अनियमितताएं हुई हैं। हालांकि, वन विभाग ने इन आरोपों पर असहमति जताई है और कई बिंदुओं पर CAG की आपत्तियों को गलत बताया है।
आईफोन और अन्य उपकरणों की खरीद पर सवाल
इस मामले में सबसे ज्यादा विवाद आईफोन और अन्य इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों की खरीद को लेकर हुआ। जांच के दौरान सामने आया कि वन विभाग द्वारा सिर्फ दो आईफोन खरीदे गए थे। इसके अलावा, लैपटॉप और अन्य उपकरणों की खरीद को लेकर भी सवाल उठाए गए हैं। अधिकारियों से यह पूछा जा रहा है कि आखिर किन जरूरतों के आधार पर इन उपकरणों को खरीदा गया था और क्या यह खरीद प्रक्रिया नियमों के तहत हुई थी।
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CAG की रिपोर्ट पर वन विभाग ने जताई असहमति
वन विभाग का कहना है कि CAG ने जिन मुद्दों पर आपत्ति जताई है, उनमें से कई ऐसे हैं जो वास्तव में वनीकरण से जुड़े कार्यों के तहत किए गए थे। उदाहरण के लिए, हरेला महोत्सव और नर्सरी लगाने से जुड़े खर्चों पर भी सवाल उठाए गए हैं। वन विभाग का कहना है कि ये सभी कार्य पर्यावरण संरक्षण और जंगलों के पुनर्वास से जुड़े थे, ऐसे में इन्हें अनियमितता मानना सही नहीं होगा।
वन मंत्री सुबोध उनियाल का कहना है कि अब तक की जांच में 12 अधिकारियों को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया गया है। इसके अलावा, जिन उपकरणों की खरीद को लेकर सवाल उठ रहे हैं, उनकी भी समीक्षा की जा रही है। वन मंत्री ने यह भी कहा कि CAG की रिपोर्ट और वन विभाग के बीच मतभेद का मुख्य कारण यह हो सकता है कि ऑडिट प्रक्रिया के दौरान दोनों पक्षों में संवाद की कमी रही हो।
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2.69 करोड़ की अनियमितता पाखरो प्रकरण से जुड़ी
CAG द्वारा उठाई गई आपत्तियों में सबसे बड़ा मुद्दा पाखरो सफारी प्रकरण से जुड़ा हुआ है। रिपोर्ट के अनुसार, 13.86 करोड़ रुपये की अनियमितताओं में से 2.69 करोड़ रुपये की राशि पाखरो सफारी योजना से संबंधित है, जिस पर पहले से ही CBI जांच चल रही है। यानी यह मामला अब केंद्र सरकार की एजेंसी के दायरे में भी आ गया है और इस पर आगे विस्तृत जांच होगी।
कैंपा CEO समीर सिन्हा का बयान
कैंपा के CEO समीर सिन्हा ने कहा कि मामले की विस्तृत समीक्षा जारी है और इसमें कई ऐसे बिंदु सामने आए हैं जिन पर विभाग की विनम्र असहमति है। उन्होंने कहा कि जिन मामलों में नियमों का उल्लंघन पाया जाएगा, वहां निश्चित रूप से कार्रवाई होगी, लेकिन कुछ मामलों में CAG की रिपोर्ट में जो आपत्तियां जताई गई हैं, वे पूरी तरह तथ्यात्मक नहीं लगतीं।
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