Uttarakhand Education Department : उत्तराखंड शिक्षा विभाग ने अक्षम शिक्षकों पर सख्त कार्रवाई की तैयारी की, अनिवार्य सेवानिवृत्ति और बर्खास्तगी की योजना
Uttarakhand Education Department: Uttarakhand Education Department prepared to take strict action against incompetent teachers, plans for compulsory retirement and dismissal
Uttarakhand Education Department: उत्तराखंड शिक्षा विभाग में शैक्षिक गुणवत्ता में सुधार के उद्देश्य से राज्य के अक्षम शिक्षकों और लंबे समय से अनुपस्थित शिक्षकों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की तैयारी की जा रही है। इस संबंध में उत्तराखंड के शिक्षा मंत्री धन सिंह रावत ने अधिकारियों को सख्त निर्देश जारी किए हैं। इसके तहत राज्यभर के स्कूलों में कार्यरत अक्षम शिक्षकों की सूची तैयार कर उन्हें अनिवार्य सेवानिवृत्ति देने का फैसला लिया गया है। वहीं, ऐसे शिक्षक जो लगातार अनुपस्थित रहते हैं या जिनकी स्कूल में उपस्थिति बेहद कम है, उन्हें बर्खास्त करने का भी निर्णय लिया गया है।
शैक्षिक गुणवत्ता में सुधार के लिए सख्त कदम
शिक्षा मंत्री धन सिंह रावत ने स्पष्ट किया है कि राज्य में शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार के लिए यह कदम उठाना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि राज्य के सभी मुख्य शिक्षा अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि ऐसे शिक्षकों की सूची बनाई जाए, जो अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन करने में सक्षम नहीं हैं। यह कदम राज्य में शैक्षणिक गुणवत्ता और बच्चों के भविष्य को बेहतर बनाने के लिए उठाया जा रहा है।
शिक्षा मंत्री ने अधिकारियों से कहा कि अक्षम शिक्षकों की पहचान की प्रक्रिया जल्द पूरी होनी चाहिए, ताकि उन्हें अनिवार्य सेवानिवृत्ति दी जा सके। इस दौरान ऐसे शिक्षकों पर भी कार्रवाई की जाएगी, जो किसी गंभीर बीमारी से ग्रस्त हैं और अपनी ड्यूटी सही तरीके से नहीं निभा पा रहे हैं। इसके अलावा, जो शिक्षक या कर्मचारी लंबे समय से अपने कार्यस्थल पर उपस्थित नहीं हैं, उन पर भी बर्खास्तगी की तलवार लटक रही है।
स्कूलों के पुनर्गठन की योजना: छात्र संख्या और मूलभूत सुविधाओं की जांच
उत्तराखंड शिक्षा विभाग ने ऐसे प्राथमिक और माध्यमिक विद्यालयों को भी मर्ज करने का निर्णय लिया है, जहां छात्रों की संख्या मानक से कम है। शिक्षा मंत्री ने अधिकारियों को दो माह के भीतर ऐसे सभी विद्यालयों की सूची प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है। इसके साथ ही, राज्य के सभी स्कूलों में मूलभूत सुविधाओं की स्थिति की जांच की जाएगी।
शिक्षा मंत्री ने नाराजगी जताते हुए कहा कि राज्य के कई विद्यालयों में अभी भी बिजली, पानी, शौचालय, फर्नीचर और पुस्तकों जैसी बुनियादी सुविधाएं नहीं हैं, जो छात्रों की पढ़ाई और स्कूल में रहने की अवधि को प्रभावित करती हैं। उन्होंने अधिकारियों से कहा कि जिन स्कूलों में ये सुविधाएं उपलब्ध नहीं हैं, उनकी सूची जल्द तैयार की जाए ताकि उन पर उचित कार्यवाही की जा सके और छात्रों को बेहतर शैक्षिक वातावरण मिल सके।
सुगम और दुर्गम स्कूलों के मानकों का पुनरीक्षण
शिक्षा मंत्री ने प्राथमिक और माध्यमिक स्कूलों के सुगम और दुर्गम कोटि मानकों के पुनरीक्षण की भी बात कही है। उन्होंने सभी जिलों के मुख्य शिक्षा अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि वे जिला स्तर पर बैठक कर इन मानकों का पुनरीक्षण करें और इस संबंध में एक रिपोर्ट तैयार करें। राज्य के दुर्गम इलाकों में स्कूलों की स्थिति को बेहतर बनाने और शिक्षकों की अनुपस्थिति को कम करने के लिए इस प्रक्रिया को अपनाया जा रहा है।
इससे पहले, उत्तराखंड के कई दुर्गम क्षेत्रों में स्थित स्कूलों में शिक्षकों की उपस्थिति की कमी और छात्रों की संख्या में गिरावट की समस्या सामने आ चुकी है। इस समस्या का समाधान करने के लिए शिक्षा विभाग ने स्कूलों के पुनर्गठन और शिक्षकों की जिम्मेदारियों के पुनर्विन्यास की योजना बनाई है।
क्लस्टर विद्यालयों के चयन में तेजी लाने के निर्देश
शिक्षा मंत्री ने क्लस्टर विद्यालयों के चयन की धीमी प्रगति पर भी नाराजगी जताई। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए कि क्लस्टर विद्यालयों के चयन में तेजी लाई जाए और इस कार्य को जल्द से जल्द पूरा किया जाए। क्लस्टर विद्यालयों की अवधारणा के तहत, उन स्कूलों को जोड़ा जाता है जहां छात्र संख्या कम होती है या जहां शिक्षा का स्तर अपेक्षाकृत कम है। इस कदम से शिक्षकों और छात्रों को बेहतर संसाधन और शैक्षिक सुविधाएं उपलब्ध कराई जा सकेंगी।
राज्य की शैक्षिक नीति में बड़ा बदलाव
राज्य के शिक्षा विभाग ने एक व्यापक शैक्षिक नीति तैयार की है, जिसमें शैक्षिक मानकों को बढ़ाने और शिक्षकों की जिम्मेदारियों को स्पष्ट करने के प्रयास किए गए हैं। इस नीति का मुख्य उद्देश्य राज्य के सभी छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करना और राज्य के सभी स्कूलों में बुनियादी सुविधाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करना है। शिक्षा मंत्री ने अधिकारियों से कहा कि इस नीति का प्रभावी क्रियान्वयन सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक कदम उठाए जाएं, ताकि राज्य की शैक्षिक गुणवत्ता में सुधार हो सके।
समाज और शिक्षकों से अपील
शिक्षा मंत्री धन सिंह रावत ने राज्य के शिक्षकों और समाज के लोगों से अपील की है कि वे इस सुधारात्मक कदम का समर्थन करें। उन्होंने कहा कि शिक्षा विभाग का उद्देश्य केवल शिक्षकों को दंडित करना नहीं है, बल्कि राज्य के शैक्षिक ढांचे को मजबूत करना और छात्रों के लिए एक बेहतर भविष्य की दिशा में कार्य करना है। उन्होंने शिक्षकों से आग्रह किया कि वे अपनी जिम्मेदारियों का ईमानदारी से निर्वहन करें और राज्य के शैक्षणिक विकास में योगदान दें।