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Digital Language Preservation: उत्तराखंड की लोकभाषाओं को मिलेगा डिजिटल रूप, बनेगा भाषाई मानचित्र और ई-लाइब्रेरी

उत्तराखंड सरकार राज्य की लोकभाषाओं, लोकसंस्कृति और साहित्य के संरक्षण और प्रचार-प्रसार के लिए व्यापक प्रयास कर रही है। इसके अंतर्गत डिजिटलीकरण, ई-लाइब्रेरी, भाषाई मानचित्र और ऑडियो-विजुअल दस्तावेज तैयार किए जाएंगे। स्कूलों में स्थानीय भाषाओं से जुड़ी प्रतियोगिताएं और राज्यस्तरीय साहित्य महोत्सव का भी आयोजन किया जाएगा।

Digital Language Preservation: उत्तराखंड की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और लोकभाषाओं को संरक्षित और प्रोत्साहित करने की दिशा में राज्य सरकार ने बड़ा कदम उठाया है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में सचिवालय में आयोजित उत्तराखंड भाषा संस्थान की साधारण सभा एवं प्रबंध कार्यकारिणी समिति की बैठक में कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए। इन निर्णयों के तहत उत्तराखंड की क्षेत्रीय बोलियों, लोककथाओं, लोकगीतों और साहित्य का डिजिटलीकरण किया जाएगा, ताकि यह धरोहर आने वाली पीढ़ियों तक आसानी से पहुंचे।

बोली, साहित्य और संस्कृति को मिलेगा नया मंच

राज्य सरकार अब डिजिटल माध्यमों का सहारा लेकर लोकभाषाओं और उनसे जुड़े साहित्य को संरक्षित करेगी। इसके लिए एक ई-लाइब्रेरी की स्थापना की जाएगी जिसमें उत्तराखंड की विविध भाषाओं और बोलियों में रचित साहित्य, कहानियां और गीत संग्रहित होंगे। इसके अतिरिक्त, इन लोककथाओं और लोकगीतों पर आधारित ऑडियो-विजुअल सामग्री भी तैयार की जाएगी जिससे बच्चों और युवाओं को स्थानीय संस्कृति से जुड़ाव हो सके।

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शिक्षण संस्थानों में होगा स्थानीय भाषा पर विशेष फोकस

बैठक में यह भी निर्णय लिया गया कि स्कूलों में हर सप्ताह स्थानीय बोलियों पर आधारित भाषण, निबंध और अन्य प्रतियोगिताएं आयोजित की जाएंगी। इसका उद्देश्य बच्चों को अपनी मातृभाषा और लोकसंस्कृति के प्रति जागरूक और गर्वित बनाना है। इसके अलावा, उत्तराखंड भाषा और साहित्य महोत्सव का आयोजन भी किया जाएगा, जिसमें देशभर से नामचीन साहित्यकारों को आमंत्रित किया जाएगा।

भाषाओं के लिए बनेगा डिजिटल मानचित्र

उत्तराखंड की बोलियों और भाषाओं का भाषाई मानचित्र तैयार किया जाएगा, जिसमें यह दर्शाया जाएगा कि राज्य के किस हिस्से में कौन-सी बोली बोली जाती है। यह मानचित्र भाषा अनुसंधान और संरक्षण की दिशा में एक मजबूत आधार बनेगा। साथ ही, प्राचीन गायन परंपरा ‘बाकणा’ का भी अभिलेखीकरण किया जाएगा, जो जौनसार बावर क्षेत्र में पौराणिक काल से प्रचलित है।

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सम्मानों की राशि में इजाफा

मुख्यमंत्री ने घोषणा की कि उत्तराखंड साहित्य गौरव सम्मान की राशि बढ़ाकर अब 5 लाख 51 हजार रुपये कर दी जाएगी। इसके अलावा, दीर्घकालीन साहित्य सेवी सम्मान के रूप में 5 लाख रुपये दिए जाएंगे। इसके पीछे सरकार का उद्देश्य है कि वर्षों से साहित्य साधना कर रहे लोगों को उचित पहचान और सम्मान दिया जाए।

युवा रचनाकारों को मिलेगा मंच

राजभाषा हिंदी को बढ़ावा देने के उद्देश्य से राज्य सरकार द्वारा ‘युवा कलमकार प्रतियोगिता’ का आयोजन किया जाएगा। इसमें 18 से 24 और 25 से 35 वर्ष की उम्र के युवाओं को भाग लेने का अवसर मिलेगा। प्रतियोगिता के माध्यम से नए साहित्यकारों को राज्य स्तर पर मंच मिलेगा।

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ग्रामीण क्षेत्रों में चल पुस्तकालयों की योजना

राज्य सरकार की योजना है कि दूरस्थ और ग्रामीण इलाकों में सचल पुस्तकालय (मोबाइल लाइब्रेरी) शुरू किए जाएं। इससे उन क्षेत्रों में भी साहित्य पहुंच सकेगा जहां स्थायी पुस्तकालयों की सुविधा नहीं है। बड़े प्रकाशकों के सहयोग से यह पुस्तकालय साहित्य और शिक्षा के क्षेत्र में एक नई पहल साबित होंगे।

बच्चों के लिए वीडियो और जागरूकता अभियान

उत्तराखंड भाषा संस्थान द्वारा स्थानीय भाषाओं में छोटे-छोटे वीडियो बनाए जाएंगे, जिससे बच्चों की इन भाषाओं के प्रति रुचि बढ़े। यह वीडियो स्कूलों और सामाजिक मीडिया प्लेटफार्म पर भी प्रसारित किए जाएंगे।

साहित्यिक ग्रामों की स्थापना

राज्य सरकार दो स्थानों पर साहित्य ग्राम स्थापित करेगी, जहां साहित्यकार प्रकृति की गोद में बैठकर रचनात्मक कार्य कर सकेंगे। इन ग्रामों में साहित्यिक चर्चाएं, संगोष्ठियां और लेखन शिविर आयोजित किए जाएंगे।

बुक को बनाएं भेंट का माध्यम

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने प्रदेशवासियों से अपील की कि वे बुके की जगह बुक भेंट करने की परंपरा को बढ़ावा दें। यह न केवल ज्ञानवर्धन का कार्य है, बल्कि समाज में पढ़ने-पढ़ाने की संस्कृति को भी प्रोत्साहित करेगा।

इस पहल के माध्यम से उत्तराखंड सरकार न केवल अपनी भाषाओं और संस्कृति को संरक्षित करने की दिशा में कदम उठा रही है, बल्कि नई पीढ़ी को भी अपनी जड़ों से जोड़ने का कार्य कर रही है।

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