Varun Gandhi Latest News: और बीजेपी के पोस्टर-बैनर से गायब हो गए वरुण गाँधी
Varun Gandhi Latest News: वरुण गाँधी को बीजेपी ने भुला दिया। बैनर -पोस्टर से तो वरुण गाँधी गायब हो ही गए अब तो बीजेपी का कोई भी नेता अपने भाषणों में भी वरुण गाँधी का नाम नहीं लेता। आज पीएम मोदी पीलीभीत पहुंचे थे। वहां उनकी बड़ी सभा लगी थी। चुनावी माहौल में भीड़ भी खूब जुटी। तराई इलाके में दूर -दूर से लोग मोदी को देखने सुनने पहुंचे थे।
बीजेपी ने इसकी तैयारी भी खूब की थी। मोदी जब मंच पर खड़े हुए तो तालियों की गड़गड़ाहट लम्बे समय तक चलती रही। खूब नारे भी लगे। बीजेपी के साथ ही चुनाव लड़ रहे उम्मीदवार के पक्ष में भी नारे लगे। भीड़ से खूब आवाज आ रही थी। भीड़ कह रही थी कि अबकी बार चार सौ पार लेकिन किसी की जुबान पर वरुण का नाम नहीं था। वरुण गाँधी इसी इलाके के सांसद हैं। पीएम मोदी ने मेनका कोई नाम नहीं लिया और न ही बीजेपी के किसी नेता ने वरुण को याद किया। जाहिर है वरुण गाँधी के लिए अब बीजेपी काफी दूर जा चुकी है ,राजनीति का यह खेल अपने आप में बेजोड़ है। इस तरह की राजनीति पहले कभी नहीं देखी गई थी। सच यही है कि मोदी के मंच पर वरुण आये और न ही बीजेपी ने उन्हें याद किया।
पीलीभीत में मोदी के मंच पर सभी बैठे थे। एक तरफ सीएम योगी थे तो दूसरी तरफ भूपेंद्र चौधरी। संजय गंगवार भी थे और बरेली के सांसद संतोष गंगवार भी पहुंचे थे। इसके साथ ही पीलीभीत के नए उम्मीदवार जितिन प्रसाद भी विराजमान थे लेकिन वरुण गाँधी नहीं थे।
सभी नेताओं के पोस्टर जरूर लगे थे लेकिन किसी भी पोस्टर में वरुण नहीं थे। कल तक जो जनता वरुण के साथ खड़ी थी वह जनता भी वरुण को नहीं देख रही थी और न ही याद कर रही थी। यह भी बता दें कि इस बार पीलीभीत से वरुण की जगह बीजेपी ने जितिन प्रसाद को टिकट दिया है।
प्रसाद शाहजहांपुर के रहने वाले हैं। अभी वे यूपी सरकार में लोकनिर्माण मंत्री हैं। प्रसाद की राजनीति कांग्रेस से शुरू हुई है। अब वे बीजेपी में हैं। पहले कांग्रेस ने उन्हें आगे बढ़ाया अब वे बीजेपी को आगे बढ़ा रहे हैं।
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वरुण गाँधी की माता जी मेनका गाँधी को बीजेपी ने टिकट दिया है लेकिन वरुण गाँधी को टिकट नहीं मिली। बीजेपी के किसी भी नेता ने इस पर कोई सवाल खड़ा नहीं किया। बीजेपी के भीतर खुद को कई नेता बड़े कहलाते हैं लेकिन किसी की मजाल नहीं कि वह वरुण पर सवाल करे। वरुण ने सरकार की आलोचना की थी। मोदी सरकार के खिलाफ कई तरह की बाते कही थी और बीजेपी की कई नीतियों के खिलाफ आवाज बुलंद की थी। बस यही उनकी कमी थी।
पीलीभीत मेनका गाँधी के साथ ही उनके पुत्र वरुण की कर्मस्थली है। यहाँ से इस परिवार का करीब तीन दशक से रिश्ता है। आज भी पीलीभीत के लोग वरुण को खूब चाहते हैं। वरुण ने अपनी टिकट काटने के बाद यहाँ के लोगों के नाम भावुक पत्र भी लिखा था अपनी माँ के साथ इस पीलीभीत में मैं पहली बार अपनी माँ का हाथ पकडे तब आया था जब वे तीन साल के थे। तभी से यहाँ से नाता है। यहाँ की जनता ने ही उन्हें बांया है और मजबूत भी किया है।
पीलीभीत की जनता को भी लग रहा था कि मोदी के मंच पर वरुण जरूर आएंगे। बीजेपी के लोग उन्हें जरूर बुलायेंगे। लेकिन वरुण कही नहीं दिखे। जनता निराश भी हुई। बीजेपी के कुछ लोग भी निराश हुए लेकिन वरुण आखिर निराश नहीं होंगे। वे कही और किसी और योजना की तैयारी में होंगे। संभव है कि बीजेपी आगे भी वरुण के नाम की घोषणा कर सकती है लेकिन वरुण के लोग ऐसा नहीं मानते।
वरुण गाँधी अभी युवा है। उनकी लड़ाई आगे भी चलेगी। इस चुनाव में वे क्या कुछ करते जहां यह देखने की बात होगी लेकिन एक बात तो साफ़ हो गया है कि बीजेपी ने वरुण से दूरियां बढ़ा ली है।