Uttarakhand Tunnel:उत्तराखंड के सिलक्यारा में सुरंग हादसे में फंसे मजदूरों को बाहर निकलने का काउंटडउन शुरू हो गया है। और टनल में फंसे मजदूरों के लिए सबसे बड़ी उम्मीद की किरण 900 मिलीमीटर की पाइप हैं। ये वो पाइप है। जो मजदूरों को आज एक नई सुबह देखी। इसी पाइप के जरिए मजदूर 12 वें दिन सूरज की पहली किरण देखेंगे। और इसमे सबसे बड़ी भूमिका निभाई अमेरिका की ऑगर मशीन। इसी ऑगर मशीन ने चट्टानों का सीना चीरते हुए मजदूरों के लिए नई जीवन रेखा खींची। सरकार के अथक प्रयास और मजदूरों के बुलंद हौसले ने ये बता दिया कि आपदा और चट्टान कोई बाधा नहीं बन सकती है। देर रात जब ऑगर मशीन अपने भारी भरकंप जबड़ों से चट्टानों को तोड़ रही थी। तभी उसके सामने एक और चुनौती सामने आई और वो थी लोहे की सरिया।लेकिन मजदूरों और ज़िदगी की नई सुबह के बीच दीवार बन रहे लोहे के जाल को हटाने का जिम्मा उठाया। आपदा में देवदूत बनने वाले हमारे NDRF औऱ SDRF के जवानों ने गैस कटर की मदद से दोनों टीमों इस फासले को मिटाने में जुट गई है।
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उम्मीदों भरी भोर की पहली किरण!
रेस्क्यू ऑपरेशन पर पिछले 11 दिनों से एक मास्टर प्लान के तहत काम किया जा रहा है। एनडीआरएफ ने 800 मिमी पाइप के भीतर से मजदूरों को निकालने के लिए गोलाकार स्ट्रेचर बनाया है। बुधवार को बाहर पाइप के भीतर इसे डालकर उन्होंने मजदूरों को बाहर निकालने की मॉक ड्रिल की और उम्मीद की जा रही है कि सब कुछ ठीक रहा पाइप सुरंग में आर-पार होने के बाद महज कुछ मिनट के भीतर सभी 41 मजूदरों को सुरंग से बाहर निकाल लिया जाएगा।वहीं दूसरी तरफ टनल में फंसे मजदूरों का लगातार हौसला बढ़ाया जा रहा है, माइक्रोफोन के जरिए मजदूरों से बात हुई। इसके साथ साथ उत्तरकाशी टनल के ऊपर किसी के भी जाने की मनाही हो गई है. सभी काम को रोकने का आदेश दिया गया है। वर्टिकल ड्रिलिंग को रोकने का आदेश दिया गया है. सिलक्यारा की तरफ से पाइप डालने की जो कोशिश हो रही है अब सिर्फ उसी से ही आगे बढ़ाया जा रहा है।वहीं दूसरी तरफ सिल्क्यारा सुरंग से निकाले जाने के बाद मज़दूरों की चिकित्सा जांच और देखभाल के लिए चिन्यालीसौड़ के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में 41 बिस्तरों वाला अस्पताल तैयार किया गया है। और घटनास्थल के बाहर 40 एंबुलेंस तैनात कर दी गई है। प्रशाशन मजदूरों के स्वास्थ्य को लेकर काफी गंभीर है इसीलिए घटनास्थल पर नेशनल वैक्सीन वैन को भी तैनात किया गया है।
उम्मीदों का चिराग, मजदूरों को नई रोशनी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ साथ साथ उत्तराखंड के सीएम पुष्कर सिंह धामी उत्तरकाशी में मौजूद हैं। और पूरी रात रेस्क्यू ऑपरेशन पर लगातार नजर बनाए रहे और माना जा रहा है कि टनल से निकाले जाने के बाद वो अस्पताल में मजदूरों से मुलाकात कर सकते हैं।सिलक्यारा में हुए इस हादसे के बाद से NHAI भी जागा है और अब वो संरक्षा और उच्चतम गुणवत्ता मानकों का पालन सुनिश्चित करने के लिए देशभर में सभी 29 निर्माणाधीन सुरंगों का सुरक्षा ऑडिट करेगा। जिसके लिए एनएचएआई के अधिकारी, दिल्ली मेट्रो रेल निगम (डीएमआरसी) के विशेषज्ञों की एक टीम अन्य सुरंग विशेषज्ञों के साथ देश में जारी सुरंग परियोजनाओं का निरीक्षण करेगी और सात दिन के भीतर एक रिपोर्ट सौंपेंगी। 12 दिन से चल रहा ये रेस्क्यू ऑपरेशन कापी चुनौतीपूर्ण रहा, लेकिन मजूदरों और सरकार ने हार नहीं मानी। जिसका नतीजा ये रहा कि रेस्क्यू ऑपरेशन अपने अंतिम चरण में किसी भी वक्त 11 दिन से टनल में कैद मजदूर सूरज की पहली किरण देख सकते हैं।
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सुरंग के ‘गब्बर’
गब्बर सिंह नेगी सिलक्यारा सुरंग के निर्माण में लगी कंपनी नवयुग इंजीनियरिंग में फोरमैन- पौड़ी जिले के कोटद्वार के रहने वाले गब्बर 25 सालों से सुरंग कंपनियों से जुड़े हैं, पहले भी सुरंग में फंस चुके गब्बर मजदूरों के लीडर, पाइप के जरिए बातचीत में बोले थे गब्बर- टीम निकलने के बाद सबसे आखिर में निकलूंगा।