Wakf Board: कोच्चि के केरल उपनगरों में मुनंबम और चेराई गांवों में 400 एकड़ संपत्ति एक महत्वपूर्ण विवाद का विषय बन गई है, क्योंकि वक्फ बोर्ड ने इस भूमि पर अवैध दावा किया है, जो लगभग 600 परिवारों की है। यह मामला धीरे-धीरे राज्य की सीमाओं को पार कर अब राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा का विषय बना हुआ है। इस विवाद में मुख्य रूप से मुनम्बम, चेराई,(Munambam, Cherai) और पल्लिकाल द्वीप (Pallikal Island) के इलाके शामिल हैं, जो कई दशकों से इन परिवारों की संपत्ति रही है। अब यह इलाका वक्फ बोर्ड (Wakf Board) की नज़र में है, जिससे इन परिवारों के शिर पर अपनी जमीन खोने का डर मंडरा रहा है।
आपको बता दें केरल (kerala) के एर्नाकुलम जिले में 600 से ज़्यादा ईसाई परिवारों ने वक्फ बोर्ड के खिलाफ संसदीय समिति से शिकायत की है। इन परिवारों के मुताबिक, वक्फ बोर्ड उनकी ज़मीन पर मालिकाना हक जता रहा है। इस बात की संभावना है कि ये लोग अपनी ज़मीन खो देंगे। केरल कैथोलिक बिशप काउंसिल (Kerala Catholic Bishops Council) और सिरो-मालाबार चर्च (Syro-Malabar Church) जैसे प्रमुख ईसाई संगठनों ने वक्फ (संशोधन) विधेयक 2024 पर संयुक्त संसदीय समिति के समक्ष शिकायत दर्ज कराई है और अनुरोध किया है कि समिति इस मामले का समाधान करे।
दरअसल, कोच्चि (Kochi) के एक मछली पकड़ने वाले गांव चेराई में लगभग 610 परिवार इस डर में जी रहे हैं कि कहीं वक्फ बोर्ड उन्हें अपनी जमीन से बेदखल न कर दे, जो उन पर अपना दावा कर रहा है। केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू (Union Minister Kiren Rijiju) ने सिरो-मालाबार चर्च और केसीबीसी (Syro-Malabar Church and KCBC) द्वारा लिखे गए पत्रों को X पर साझा करते हुए आश्वासन दिया है कि उनकी शिकायतों का समाधान किया जाएगा।
वक्फ भूमि (Waqf Land) का मामला विभिन्न संस्कृतियों के लोगों को प्रभावित कर रहा है। मुझे यह देखकर दुख होता है कि प्रतिष्ठित ईसाई नेताओं को इस तरह से अपनी पीड़ा व्यक्त करनी पड़ रही है। मैं उन्हें गारंटी देता हूं कि उनके मुद्दों का समाधान किया जाएगा,” रिजिजू ने 28 सितंबर को लिखा। इसके अलावा, उन्होंने संयुक्त संसदीय समिति (JPC) पर अपना भरोसा जताया।
दोनों चर्च संगठनों ने संयुक्त संसदीय समिति (Joint Parliamentary Committee) को दिए ज्ञापन में केरल के एर्नाकुलम जिले के चेराई और मुनंबम (Cherai and Munambam) क्षेत्रों में ईसाई परिवारों की संपत्तियों पर वक्फ बोर्ड के “अवैध” दावे पर चिंता व्यक्त की। सिरो-मालाबार लोक मामलों के आयोग के अध्यक्ष आर्कबिशप एंड्रयूज थजाथ (Archbishop Andrews Thazhath) ने 10 सितंबर को JPC को लिखे पत्र में कहा कि वक्फ बोर्ड ने एर्नाकुलम जिले में कई संपत्तियों पर गलत तरीके से दावा किया है, जो पीढ़ियों से इस क्षेत्र के ईसाई परिवारों के स्वामित्व में थीं, जिससे वास्तविक मालिकों को विस्थापित होना पड़ा और कानूनी विवाद पैदा हो गया।
आर्कबिशप के पत्र के मुताबिक , 600 से अधिक परिवार प्रतिदिन इस पीड़ा और चिंता का अनुभव करते हैं। उन्होंने JPC से इन और देश के कई अन्य स्थानों के निवासियों की दुर्दशा को ध्यान में रखने के लिए कहा, जो वक्फ बोर्ड द्वारा किए गए अवैध दावों के कारण बेघर होने का सामना कर रहे हैं। केरल कैथोलिक बिशप काउंसिल (KCBC) के अध्यक्ष कार्डिनल बेसिलियोस क्लीमिस ने भी इसी तरह की अपील में एर्नाकुलम के मुनंबम बीच के पास 600 से अधिक घरों की संपत्ति पर वक्फ बोर्ड के नाजायज दावों के संबंध में चिंता व्यक्त की है।
रिपोर्ट की मानें तो शिकायतकर्ताओं ने आरोप लगाया है कि यह जमीन 1902 में सिद्दीकी सैत द्वारा खरीदी गई थी और बाद में 1950 में फिरोजपुर कॉलेज को दान कर दी गई थी। संस्थान के पक्ष में उच्च न्यायालय के 1975 के फैसले ने मछुआरों और कॉलेज के बीच लंबे समय से चल रहे संघर्ष को समाप्त कर दिया। इसके बाद 1989 में स्थानीय लोगों ने कॉलेज से ज़मीन खरीदना शुरू कर दिया। लेकिन 2022 में अचानक गांव प्रशासन ने दावा किया कि ज़मीन का मालिकाना हक वक्फ बोर्ड के पास है और उसने ज़मीन बेचने या गिरवी रखने पर रोक लगा दी।