ज्ञानवापी पर हिंदू और मुस्लिम पक्ष में छिड़ गई जंग!
Gyanwapi Court Decision: ज्ञानवापी (Gyanwapi Court Decision) के व्यास तहखाने में पूजा पर रोक लगाने के लिए दायर याचिका पर इलाहाबाद हाई कोर्ट में सुनवाई से मुस्लिम पक्ष को कोई राहत नहीं मिली। जिसके बाद मुस्लिम पक्ष ने कोर्ट के फैसलों पर सवाल उठाए हैं।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ज्ञानवापी (Gyanwapi Court Decision) के व्यासजी के तहखाने में पूजा-पाठ पर रोक लगाने से इनकार कर दिया- मस्जिद कमेटी की तरफ से इलाहाबाद हाई कोर्ट में याचिका दायर कर व्यासजी के तहखाने में पूजा पाठ को तुरंत रोकने की अपील की गई थी।
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हाई कोर्ट ने मामले की सुनवाई के लिए 6 फरवरी की तारीख दी। जमीयत उलेमा हिंद के प्रमुख अरशद मदनी ने कहा है कि आप हर मजिस्द को इसी तरह से लेना चाहते है। जमीयत उलेमा हिंद के प्रमुख अरशद मदनी का कहना है कि अब कोर्ट के फैसले कोर्ट के हिसाब से नहीं होगे। हमसे हमारा हक छिन रहे है, उन्होंने आगे कहा कि भारत में कोर्ट की सभी किताबों को आग लगा दी जाए,। वो यहीं नहीं रूके उन्होंने आगे कहा कि कोर्ट का जनाजा निकाला जा रहा है, अब लोगों को भरोसा कम हो रहा है कोर्ट से। आप हर मजिस्द को इसी तरह से लेना चाहते है. ये रुख मुल्क की आबादी का नहीं बर्बादी का है।
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मुस्लिम पक्ष की तरफ से दायर याचिका में पूजा स्थल अधिनियम 1991 का हवाला देते हुए ज़िला कोर्ट के फैसले पर तुरंत रोक लगाने की मांग की गई थी।
ज्ञानवापी को लेकर हाईकोर्ट में सुनवाई के बाद मुस्लिम पक्ष की बयानबाजी पर हिंदू पक्ष ने आपत्ति जताई है। संत समाज ने मुस्लिम नेताओं और AIMPLB के बयानों पर रोष जताया है। हिन्दू पक्ष के लोगों ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले का स्वागत किया। और दावा किया कि व्यासजी के तहखाने में पूजा पाठ पर रोक लगाने का लिखित आदेश कानूनी तौर पर कभी आया ही नहीं था।
केन्द्रीय मंत्री साध्वी निरंजन ज्योति ने कहा कि त्रिशूल क्या कर रहे हैं, शंख क्या कर रहे हैं, वो दीवारें चीख-चीख कर चिल्ला रही हैं कि यहां भगवान भोलेनाथ जी विराजित हैं, तो कोर्ट को भी नहीं मानेंगे, संविधान को नहीं मानेंगे तो किसको मानेंगे।
ज्ञानवापी के मुद्दे पर संत समाज 11 फरवरी को प्रयागराज में बड़ी बैठक करने की तैयारी में है। ये बैठक VHP के बैनर तले होगी। विश्व हिंदू परिषद के कार्यकारी अध्यक्ष आलोक कुमार ने मुस्लिम पक्ष के बयानों पर ऐतराज जताया है।
इस बीच अखिल भारतीय संत समिति की भी ज्ञानवापी पर बैठक हुई। जिसमें मुस्लिम पक्ष की दलीलों को नकारते हुए कोर्ट के फैसले का स्वागत किया गया।
संतों की बैठक में इस बात पर निर्णय हुआ कि अगर कोर्ट के फैसले का विरोध सड़कों पर हुआ तो संत समाज भी प्रशासन के साथ मिलकर इसका जवाब देगा।