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क्या हाक एडवांस ट्रेनर विमान खरीद में ली गई थी दलाली ? सीबीआई ने केस दर्ज किया ,कांग्रेस की बढ़ेगी मुश्किलें

BJP News: बीजेपी को कांग्रेस के खिलाफ लड़ने के लिए एक नया हथियार मिल गया है। इस हथियार के जरिये बीजेपी अब कांग्रेस को घेरेगी और जनता के पास भी के जायेगी ।कहानी है हॉक एडवांस ट्रेनर विमान की खरीद में दलाली को लेकर ।यह विमान ब्रिटिश कंपनी रॉयल्स रॉयस से हॉक विमान खरीदने की है ।कहा जा रहा है कि इस विमान की खरीद में दलाली और रिश्वतखोरी की गई । बिचौलियों का नाम उजागर न हो इसके लिए भी दलाली की गई ।अब इस मामले में सीबीआई ने केस दर्ज किया है ।सीबीआई पिछले सात साल से इसकी जांच कर रही थी । आगे क्या होगा इसे देखने की जरूरत है लेकिन अभी बीजेपी इस मुद्दे को जनता तक ले जाने की तैयारी कर रही है । सीबीआई के मुताबिक ब्रिटश कंपनी से हॉक एडवांस ट्रेनर विमान की खरीद में न सिर्फ दलाली दी गई है बल्कि बिचौलिये का नाम उजागर होने से रोकने के लिए भी करोडो की रिश्वत दी गई है।


बता दें कि ब्रिटिश सीरियस फ्रॉड दफ्तर के सामने खुद रायल्स रॉयस ने यह जानकारी दी थी कि उसने विचौलियों को रिश्वत दी थी। अब सीबीआई ने इस मामले में ब्रिटिश कंपनी के साथ ही आर्म्स डीलर भानु चौधरी ,सुधीर चौधरी और अन्य अज्ञात अधिकारियों को आरोपी बनाया है।
इस कहानी क शुरुआत तब होती है जब केंद्र में बीजेपी की सरकार थी और वाजपेई देश के प्रधानमंत्री थे। तब उन्होंने 2003 में ब्रिटिश कोमनि के साथ 5663 करोड़ रुपये में 24 हॉक एडवांस ट्रेनर विमान खरीदने का फैसला किया था। इसके अलावा 12 ट्रेनर विमान एचएएल में बनाये जाने थे। इसके लिए ब्रिटिश कम्पनी को अलग से उपकरण आपूर्ति के लिए 1944 करोड़ का भुगतान करना था। इसके साथ ही मैनुफैक्टर लाइसेंस के लिए रायल्स रॉयस को 56 करोड़ दिया जाना था। इस में यह भी शर्त थी की इस खरीद में कोई बिचौलिया नहीं होगा। अगर विचौलिया आया तो समझौता रद्द हो जायेगा। लेकिन इस पुरे समझौते पर अमल मनमोहन सिंह की सरकार में हुआ। और फिर यही से दलाली की कहानी शुरू हो गई।
साल 2006 -07 में आयकर विभाग ने ब्रिटिश कम्पनी के दफ्तर में तलाशी ली। इस तलाशी में कई सुराग आयकर को मिले थे। सबसे बड़ा सबूत एक सूचि के तौर पर मिली थी जिसमे कई विचौलिये के नाम दर्ज थे। समझते के मुताबिक अब सौदा रद्द होने की बात सामने आई तो ब्रिटिश कंपनी ने वह सूचि आयकर विभाग ले कर उसे नष्ट कर दिया। लेकिन 2012 में जब ब्रिटिश फ्रॉड दफ्तर में इस मामले की सुनवाई हुई तो इस खेल की पोल खुल गई। फिर रायल्स रॉयस ने इस बात को स्वीकार किया कि सौदे हाशिल करने के लिए उन्होंने इंडोनेशिया ,थाईलैंड और चीन ,मलेशिया ,भारत समेत कई देशों में दलाली दी थी। 2017 में क्राउन कोर्ट के फैसले में इस स्वीकार का जिक्र किया गया है। कहा जाता है कि इसमें 14 करोड़ की दलाली दी गई थी। इसके साथ ही ब्रिटिश कंपनी ने यह भी स्वीकार किया कि लाइसेंस फीस को 31 करोड़ बढाकर 56 करोड़ किये जाने के एवज में 8 करोड़ की दलाली दी गई। मजे की बात तो यह है कि 2008 में एचएएल ने ब्रिटिश कोम्पनी के साथ 57 अतिरिक्त हॉक एडवांस ट्रेनर क्राफ्ट बनाकर सरकार को आपूर्ति करने का समझौता किया।

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सीबीआई के मुताबिक जो प्रारंभिक जांच हुई है उसमे रायल्स रॉयस इंडिया के निदेशक टिम जोन्स की सक्रिय भूमिका को रेखांकित किया है। उसे आरोपी भी बनाया गया है। इसके साथ ही इस डील में आर्म्स डीलर भानु चौधरी और उसके बेटे सुधीर चौधरी की भूमिका भी सामने आई है। सीबीआई की एफआईआर के अनुसार सुधीर चौधरी से जुड़ी एक कंपनी के स्विस बैंक खाते में एक रूसी कंपनी से 77 करोड़ रुपये ट्रांसफर किये गए थे।

Akhilesh Akhil

Political Editor

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