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Pahalgam Attack: हमने लोगों को बुलाया, लेकिन उन्हें वापस नहीं भेज पाए…माफी मांगने के लिए शब्द नहीं…उमर अब्दुल्ला ने बयां किया कश्मीर का दर्द

पहलगाम में हुए भीषण हमले के बाद विधानसभा सत्र में सीएम उमर अब्दुल्ला भावुक हो गए। सीएम ने कहा, हमने पर्यटकों को यहां आने के लिए आमंत्रित किया था, मृतकों के परिवारों से माफी मांगने के लिए मैं क्या कहूं। मेरे पास माफी मांगने के लिए शब्द नहीं हैं। हमने इन लोगों को जम्मू-कश्मीर आने के लिए आमंत्रित किया था, लेकिन उन्हें वापस नहीं भेज सके।

Pahalgam Attack: पहलगाम आतंकी हमले ने देश को झकझोर कर रख दिया है। हमले के बाद उपजे हालात पर चर्चा के लिए विधानसभा के एक दिवसीय विशेष सत्र में सीएम उमर अब्दुल्ला भावुक हो गए और कहा कि इस हमले ने हमें अंदर से खोखला कर दिया है। इस हमले से पूरा देश प्रभावित हुआ। किसी ने अपना पिता खोया, किसी ने अपना बेटा तो किसी ने अपना भाई खोया। मैं उस नेवी अफसर की विधवा को, उस छोटे बच्चे को क्या जवाब दूं जिसने अपने पिता को खून से लथपथ देखा। उमर ने कहा कि मैंने पर्यटकों को यहां आने के लिए आमंत्रित किया था, लेकिन उन्हें वापस नहीं भेज सका। मेरे पास माफी मांगने के लिए शब्द नहीं हैं। अब्दुल्ला ने विधानसभा में बोलते हुए कश्मीर का दर्द बयां किया।

पहलगाम हमले के खिलाफ जम्मू-कश्मीर विधानसभा में निंदा प्रस्ताव किया गया पारित

पहलगाम आतंकी हमले के खिलाफ जम्मू-कश्मीर विधानसभा में निंदा प्रस्ताव पारित किया गया। इस दौरान मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने सदन में खड़े होकर हमले में मारे गए सभी लोगों के नाम लिए और कहा कि यह हमला कश्मीर पर नहीं बल्कि पूरे देश पर हमला है। उत्तर से दक्षिण, पूर्व से पश्चिम, अरुणाचल से गुजरात, जम्मू-कश्मीर, केरल और बीच के सभी राज्य, पूरा देश इस हमले से प्रभावित हुआ है। जम्मू-कश्मीर में यह पहला हमला नहीं है, बल्कि 21 साल बाद यहां इतना बड़ा हमला हुआ है।

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पर्यटकों को बुलाया… उन्हें नहीं भेज पाए वापस

सीएम उमर अब्दुल्ला ने कहा कि हमने पर्यटकों को यहां आने के लिए आमंत्रित किया था, मैं मृतकों के परिवारों से माफी मांगने के लिए क्या कहूं। मेरे पास माफी मांगने के लिए शब्द नहीं हैं। मैं कानून व्यवस्था का प्रभारी नहीं हूं, लेकिन पर्यटन मंत्री के तौर पर मैंने इन लोगों को जम्मू-कश्मीर आने के लिए आमंत्रित किया था, लेकिन उन्हें वापस नहीं भेज सका। कुछ लोग आए और मुझसे पूछा कि हमारा क्या कसूर है, हम यहां छुट्टियां मनाने आए थे, लेकिन अब हमें इस पहलगाम हमले का खामियाजा जिंदगी भर भुगतना पड़ेगा।

मैंने पर्यटकों को दिया था कश्मीर आने का न्योता – उमर अब्दुल्ला

उमर अब्दुल्ला ने कहा कि मैंने पर्यटकों को कश्मीर आने का न्योता दिया था। उनके मेजबान के तौर पर उनकी देखभाल और सुरक्षा करना हमारी जिम्मेदारी है। मेरे पास पर्यटकों से माफ़ी मांगने के लिए शब्द नहीं हैं। उन्होंने कहा कि मैं नौसेना अधिकारी की विधवा से क्या कहूं, जिनकी कुछ दिन पहले ही शादी हुई है? मेरे पास उन्हें सांत्वना देने के लिए शब्द नहीं हैं। पीड़ितों के कई परिवार के सदस्यों ने मुझसे पूछा कि उनका अपराध क्या था? मेरे पास कोई जवाब नहीं था। उन्हें सुरक्षित भेजना हमारी जिम्मेदारी थी। मैं उन बच्चों और पत्नियों को सांत्वना नहीं दे सका। इस हमले ने हमें अंदर से खोखला कर दिया है।

कश्मीरी ये हमले नहीं चाहते

सीएम उमर ने कहा कि 26 साल में पहली बार मैंने लोगों को बाहर आते देखा। शायद ही कोई शहर, कोई गांव इसके विरोध में बाहर न आया हो। कोई भी कश्मीरी इसके साथ नहीं है। उन्होंने कहा कि 26 साल में पहली बार मैंने जम्मू-कश्मीर में किसी हमले के बाद लोगों को इस तरह बाहर आते देखा। कठुआ से लेकर श्रीनगर तक लोग बाहर आए और खुलकर कहा कि कश्मीरी ये हमले नहीं चाहते। मेरे नाम पर नहीं… हर कश्मीरी ये कह रहा है।’ उमर अब्दुल्ला ने कहा कि पहलगाम के 26 लोगों का दुख-दर्द जितना जम्मू-कश्मीर की विधानसभा समझती है, उतना न तो संसद समझती है और न ही इस देश की कोई और विधानसभा।

हम पीड़ित परिवारों के साथ सहानुभूति रखते हैं

उमर अब्दुल्ला ने कहा कि आपके सामने जो लोग बैठे हैं, उन्होंने अपने करीबी रिश्तेदारों को खोया है। किसी ने अपने पिता को खोया है, किसी ने अपने चाचा को। हममें से कितने लोग हैं जिन पर हमला हुआ है? हमारे इतने साथी हैं जिन पर इतने हमले हुए हैं कि हम उनकी गिनती करते-करते थक जाएंगे। अक्टूबर 2001 में श्रीनगर हमले में 40 लोगों की जान चली गई थी। इसलिए पहलगाम में मारे गए लोगों का दर्द इस सभा से ज्यादा कोई नहीं समझ सकता। उन्होंने कहा कि हम पीड़ित परिवारों के साथ सहानुभूति रखते हैं। इस आतंकी हमले में लोगों ने अपने प्रियजनों को खो दिया, हम उन परिवारों के साथ खड़े हैं।

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पहलगाम हमले ने हमें अंदर से खोखला कर दिया

सीएम अब्दुल्ला ने कहा कि पहलगाम में जिन लोगों ने ऐसा किया, उन्होंने कहा कि यह हमारे भले के लिए किया गया, लेकिन क्या यह हमारी इजाजत से हुआ? हममें से कोई भी उनके साथ नहीं है। इस हमले ने हमें अंदर से खोखला कर दिया है। इस स्थिति में वह रोशनी पाना बहुत मुश्किल है, लेकिन पहली बार मैंने लोगों को इस घटना से बाहर निकलते देखा है। उमर अब्दुल्ला ने कहा, पहले भी हमने कश्मीरी पंडितों और सिख समुदायों पर आतंकी हमले देखे हैं। ऐसा हमला लंबे समय के बाद हुआ है। मेरे पास पीड़ितों के परिजनों से माफी मांगने के लिए शब्द नहीं हैं।

उमर ने आतंकियों को हराने का फॉर्मूला दिया

उमर अब्दुल्ला ने कहा कि लोग खुद ही विरोध प्रदर्शन करने के लिए बाहर आए, बैनर/पोस्टर दिखाए और नारे लगाए। अगर लोग हमारे साथ हैं, तो हम आतंकवाद को हरा सकते हैं। यह शुरुआत है। हमें ऐसा कोई कदम नहीं उठाना चाहिए जिससे लोगों की भावनाएं आहत हों। हम बंदूक के जरिए आतंकवाद को खत्म नहीं कर सकते, लेकिन हम इसे कम जरूर कर सकते हैं। हमें ऐसा कोई कदम नहीं उठाना चाहिए जिससे लोग (आतंकवादी) अलग-थलग पड़ जाएं। लोग समझ गए हैं कि आतंकवाद अच्छा नहीं है। हम बंदूक के बल पर आतंकवाद को नियंत्रित कर सकते हैं।

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उन्होंने आगे कहा कि अगर लोग हमारे साथ हैं, तो हम आतंक को हरा सकते हैं। मुझे लगता है कि अब लोग हमारे साथ हैं। जैसे पहलगाम आतंकी हमले के बाद, कश्मीर की मस्जिदों में पीड़ितों को श्रद्धांजलि देने के लिए एक मिनट का मौन रखा गया। यह बहुत बड़ी और महत्वपूर्ण बात है। कश्मीर के लोग सड़कों पर उतर आए। यह कश्मीरियत है और यह हमारी मेहमाननवाजी है। सीएम उमर ने कहा कि आदिल ने अपनी जान की परवाह किए बिना कई पर्यटकों को बचाया, उसने अपनी जान कुर्बान कर दी। भागने के बजाय उसने उन्हें बचाने का फैसला किया। कई लोगों ने पर्यटकों को बचाया और घायलों को अस्पताल पहुंचाया। कई फूड स्टॉल मालिकों ने पर्यटकों को मुफ्त में खाना खिलाया।

उमर ने क्यों कहा कि वह राज्य का दर्जा नहीं मांगेंगे?

उमर अब्दुल्ला ने साफ शब्दों में कहा कि इन हालातों में रोशनी ढूंढ़ना मुश्किल है। जम्मू-कश्मीर की सुरक्षा चुनी हुई सरकार की जिम्मेदारी नहीं है, लेकिन मैं इस मौके का इस्तेमाल राज्य का दर्जा मांगने के लिए नहीं करूंगा। हम जम्मू-कश्मीर के लिए राज्य का दर्जा मांगते रहेंगे, लेकिन यह सही समय नहीं है। अब हमें साथ खड़ा होना होगा। हमें मिलकर कश्मीर का पुनर्निर्माण करना होगा। सीएम अब्दुल्ला ने कहा कि आतंकवाद के खिलाफ कश्मीर की मस्जिदों में मौन रखा गया, हम इस मौन का मतलब जानते हैं। यह कश्मीर में आतंकवाद के अंत की शुरुआत है।

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