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ममता के गढ़ में संघ और बीजेपी की एक साथ सेंधमारी !

West Bengal: पश्चिम बंगाल में संघ और बीजेपी की बैठक चल रही है। दो दिनों से ये बैठक जारी है। संघ प्रमुख मोहन भगवत भी बंगाल में हैं और बीजेपी अध्यक्ष नड्डा साहब भी बंगाल में ही है। मकसद एक ही है कि कैसे ममता के गढ़ (West Bengal) को ध्वस्त किया जाए। हिन्दू वोट को कैच किया जाए। आगे बढ़े इससे पहले कुछ बात पर भी नजर रखने की जरूरत है।

Mamata Banerjee vs bjp

जैसे-जैसे लोकसभा चुनाव की तारीख नजदीक आ रही है सत्ता पक्ष और विपक्ष की चुनौतियां बढ़ती जा रही है। चुनाव ऐसा विषय है जिससे सब डरते हैं। जैसे परीक्षा से छात्र डरते हैं उसी तरह से चुनाव नेताओं को डराते हैं और कोई भी नेता नहीं चाहता कि चुनाव हो। नेता यही चाहते हैं कि एक बार उनकी जीत हो गई तो हमेशा वही बने रहे। आप किसी भी नेता से पूछ कर देखिये। वह यही कहेगा कि आखिर चुनाव की जरुरत क्या है? जब वे जनता की सेवा कर ही रहे हैं तो चुनाव के नाम पर अरबों के खर्च क्यों किये जाते हैं? लेकिन लोकतंत्र का तकाजा यही है कि पांच साल बाद चुनाव होने हैं और इस चुनाव में बदलाव होते ही हैं।

बीजेपी केंद्र की सत्ता में बैठी है। दस साल सरकार के होने वाले हैं। बीजेपी कह रही है कि उनके काल में देश में सब कुछ चंगा है। कहीं कोई गड़बड़ी नहीं। धर्म भी आगे बढ़ रहा है और कर्म भी चल रहा है। देश आगे बढ़ रहा है और दुनिया में देश का डंका भी बज रहा है। चारों तरफ इन्साफ और विकास की धारा बह रही है। महिलाएं सुरक्षित हैं। बच्चों की पढ़ाई दुरुस्त है। बेरोजगारों के लिए रोजगार उपलब्ध है और सबसे बड़ी बात देश में राष्ट्रवाद का झंडा बुलंद है। फिर चुनाव की जरुरत क्यों? उधर विपक्षियों का अपना राग है। उनकी अपनी चिंता है। उनकी अपनी विवशता है। विपक्षी सरकार पर पिले हुए हैं। सरकार पर हमलावर हैं। देश की हालिया हालत के आंकड़े पेश कर रहे हैं। आर्थिक हालत की स्थिति बखान कर रहे हैं।

bjp vs rss

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महिलाओं की स्थिति को देश में प्रचारित कर रहे हैं। प्रधानमंत्री से लेकर सभी मंत्रियों को कठघरे में खड़ा कर रहे हैं। और सबसे बड़ी बात सरकार पर ऐसे-ऐसे हमले किये जा रहे हैं जिसकी कल्पना नहीं गई थी। विपक्ष के नेताओं का निलंबन भी जारी है। लेकिन बाज नहीं आ रहे हैं। सत्ता पक्ष और विपक्ष के चाटुकारों के बीच भी होड़ मची हुई है। सबके अपने दावे हैं लेकिन सच यही है कि देश हांफ रहा है और मीडिया इस हफ्ते देश को अपने लाभ और हानि के चश्मे से निहार रहा है। कहानियां बना रहा है और जनता को समझा भी रही है। अमृतकाल है या विष काल इसे कौन बताएगा?

उधर बंगाल में भागवत जी पधार चुके हैं। लगे हाथ बीजेपी के अध्यक्ष नड्डा साहब भी विराजमान है। भागवत जी की अपनी सभाएं है और नड्डा जी की अपनी राजनीति है। और दोनों की मिली जुली राजनीति से ममता बनर्जी बेहाल हो रही है। उन्हें लगा कि संघ और बीजेपी की सभाएं उन्हें तबाह करने की चाल है। भला वे कैसे बैठ सकती हैं। अपने लोगों से इन बैठकों की निगरानी कराई जा रही है। भेद लिए जा रहे हैं।

बंगाल में बीजेपी को चुनाव लड़ना है। इसी बंगाल (West Bengal) में बीजेपी का पहले कुछ भी नहीं था। लेकिन बंगाल में अब बीजेपी का कुछ है भी और राजनीति की जमीन भी तैयार है। ममता की चिंता बढ़ी हुई है। बीजेपी चाह रही है कि संघ की मदद से बंगाल के चुनाव में पार्टी को बेहतर परिणाम मिले। अगर बंगाल से बीजेपी को सांसद नहीं मिलेंगे तो फिर कहानी दूसरी दिख सकती है। ऐसे में भागवत जी भी बीजेपी को सहारा देने के लिए अपने लोगों को तैयार कर रहे हैं। अलर्ट कर रहे हैं। हिन्दुओं को जगा रहे हैं। ममता बनर्जी अब आगे क्या करेगी यही सब देखना है।

Akhilesh Akhil

Political Editor

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